स्वास्थ्य

रांची रिम्स में स्वदेशी डेंगू वैक्सीन ‘डेंगीऑल’ का क्लीनिकल ट्रायल शुरू

रांची दर्पण डेस्क। इंडियन मेडिकल रिसर्च सेंटर (ICMR) और ‘पैनेशिया बायोटेक’ के सहयोग से तैयार स्वदेशी डेंगू वैक्सीन ‘डेंगीऑल’ का क्लीनिकल ट्रायल रांची के रिम्स (राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) में शुरू हो गया है, जो डेंगू की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए एक नई उम्मीद की किरण है।

इस वैक्सीन के तीसरे चरण का यह पहला क्लीनिकल ट्रायल है, जिसमें 20 से अधिक लोगों को यह वैक्सीन दी गई है। सबसे खास बात यह है कि शुरुआती परीक्षण के सात दिनों के बाद जिन लोगों को वैक्सीन दी गई, उनकी स्क्रीनिंग के दौरान किसी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या नहीं पाई गई है। इससे यह संकेत मिलता है कि वैक्सीन न केवल प्रभावी है, बल्कि सुरक्षित भी है।

रिम्स के पीएसएम विभाग को इस क्लीनिकल ट्रायल की पूरी जिम्मेदारी दी गई है, जिसका नेतृत्व डॉ. मिथलेश कर रहे हैं। उनकी टीम में विभागाध्यक्ष डॉ. विद्यासागर और डॉ. देवेश कुमार भी शामिल हैं। ट्रायल के अंतर्गत रांची के शहरी क्षेत्र के डोरंडा और धुर्वा इलाके के लोगों को वैक्सीन दी जा रही है। साथ ही, अन्य क्षेत्रों के लोगों को भी इसमें शामिल करने की प्रक्रिया जारी है।

‘डेंगीऑल’ के पहले और दूसरे चरण के ट्रायल के दौरान किसी प्रकार के साइड इफेक्ट्स सामने नहीं आए थे और इसके परिणाम सकारात्मक रहे हैं। अब तीसरे चरण के परीक्षण के दौरान भी वैज्ञानिकों को इसी प्रकार की सफलता की उम्मीद है।

क्लीनिकल ट्रायल की प्रक्रिया तीन चरणों में पूरी की जाती है। पहले चरण में लोगों को वैक्सीन के बारे में पूरी जानकारी दी जाती है और उनकी सहमति ली जाती है। दूसरे चरण में सहमति देने वालों की स्क्रीनिंग की जाती है, जिसमें उनके खून की जांच शामिल होती है। जो लोग इस जांच में सफल रहते हैं, उन्हें वैक्सीन दी जाती है। इसके बाद उन्हें दो साल तक फॉलोअप में रखा जाएगा, ताकि उनके स्वास्थ्य पर नजर रखी जा सके और किसी भी संभावित साइड इफेक्ट या प्रतिरोध की जानकारी मिल सके।

यह ट्रायल डेंगू के खिलाफ देश में तैयार हो रहे एक बड़े और प्रभावी हथियार का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य इस गंभीर बीमारी को नियंत्रित करने में मदद करना है।

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