“यह बीमारी सिर्फ कबूतर में ही होती है। यह वायरस किसी अन्य को नुकसान नहीं पहुंचाता है। टेट्रासाइक्लीन नामक दवा कबूतर को खाने में मिलाकर दें, सात दिन के अंदर वह ठीक हो जाएगा…
रांची दर्पण डेस्क। शांति का प्रतीक कबूतर पक्षी पिजन पॉक्स से पीड़ित है। दो माह पहले कोकर में कई कबूतर इस वायरस से पीड़ित पाये गए थे, कुछ मर भी गए थे।
कबूतर को यह बीमारी अपने साथी पक्षी के संपर्क में आने से होती है। क्योंकि कबूतर झुंड में रहता है, इसलिए यह बीमारी तेजी से फैलती है। इस बीमारी से अन्य पक्षी और मनुष्य प्रभावित नहीं होते हैं।
हालांकि कबूतर पालने के शौकीन लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है। दवा दुकान से टेट्रासाइक्लीन का पाउडर खरीद कर कबूतर को खाने में मिलाकर दें।
इसके अतिरिक्त नीम का पत्ता उसके रहने के स्थान पर बांध कर लटका दे। करंज की खली जलाकर धुंआ करें। वैक्टीरिया भगाने के लिए दवा का छिड़काव भी कर सकते हैं।