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बिना अनुमति के चल रहे थे 26 स्टोन क्रशर, उच्चस्तरीय जांच कमेटी का खुलासा

ओरमांझी (रांची दर्पण)। ओरमांझी अंचल के चुटूपालू घाटी क्षेत्र में बिना वैध अनुमति के 26 स्टोन क्रशर के संचालन का मामला सामने आया हैं। यह जानकारी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश पर गठित एक उच्चस्तरीय जांच कमेटी की रिपोर्ट में उजागर हुई हैं।

रिपोर्ट के अनुसार यहां कुल 74 स्टोन क्रशर पाये गए, जिनमें से 48 को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से ‘कंसेंट टू ऑपरेट’ (सीटीओ) प्राप्त हैं, जबकि 26 स्टोन क्रशर बिना अनुमति के ही चल रहे थे।

कमेटी की जांच में पाया गया कि जब टीम वहां पहुंची तो 44 स्टोन क्रशर सक्रिय थे। इस इलाके में 150 फीट ऊंचे पहाड़ों के स्थान पर अब गहरे गड्ढे बन गए हैं, जो पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे हैं।

एनजीटी ने इस रिपोर्ट के बाद जिला प्रशासन और प्रदूषण बोर्ड को सख्त निर्देश दिए हैं कि भविष्य में कोई भी क्रशर बिना पर्यावरण मानक का पालन किए संचालित नहीं होगा। इसके साथ ही जांच कमेटी ने क्रशर संचालन के लिए 20 प्रकार की अनुशंसाएँ भी की हैं।

  • बिना कवर एरिया के कोई भी प्राथमिक या द्वितीय यूनिट का संचालन नहीं होगा।
  • प्रत्येक क्रशर के पास निश्चित मात्रा में स्प्रिंकलर का होना अनिवार्य हैं।
  • सभी प्रतिष्ठानों को कंवेयर बेल्ट का उपयोग करना होगा।
  • क्रश किया हुआ स्टोन रखने के समय प्रदूषण मानकों का ध्यान रखना होगा।
  • क्रशर से जुड़ने वाली सड़कों को दुरुस्त रखा जाएगा।
  • स्टोन डस्ट का निर्माण कार्य में उपयोग किया जाएगा।
  • ढुलाई के लिए सामान को पूरी तरह से कवर करके ले जाना होगा।
  • क्रशर यूनिट का संचालन सुबह छह से रात 10 बजे तक किया जाएगा।
  • मॉनसून के बाद सभी क्रशरों को प्रदूषण मापने वाले उपकरण लगाने होंगे।

कमेटी ने स्पष्ट किया हैं कि संयुक्त अनुशंसाओं का पालन हर हाल में किया जाना चाहिए। यदि कोई स्टोन माइंस या क्रशर यूनिट नियमों का उल्लंघन करता हैं तो उनसे पर्यावरण क्षति का मुआवजा वसूला जाएगा।

यह रिपोर्ट क्षेत्र में पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति गंभीर चिंता और कार्रवाई की आवश्यकता को उजागर करती हैं। स्थानीय प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इन अनुशंसाओं को लागू करने में तत्परता दिखानी होगी, ताकि भविष्य में ऐसी अवैध गतिविधियों पर रोक लगाई जा सके।

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