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गोदी में लयका और शहर भर ढिढोंरा, ओरमांझी थाना पुलिस की देखिए करतूत

ओरमांझी (रांची दर्पण)। रांची जिला की ओरमांझी थाना पुलिस से जुड़े एक बड़ा रोचक मामला प्रकाश में आया है। यहां एक पीड़ित ने प्राथमिकी दर्ज कराने के सप्ताह भर बाद अपनी चोरी की बाइक थाना परिसर में ही पाया है। जिसे पीड़ित को सौंपने में पुलिस तरह-तरह के अनर्गल बहानेबाजी करते आ रही है। यह पूरा मामला ही काफी हैरतअंगेज है।

दरअसल, दड़दाग गांव निवासी सुभाष कुमार की बाइक विगत 23 अगस्त,2024 को ओरमांझी बाजार से उस समय चोरी हो गई, जब वह बाइक लॉक कर सब्जी आदि की खरीदारी कर रहे थे। सुभाष ने बाइक चोरी की तत्काल लिखित शिकायत ओरमांझी थाना प्रभारी से की। इसके बाद बीएनएस की धारा 303(2) के तहत कांड संख्या-123/24 दर्ज किया गया और इस मामले की पड़ताल (अनुसंधान) के लिए एएसआई प्रिया सहाय को सौंप दिया गया।

इसके बाद पीड़ित सुभाष कुमार जब पखवारा भर बाद अपनी बाइक चोरी की अग्रेतर कार्रवाई की जानकारी लेने थाना पहुंचे तो पाया कि उनकी बाइक थाना परिसर में खड़ा है। इस पर जब सुभाष ने पुलिस से जानकारी चाही तो मामले की अनुसंधानकर्ता ने उसे उस बाइक को किसी दूसरे कांड संख्या से जुड़े होने की बात कही।

वहीं दूसरे दर्ज कांड संख्या-134/24 के अनुसार विगत 5 सितंबर,24 को एएसएई जयप्रकाश पासवान ने वाहन चेंकिग के दौरान उकरीद मोड़ के पास दो बाइक को पकड़ा, जिसकी पड़ताल करने पर बाइक सवार के पास कागजात नहीं पाए गए और उसने स्वीकार किया कि दोनों बाइक चोरी के हैं।

नतीजतन पुलिस ने उक्त दोनों बाइक जप्त करते हुए बाइक सवार को पकड़कर थाने ले आई। जिसमें एक बाइक सुभाष कुमार की वही बाइक है, जो ओरमांझी साप्ताहिक बाजार से चोरी हो गई थी और उस मामले में कांड संख्या-123/24 दर्ज किया गया था।

हैरत की बात यह है कि ओरमांझी थाना पुलिस अब सुभाष कुमार को चोरी गई बाइक बरामद होने के बाबजूद उसे नहीं लौटा रही है। कांड संख्या-134/24 का अनुसंधानकर्ता जयप्रकाश पासवान का कहना है कि उसने बाइक वाहन चेकिंग के दौरान पकड़ा है, इसलिए उसका पहले कांड संख्या से कोई लेना देना नहीं है।

वहीं पहले दर्ज कांड संख्या-123/24 के अनुसंधानकर्ता प्रिया सहाय की मानें तो इस कांड संख्या में अभी तक बाइक की बरामदगी नहीं हुई है। जबकि चोरी गई फिलहाल बाइक थाना परिसर में लगा हुआ है। यह मामला पूरे ओरमांझी थाना क्षेत्र में चर्चा का विषय बन रहा है और लोग पुलिस की आम नागरिकों के प्रति परेशान करने वाली ऐसी कार्यशैली से हैरान हैं।

उधर पीड़ित सुभाष कुमार की हालत यह है कि वह करे तो क्या करे। ओरमांझी थाना पुलिस जिस तरह से उसकी बाइक को दो कांड संख्या में उलझा रही है या कहिए कि उलझा चुकी है, उसे या तो बाइक को थाना में ही सड़ने के लिए छोड़ देना होगा या फिर कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने होंगे।

फिलहाल, सुभाष कुमार ने रांची वरीय पुलिस अधीक्षक से न्याय की गुहार लगाई है। अब देखना है कि यह उलझन कब सुलझ पाता है और वे दो कांड के दो अनुसंधानकर्ता की दलील को किस रुप में लेते हैं।

 

 

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