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    Sunday, April 28, 2024
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      बिल्डर पवन बजाज की माफियागिरीः बिना कागजात दिखाए रात में कराई 1457 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री

      राँची दर्पण डेस्क। बुंडू में 1457 एकड़ जमीन बेचने के मामले में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आये हैं। प्रमडंलीय आयुक्त नितिन मदन कुलकर्णी ने रैयतों और खरीददार को पक्ष रखने के लिए बुलाया था।

      Pawan Bajajs mafiagiri Registry of 1457 acres of land done at night without showing paper 1तब रैयतों ने बताया कि जमीन की रजिस्ट्री रात में हुई थी, हमलोगों से दस्तावेज में हस्ताक्षर करने को कहा गया। हस्ताक्षर करने के बाद ड्राफ्ट दिया गया। रैयतों ने 1457 एकड़ में से 700 एकड़ जमीन के दस्तावेज दिखाए जो पूरी तरह से सही थे।

      रैयतों के नाम भी पंजी टू में दर्ज हैं और रसीद भी उनके नाम से कट रहा था। सारे दस्तावेजों को पूरी गहनता से जांच की गयी। 400 एकड़ जमीन गैरमजरुआ और 300 एकड़ जमीन वनभूमि है।

      जब खरीददारों से पूछा गया तो उनका कहना था कि उनके पास भी दस्तावेज हैं। कमिश्नर नितिन मदन के समक्ष खरीददार-खेवटदार के द्वारा उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर अपना दावा बता रहे थे। जबकि,1955-56 में जमींदारी प्रथा खत्म होने के साथ ही खेवटदार भी खत्म हो गये।

      अब सारा काम खतियान के आधार पर हो रहा है। जब उनलोगों से पूछा गया कि जमीन किस आधार पर खरीदा है तो खरीदारों का कहना था कि कुछ जमीन डि-वेस्ट भी हुई थी।

      जमीन बेचने के लिये तमाम तरह के हथकंडे अपनाये गये थे। अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से 1457 एकड़ जमीन का नया दस्तावेज बनाया गया और दूसरी जमाबंदी खोल दी गयी।

      इतना ही नहीं, इलाकेदार पंजी भी बनायी गयी। उसी के आधार पर पंजी टू में ऑनलाइन तरीके से नाम चढ़ा दिया गया।

      दरअसल, डेवलपर पवन बजाज की कंपनी शाकंभरी बिल्डर्स और कोशी कंसल्टेंट के नाम पर वर्ष 2018 में बुंडू अंचल क्षेत्र की 1457.71 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री हुई थी।

      यह मामला सामने आने के बाद बुंडू के स्थानीय ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और राज्य सरकार से जांच कराने का आग्रह किया था। अवैध ढंग से जमीन की खरीद-बिक्री का आरोप लगाया था।

      दलालों ने नये सिरे से कुर्सीनामा बनाकर बेच दिया। वर्ष 2018 में रजिस्ट्री हुई। ये सब अधिकारियों के नाक के नीचे हुआ। ये काम 17 लोगों ने मिलकर किया। दलालों ने गैरमजरुआ आम, गैरमजरुआ खास और वन भूमि की जमीन को रैयती जमीन बताया।

      पारिवारिक कुर्सीनामा बनाया। उसमें दिखाया कि किन-किन परिवारों की यह जमीन है। फिर विश्वेश्वर मांझी और अन्य 17 लोगों द्वारा जमीन की बिक्री करा दी। जबकि, इसमें लगभग तीन सौ एकड़ वन भूमि बताया जा रहा है। पूरी जमीन की दो बार रजिस्ट्री हुई। दो डीड बनाए गए।

      जिन रैयतों को नोटिस जारी किए गए थे, उनमें  बिशेश्वर मांझी, मदनमोहन मांझी, दल गोविंद मांझी, विजय मांझी, विजय कुमार मांझी, राजकिशोर मांझी, बशिष्ट मांझी, राजेंद्र नाथ मांझी, शंकर मांझी, हरेकृष्ण मांझी, रामदास मांझी, प्रदीप मांझी, रासबिहारी मांझी, दिनेश्वर मांझी, सुनील मांझी, रमेश चंद्र मांझी, उमाकांत मांझी व गौरांग मांझी आदि शामिल हैं।

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