“प्लाज्मा थेरेपी वैसे मरीजों के लिए कारगर साबित होगी, जिनकी इम्यूनिटी काफी कमजोर है और शरीर में एंटी बॉडीज नहीं बन पा रहा है…
रांची दर्पण डेस्क। सीएम हेमंत सोरेन ने आज रिम्स में प्लाज्मा थेरेपी का उद्घाटन किया। कोविड-19 महामारी के कहर को रोकने और कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज के लिए रांची स्थित राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में प्लाज्मा थेरेपी की शुरुआत की गई है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आज मंगलवार को रिम्स के मॉडल ब्लड बैंक में इसका शुभारंभ किया। रिम्स के ब्लड बैंक को प्लाज्मा कलेक्शन के लिए पूरी तरह तैयार किया गया है। प्लाज्मा डोनेट करने वाले को सरकार एक हजार रुपया देगी।
हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य में स्वास्थ्यकर्मी कई बार संक्रमित हो गए। पुलिस का एक जवान भी मारा गया जो दुखद है। रिम्स में आज ये पहला क़दम है। अन्य मेडिकल कॉलेज में भी इसकी शुरुआत करेंगे।
मंत्री मिथिलेश ठाकुर का प्लाज़्मा नहीं लिया जा सकेगा। आइसीएमआर गाइडलाइन के मापदंड पर वे सही नहीं पाए गए हैं। मंत्री को एसिंप्टोमेटिक कोरोना वायरस था। उनमें कोई लक्षण नहीं पाया गया था और उनका 28 दिन पूरा नहीं हो पाया है।
बता दें कि प्लाज्मा थेरेपी के माध्यम से कोरोना पीडि़तों के इलाज करने की प्रक्रिया कई राज्यों में शुरू हो चुकी है। अब रिम्स में इसकी शुरुआत होने के बाद राज्य के गंभीर रूप से संक्रमित मरीजों को इसका फायदा मिलेगा।
मौके पर स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि कोरोना से निर्णायक लड़ाई लडऩे में मरीजों के साथ चिकित्सकों को भी सुविधा होगी। जमशेदपुर के टीएमएच और बोकारो के बीडीएच में भी प्लाज्मा थेरेपी से इलाज किया जाएगा।
ब्लड बैंक की इंचार्ज डॉ. सुषमा के अनुसार कि सोमवार को रिम्स में उपलब्ध संसाधन व उपकरणों से ब्लड से प्लाज्मा को अलग करने का ट्रायल किया गया, जो सफल रहा। उन्होंने बताया कि ब्लड बैंक खुद के संसाधन के साथ कन्वेंशन प्लाज्मा फरेसिस करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
बता दें कि प्लाज्मा थेरेपी के लिए रिम्स में अलग से एफरेसिस मशीन नहीं है। अभी ब्लड बैंक में ही एक ही एफरेसिस मशीन है, जिसमें प्लेटलेट्स कलेक्शन का काम भी होता है।