राँची दर्पण डेस्क। बच्चों को कोरोना के संक्रमण से बचाने के लिए सरकार से वैक्सीन लगाने की मंजूरी मिलते ही 3 जनवरी से झारखंड में बच्चों को टीका लगाने का काम शुरू कर दिया गया है।
इस बीच रविवार को कई सेंटर पर एक्सपायर वैक्सीन लगाने का मामला सामने आया। जैसे ही सेंटर पर आए पेरेंट्स को जानकारी मिली कि उनके बच्चों को लगाई गई वैक्सीन 2 महीने पहले ही एक्सपायर हो चुकी है।
इसके बाद वहां पर अफरा तफरी का माहौल हो गया। वहीं पेरेंट्स को इस बात की चिंता सताने लगी कि कहीं एक्सपायर्ड वैक्सीन का साइड इफेक्ट उनके बच्चों पर न हो जाए।
सवाल उठता है कि जब वैक्सीन की एक्सपायरी डेट 2 महीने पहले ही खत्म हो गई तो यह सेंटर पर बच्चों को लगाने के लिए कैसे भेज दी गई?
दरअसल इस लापरवाही का खुलासा तब हुआ, जब रांची के ही रहनेवाले सत्यनारायण शर्मा अपने बच्चे को लेकर रांची पहुंचे। हैदराबाद से लौटने के बाद उन्होंने अपोलो क्लीनिक में जाकर बच्चे को कोवैक्सीन लगवाई।
टीका लगाने के दौरान वह अपने बच्चे की फोटो खींच रहे थे इसी बीच उनकी नजर वहां रखे कोवैक्सीन की वायल पर पड़ी। जिसका एक्सपायरी डेट नवंबर 2021 था। इसके लिए उन्होंने अपोलो क्लिनिक को 1200 रुपये पेमेंट भी किये।
जब उन्होंने शीशी में लिखे बैच नंबर 37H21015A का सर्टिफिकेट फोर कोविड वैक्सिनेशन से मिलान किया तो दोनों के बैच नंबर में समानता मिली।
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