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    Tuesday, April 30, 2024
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      पहला दिन फीस जमा नहीं हुआ तो बच्चियों को परीक्षा से निकाला, कलकत्ता पब्लिक स्कूल की मनमानी

      *बच्चियों का था स्कूल में पहला दिन, स्कूल से कर दिया बाहर *लॉकडाउन अवधि के बावजूद भारी भरकम एनुअल चार्ज सहित अप्रैल माह का फीस कर दिया था जमा....

      ओरमांझी (राँची दर्पण)। सरकारी निर्देश की धज्जियां उड़ाते हुए कलकत्ता पब्लिक स्कूल प्रबंधन के द्वारा स्कूल का संचालन किया जा रहा है। अभिभावकों पर फीस का दबाव बनाते हुए स्कूल प्रबंधन बच्चों को परीक्षा देने से वंचित कर रहा है।

      विगत् दो दिन पहले सोमवार को कक्षा छह की दो बच्चियों को परीक्षा देने से वंचित रखा गया और महिला अभिभावक से दुर्व्यहार करते हुए बच्चियों को स्कूल के बाहर कर दिया।

      जानकारी के अनुसार मई से नवंबर तक का फीस बच्चियों का जमा नहीं था। अभिभावक ने कहा अभी वह फीस जमा करने में असमर्थ हैं। बच्चों को परीक्षा देने दें। फीस जल्द वो जमा कर देंगी।

      लेकिन प्रबंधक ने एक न सुनी और दबाव देते हुए अभिभावक से त्वरित पूरी फीस जमा करने को कहा। जिसके बाद बच्चे बिना परीक्षा दिये घर वापस हो गये।

      जानकारी के अनुसार बच्चों का अप्रैल माह तक का फीस जमा कर दिया गया है। वहीं नये वार्षिक सेशन का भारी-भरकम चार्जेज भी जमा किया गया है।

      बच्चियों की माता रेखा कुमारी ने बताया कि दीपाली कुमारी व नव्या कुमारी दोनों कलकत्ता पब्लिक स्कूल में विगत् दो-तीन वर्षो से पढ़ाई कर रही हैं। वर्तमान में दोनों बच्चियां कक्षा छह, सेक्षन-ए की छात्रा हैं।

      कई दिनों से स्कूल प्रबंधन द्वारा फीस जमा करने की सूचना दी जा रही थी, आर्थिक अभाव के कारण फीस जमा नहीं कर पायी। लेकिन इसी बीच परीक्षा की तिथि निकली, तो दोनों बच्चों को लेकर वह सोमवार को स्कूल पहुंची।

      लेकिन स्कूल के प्राचार्य द्वारा पहले फीस जमा करने की बात कही गई। जिसपर उन्होंने जल्द फीस जमा कर देने की बात करते हुए बच्चों को परीक्षा में शामिल करने का आग्रह किया। लेकिन प्राचार्य नहीं माने और कहने लगे, फीस जमा नहीं होगी तबतक बच्चों को परीक्षा नहीं देने देंगे।

      महिला अभिभावक से कहा कि स्कूल का नियम है वो तोड़ नहीं सकते आपको जहां शिकायत करनी है कर दें। जिसके बाद बच्चों को लेकर वो घर लौट गई।

      रेखा देवी ने जानकारी देते हुए बताया लॉकडाउन अवधी में ऑनलाइन पढ़ाई चल रही थी, इस बीच बच्चों का नये वर्ष सेशन पूरा हो गया। जिसके बाद उन्होंने रिएडमिशन सहित अपै्रल माह तक का फीस जमा कर दिया।

      जब परीक्षा में बच्चों को शामिल नहीं किया तो उसने साथ टीसी की भी मांग की, इसपर भी प्रबंधन द्वारा फटकार लगाते हुए लौटा दिया गया।

      शिक्षा के नाम पर स्कूल में चल रही है दूकान- स्कूल प्रबंधन शिक्षा के नाम पर दूकानदारी भी चला रही है। कई अभिभावकों द्वारा जानकारी मिली है कि स्कूल प्रबंधन नोट बूक, सॉक्स, ट्रावज़र जैसी वस्तुएं अधिक मूल्यों पर बेचने का काम करती है। जिसकी खरीदारी स्कूल से ही करना का दबाव डाला जाता है।

      लोगों ने बताया 15 रु मार्केट मूल्य का नोट बूक उन्हें 30 रु में स्कूल से लेने के लिये बाध्य किया जाता है, वहीं 20-30 रु का सॉक्स 60 रु व 200 का ट्राउजर के लिये उन्हें 400 रु चार्ज किया जाता है।

      सबसे समझने वाली बात है कि स्कूल सबसे पहले किताब मुहैया कराती, लेकिन इसके लिये अभिभावकों को खेलगांव भेज दिया जाता है।

      इतना ही नहीं ग्रामीण क्षेत्र होने के बावजूद अभिभावकों को क्षेत्र के अन्य स्कूलों की तुलना में इस स्कूल में अधिक फीस जमा करना पड़ता है।

      क्षेत्र में अन्य स्कूल भी हैं, जहां प्रबंधन की ओर से अभिभावकों को सिर्फ ट्युशन फीस जमा करना है और उसमें भी 25 से 50 प्रतिशत की राहत पूर्ण छूट भी दी जा रही है। स्कूल के ऐसे रवैये से क्षेत्र के लोग आक्रोश में हैं।

      लोगों ने इसकी शिकायत उपायुक्त को करने का निर्णय लिया है और स्कूल में ताला जड़ने की तैयारी भी की जा रही है।

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      1. विद्यालय के नाम पर धंधा चल रहा है सरकार ऐसे लुटतंत्र को बंद करें हम भी प्राईवेट स्कूल से पढ़े हैं दो महिने बाद फी जमा करते थे किसी टिंचर कोई प्रिंसिपल इस तरह का टार्चर नहीं किए हैं

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