
रांची दर्पण डेस्क। झारखंड की राजधानी रांची में जेल मोड़ के पास अवस्थित भगवान बिरसा मुंडा स्मृति पार्क, जिसे स्वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा मुंडा की स्मृति में बनाया गया है, आजकल अपनी बदहाली और दुर्गंध के कारण चर्चा में है। यह पार्क, जहां भगवान बिरसा मुंडा ने अपनी अंतिम सांस ली थी, वह न केवल ऐतिहासिक महत्व रखता है, बल्कि 35 एकड़ में फैला रांची का सबसे बड़ा पार्क भी है।
केंद्र और राज्य सरकार ने इसे संरक्षित करने के लिए 142 करोड़ रुपये की भारी-भरकम राशि खर्च की थी। जेल के पुराने भवन को म्यूजियम में तब्दील किया गया, और इसे एक आकर्षक स्मृति पार्क के रूप में विकसित किया गया। लेकिन रांची नगर निगम की एक गंभीर लापरवाही ने इस खूबसूरत पार्क की सैर को लोगों के लिए मुश्किल बना दिया है।
रांची नगर निगम ने पार्क के ठीक सामने स्थित ट्रैकर स्टैंड को मिनी कूड़ा ट्रांसफर स्टेशन में बदल दिया है। लालपुर जोन का सारा कूड़ा अब यहीं लाकर डंप किया जा रहा है। समस्या यह है कि जितना कूड़ा यहां लाया जा रहा है, उसका समय पर उठाव नहीं हो पा रहा।
नतीजतन कूड़े के ढेर से उठने वाली तीखी दुर्गंध ने पूरे इलाके को अपनी चपेट में ले लिया है। राहगीरों को इस रास्ते से गुजरने के लिए नाक बंद करनी पड़ रही है, और पार्क में सैर करने आने वाले लोग अब यहां आने से कतराने लगे हैं।
एक शहरवासी ने कहा कि हम अपने बच्चों के साथ पार्क में समय बिताने आते थे, लेकिन अब बदबू के कारण यहां रुकना मुश्किल हो गया है। यह ऐतिहासिक स्थान है, फिर भी प्रशासन इसकी ऐसी दुर्दशा कर रहा है।
कूड़ा डंपिंग यार्ड की वजह से पार्क के पास स्थित जेल तालाब की स्थिति भी बद से बदतर होती जा रही है। कूड़े से निकलने वाला गंदा पानी तालाब में मिल रहा है, जिसके कारण तालाब का पानी काला पड़ गया है। तालाब के किनारे बैठना अब असंभव हो गया है और इसका पर्यावरणीय प्रभाव भी गंभीर है। तालाब में रहने वाली मछलियां और अन्य जलचरों का जीवन खतरे में है।
पर्यावरणविद् अनीता वर्मा ने चेतावनी दी कि कूड़े से निकलने वाला गंदा पानी तालाब के पारिस्थितिकी तंत्र को पूरी तरह नष्ट कर सकता है। अगर जल्द ही इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह तालाब पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा।
सबसे ज्यादा परेशानी उन यात्रियों को हो रही है, जो ट्रैकर स्टैंड का उपयोग करते हैं। इरबा, ओरमांझी और अन्य क्षेत्रों से आने-जाने वाले लोग इस दुर्गंध के बीच से गुजरने को मजबूर हैं। कई यात्रियों ने शिकायत की है कि बदबू इतनी तीखी है कि उन्हें सांस लेने में भी दिक्कत होती है।
एक यात्री मदन महतो ने कहा कि हम रोजाना इस स्टैंड से सफर करते हैं, लेकिन अब हालात ऐसे हैं कि रुमाल या मास्क के बिना यहां खड़ा होना मुश्किल है। प्रशासन को चाहिए कि कूड़ा डंपिंग के लिए कोई दूसरी जगह चुने।
पर्यटकों का कहना है कि इतने महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक स्थल के साथ इस तरह की लापरवाही बर्दाश्त से बाहर है। भगवान बिरसा मुंडा स्मृति पार्क न केवल रांची की शान है, बल्कि यह देश के स्वतंत्रता संग्राम की एक महत्वपूर्ण निशानी भी है। फिर भी रांची नगर निगम और जिला प्रशासन इस समस्या के समाधान के लिए कोई ठोस कदम उठाते नहीं दिख रहे।
पार्क के रखरखाव से जुड़े एक कर्मचारी ने बताया कि हमने कई बार इस मुद्दे को अधिकारियों के सामने उठाया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। कूड़ा डंपिंग स्टेशन को हटाने की मांग लंबे समय से की जा रही है, लेकिन इसे अनसुना किया जा रहा है।
पर्यावरण प्रेमियों ने प्रशासन से मांग की है कि कूड़ा डंपिंग यार्ड को तुरंत किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित किया जाए। इसके साथ ही जेल तालाब की सफाई और पार्क के आसपास स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता मीना कश्यप ने कहा कि यह पार्क हमारी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर है। इसे बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है। प्रशासन को तुरंत इस दिशा में काम करना चाहिए।
बहरहाल भगवान बिरसा मुंडा स्मृति पार्क, जो कभी रांची के गौरव का प्रतीक था, आज बदबू और उपेक्षा की कहानी बयां कर रहा है। रांची नगर निगम और जिला प्रशासन को इस ऐतिहासिक स्थल की गरिमा को बहाल करने के लिए त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए।