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कांके भ्रष्टाचार कार्यालय? यहां CO रोज गढ़ रहा फर्जीवाड़ा की नजीर!

कांके अंचल कार्यालय में जारी यह फर्जीवाड़ा सिर्फ एक स्थानीय प्रशासनिक विफलता नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम के लिए एक चेतावनी है। अगर अब भी इस पर कार्रवाई नहीं की गई, तो आने वाले दिनों में पूरे राज्य में इसी तरह की घटनाएं आम हो सकती हैं। भू-माफिया, दलाल और भ्रष्ट अधिकारियों के गठजोड़ को तोड़ना अब सिर्फ प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि यह सरकार की नैतिक परीक्षा भी है...

रांची दर्पण डेस्क। रांची जिले के कांके अंचल कार्यालय में इन दिनों जमीन से जुड़ा एक ऐसा गोरखधंधा फल-फूल रहा है, जिसने प्रशासनिक तंत्र की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। रैयती जमीनों के फर्जी दाखिल-खारिज और ऑनलाइन रसीद निर्गमन की खबरों ने इलाके में हड़कंप मचा दिया है। सूत्रों की मानें तो यह सब एक संगठित गिरोह द्वारा किया जा रहा है, जिसमें अंचल कार्यालय के ही कुछ कर्मचारी और अधिकारी शामिल हैं।

फर्जीवाड़े के केंद्र में अंचलाधिकारी? सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस पूरे फर्जीवाड़े का केंद्र खुद अंचलाधिकारी जय कुमार राम को बताया जा रहा है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की जांच में यह खुलासा हुआ है कि कांके के चामा गांव में जबरन जमीन कब्जे के एक मामले में अंचल कार्यालय की भूमिका संदिग्ध पाई गई। फर्जी दस्तावेज जब्त हुए और जय कुमार राम से घंटों पूछताछ की गई। हालांकि उन्होंने जिम्मेदारी कनिष्ठ कर्मचारियों पर डाल दी, लेकिन उनकी इस सफाई पर जनता और जांच एजेंसियों दोनों की निगाहें शक से भरी हैं।

भू-माफिया और दलालों का गठजोड़ः कहा जा रहा है कि भू-माफिया और कुछ राजस्व कर्मचारियों की मिलीभगत से रैयती जमीनों की प्रकृति बदली जा रही है। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दाखिल-खारिज की प्रक्रिया पूरी कर, जमीन दलालों के नाम ऑनलाइन रसीद निर्गत की जा रही है। इससे न केवल जमीन के असली मालिकों को नुकसान हो रहा है, बल्कि कई मामलों में उनकी पुश्तैनी संपत्ति भी छिन रही है।

नवीनतम मामला: नेवरी मौजा की जमीन पर फर्जीवाड़ाः हाल ही में नेवरी मौजा के अंतर्गत 25 डिसमिल जमीन पर हुए फर्जीवाड़े ने मामले को और गरमा दिया है। वर्ष 2010 में पूरी तरह दाखिल-खारिज हो चुकी इस जमीन में से 12 डिसमिल भूमि का फर्जी तरीके से पुनः दाखिल-खारिज कर किसी दलाल के नाम रसीद जारी की गई। यह दर्शाता है कि रिकॉर्ड में छेड़छाड़ कितनी आसानी से हो रही है।

रजिस्ट्री कार्यालय की संदिग्ध भूमिकाः रांची के रजिस्ट्री कार्यालयों की भूमिका भी जांच के घेरे में है। पुराने कागजातों में हेरफेर कर जाली दस्तावेज तैयार किए जा रहे हैं, जिनकी सत्यापित प्रतियां प्रस्तुत कर भोले-भाले रैयतों को गुमराह किया जा रहा है। उपायुक्त विनय चौबे ने पूर्व में कई कर्मचारियों को निलंबित किया है, लेकिन समस्या की जड़ें अब भी बरकरार हैं।

राजनीतिक संलिप्तता? सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सत्ता में वापसी के बाद जमीन दलालों का मनोबल बढ़ा है। हालात यह हैं कि कई रैयतों ने शिकायत की है कि उनकी जमीन पर बिना सहमति के कब्जा किया जा रहा है और रसीद भी काटी जा रही है।

समस्या के समाधान के लिए सुझाए गए कदम: विशेषज्ञों और जनप्रतिनिधियों का मानना है कि निम्नलिखित उपायों से इस समस्या पर काबू पाया जा सकता है-

  • सभी लंबित दाखिल-खारिज मामलों की निष्पक्ष जांच
  • फर्जी दस्तावेजों के आधार पर हुई दाखिल-खारिज की रद्दीकरण प्रक्रिया
  • दोषी कर्मचारियों पर सख्त दंडात्मक कार्रवाई
  • ऑनलाइन प्रक्रिया में तकनीकी पारदर्शिता सुनिश्चित करना
  • रैयतों के बीच जागरूकता फैलाना

जनहित याचिका की तैयारीः झारखंड अंगेस्ट करप्शन के राष्ट्रीय अध्यक्ष दुर्गी उरांव ने यह स्पष्ट किया है कि इस गंभीर समस्या को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की जाएगी। उन्होंने चेताया कि यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो न केवल रैयतों को नुकसान होगा, बल्कि सरकार की साख भी दांव पर लग जाएगी।

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