20 अप्रैल, राँची दर्पण। राजधानी राँची के नामकुम घाघरा मुक्तिधाम में सोमवार को कोरोना संक्रमण से हुई मौत के बाद लोग अपने परिजनों का शव जलाने पहुंचे, लेकिन यहां शव जलाने के लिए लकड़ियाँ नहीं थी, जिससे गुस्साए परिजनों ने घाघरा-नामकुम रोड जाम कर दिया।
घाघरा मुक्तिधाम में 40 शवों को लेकर पहुंचे एंबुलेंस की लंबी कतार लगी थी। लोग घंटों कड़ी धूप में शव जलाने के इंतजार में बैठे थे। तेज धूप में जैसे-जैसे इंतजार बढ़ रहा था, परिजनों का गुस्सा भी बढ़ता जा रहा था।
क्योंकि, शव लेकर आने वाले एंबुलेंस चालक व परिजन पीपीटी किट में थे। गर्मी से सभी की स्थिति पीपीटी किट में खराब हो रही थी। दिन के 1.30 बजे जब निगम की ओर से शव जलाने के लिए लकड़ियां भेजी गईं, तब जाकर लोगों का गुस्सा शांत हुआ।
घाघरा में हो रहे शवों के अंतिम संस्कार के बाद वहां शवों को जलाने वाले डोम राजा को भी पैसे का भुगतान नहीं हो रहा था। इसलिए, सभी घाट छोड़ कर चले गए थे। जब भुगतान हुआ, तब तो घाघरा घाट पहुंचे। इस वजह से भी शवों को जलाने में देरी हुई।
इधर, शवों को जलाने के लिए इंट्री करनेवाले जिस कर्मचारी की तैनाती वहां की गई है, वह भी डोम राजा को पैसे भुगतान कराने के लिए उनके साथ चला गया था। इसकी वजह से भी शवों की इंट्री जलाने के लिए नहीं हो सकी थी।
रविवार की देर रात तक घाघरा श्मशान घाट पर कोरोना से मृतकों के शव जलाए गए थे। रात 2.30 बजे तक यहां अंतिम संस्कार की प्रक्रिया चलती रही। इस वजह से रविवार रात में ही लकड़ियां खत्म हो गईं थीं।
फिर सोमवार अहले सुबह से वहां शव पहुंचने लगे थे। चूंकि घाट पर लकड़ियां खत्म हो गईं थीं, इसलिए परिजन शव को एंबुलेंस से नहीं उतार रहे थे।
ऐसे में एंबुलेंस चालक परिजनों पर भड़कने लगे कि वे ज्यादा देर तक शवों को लेकर नहीं रुक सकते। दिन भर यदि एक ही शव ढोने में उनका समय खत्म हो जाएगा तो वे कमाएंगे क्या।