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टोल प्लाजा पर टैक्स वसूली शुरू, पूर्व विधायक के नेतृत्व में ग्रामीणों का घेराव

अनगड़ा (रांची दर्पण)। एनएच-33 के अंतर्गत रांची रिंगरोड पर रामपुर-विकास खंड स्थित हेसल में बने नवनिर्मित टोल प्लाजा पर टोल टैक्स की वसूली शुरू हो गई है। जैसे ही इस वसूली की सूचना फैली, स्थानीय ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया। इसके बाद पूर्व विधायक रामकुमार पाहन के नेतृत्व में ग्रामीणों ने टोल प्लाजा का घेराव कर विरोध प्रदर्शन किया।

रामकुमार पाहन ने दो मुख्य मांगों को लेकर आंदोलन का नेतृत्व किया। पहली मांग थी कि स्थानीय ग्रामीणों से टोल टैक्स न लिया जाए और दूसरी थी कि टोल प्लाजा में स्थानीय लोगों को रोजगार का अवसर प्रदान किया जाए।

इन मांगों को लेकर ग्रामीणों ने टोल प्लाजा के प्रबंधक प्रमोद रॉय से बातचीत की, लेकिन उन्होंने बताया कि इन मामलों में निर्णय लेने का अधिकार उनके पास नहीं है।

ग्रामीणों का आरोप है कि टोल टैक्स वसूली का निर्णय जल्दबाजी में लिया गया है, जबकि सर्विस रोड का काम अब तक पूरा नहीं हुआ है और नयी सड़क पर पहले से ही गड्ढे उभर आए हैं, जो यात्रियों के लिए असुविधाजनक और असुरक्षित हैं।

इसके जवाब में एनएचएआई और इगल इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के उच्च अधिकारियों के साथ ग्रामीणों की आगे बैठक तय की गई है, जिसमें इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी।

रामपुर-विकास सड़क के निर्माण की जिम्मेदारी एनएचएआई ने ली थी, जबकि इसका संवेदन कार्य रामकृपाल सिंह कंस्ट्रक्शन लिमिटेड द्वारा किया गया। टोल टैक्स वसूली का जिम्मा इगल इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया है, जिसने प्रतिदिन 7.18 लाख रुपये के भुगतान की शर्त पर यह निविदा प्राप्त की है।

टोल प्लाजा के प्रबंधक प्रमोद रॉय ने बताया कि टोल प्लाजा से 20 किलोमीटर के दायरे में निजी वाहनों के लिए प्रति माह 340 रुपये टोल टैक्स निर्धारित किया गया है। स्थानीय वाहन चालक एक महीने में 999 बार टोल प्लाजा पार कर सकते हैं। फास्टैग की सुविधा वाली कारों के लिए 70 रुपये टोल पार करते समय और 35 रुपये लौटने पर देना होगा।

इसी प्रकार एलसीवी चालकों के लिए 110 रुपये पार करते समय और 55 रुपये लौटने पर तय किया गया है। ट्रक और बस चालकों को 230 रुपये पार करते समय और 115 रुपये लौटने पर देने होंगे।

इस विरोध प्रदर्शन से यह साफ है कि ग्रामीण टोल प्लाजा से अपनी समस्याओं का समाधान चाहते हैं, जबकि टोल टैक्स की वसूली को लेकर जल्दबाजी और अधूरी सड़कों की स्थिति ने इस असंतोष को और गहरा कर दिया है। ग्रामीणों की मांगें अगली बैठक में कितनी सफल होती हैं, यह देखना बाकी है।

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