अन्य
    Friday, December 26, 2025
    अन्य

      रांची DC साहब, ‘पर उपदेश कुशल बहुतेरे, जे आचरहिं ते नर न घनेरे’!

      रांची दर्पण डेस्क / मुकेश भारतीय। ‘पर उपदेश कुशल बहुतेरे, जे आचरहिं ते नर न घनेरे’। महान रामायण रचयिता तुलसीदास बाबा की यह अमर उक्ति आज झारखंड की राजधानी रांची के जिला प्रशासन पर बिलकुल सटीक बैठती है। यहां भूमि घोटालों की कहानियां तो रोजाना उगती हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ मीटिंगों की रसीदें कटती हैं।

      एक तरफ उपायुक्त मंजूनाथ भजयंत्री महोदय राजस्व अधिकारियों को ‘कार्यशैली सुधारो, जनता को चक्कर मत लगवाओ’ जैसी दो टूक चेतावनियां देते फिरते हैं, दूसरी तरफ खुद की कुर्सी पर बैठकर जनता की शिकायतों को धूल चटाते रहते हैं। ऐसा लगता है मानो प्रशासन का मंत्र है- दूसरों को ज्ञान बांटो, खुद पर अमल मत करो!

      आइए, इस हाइपोक्रेसी की परतें उधेड़ते हैं, जहां एक ही प्लॉट पर फर्जी डीड का जाल बिछा है और शिकायतों की बाढ़ आई, लेकिन न्याय का सूरज अब तक बादलों में छिपा है।

      मामले की शुरुआत कांके अंचल के मौजा नेवरी से होती है। यहां खाता संख्या-17, आरएस प्लॉट संख्या-1335 की कुल 25 डिसमिल रैयती जमीन (नामजमीन: केन्दुपावा दोन, जमीनदार: झारखंड सरकार) वर्ष 2010 में वैध रूप से खरीदी गई थी। खरीदारों ने 28 अक्टूबर 2010 को डीड कराई, दाखिल-खारिज पूरा किया और तब से दखल-कब्जा के साथ लगातार ऑनलाइन रसीद कटवाते आ रहे हैं।  यहां तक कि 2025-26 का लगान भी चुकता है।

      लेकिन 2022 में एक भूमि कारोबारी ने अंचल कार्यालय की मिलीभगत या लापरवाही से फर्जी डीड के जरिए अवैध दाखिल-खारिज करवा लिया। नतीजा? उसी प्लॉट पर दो-दो रसीदें कट रही हैं और मूल मालिकों के सिर पर तलवार लटक रही है। सोशल मीडिया पर डीड वायरल होने के बाद इसकी सच्चाई अप्रैल,2025 में सामने आई, लेकिन प्रशासन ने आंखें मूंद लीं।

      अब जरा शिकायतों की फाइलें पलटिए। यह कोई एक-दो की कहानी नहीं, बल्कि एक पूरा ‘शिकायत महाकाव्य’ है! जून 2025 से ही प्रभावित पक्ष ने उपायुक्त कार्यालय, अपर समाहर्ता, जन शिकायत कोषांग और कांके अंचल अधिकारी के दरवाजे खटखटाए।

      हर आवेदन में एक ही दर्द कि 2010 का वैध दाखिल-खारिज, 2020 की फर्जी डीड और प्रशासन की चुप्पी। शिकायतकर्ताओं ने व्यक्तिगत रूप से कार्यालय पहुंचकर, ई-मेल से, रजिस्टर्ड पोस्ट से और बार-बार लिखित रूप से गुहार लगाई। जन शिकायत कोषांग ने 13 जून 2025 को पत्रांक 2847 से इसे अपर समाहर्ता को फॉरवर्ड किया और अपर समाहर्ता ने 19 जून 2025 को पत्रांक 3079 से अंचल अधिकारी को निर्देश दिए कि नियमानुसार कार्रवाई करो, रिपोर्ट भेजो। लेकिन उसके बाद? सन्नाटा! छह महीने बीत गए, न जांच, न कार्रवाई, न कोई जवाब। ‘क्या यह समयबद्ध प्रशासन’ है?

      और अब आते हैं उपायुक्त महोदय की ‘उपदेश लीला’ पर। आज ही 17 दिसंबर को समाहरणालय के ब्लॉक बी, कमरा संख्या 505 में राजस्व कार्यों की समीक्षा बैठक हुई। उपायुक्त ने राजस्व कर्मचारियों, अमीनों, राजस्व उप निरीक्षकों और अंचल निरीक्षकों को कड़े शब्दों में फटकार लगाई  कि जनता की समस्याओं का निराकरण प्राथमिकता है। कार्यशैली सुधारो, शिकायत मिली तो कठोर कार्रवाई होगी। लोगों को बेवजह चक्कर मत लगवाओ।

      सुनने में कितना अच्छा लगता है न? लेकिन सवाल यह है कि  महोदय, पहले अपनी कुर्सी पर नजर डालिए! जब आपके ही कार्यालय में और आपकी जानकारी में इस भूमि घोटाले की शिकायतें धूल फांक रही हैं, जब प्रभावित पक्ष भय के साए में जी रहे हैं तो यह उपदेश किस काम का?

      क्या यह वही नहीं है कि जहां दूसरों को ज्ञान बांटना आसान है, लेकिन खुद आचरण करना मुश्किल? रामायण रचयिता तुलसीदास बाबा तब न कहते हैं कि ‘पर उपदेश कुशल बहुतेरे, जे आचरहिं ते नर न घनेरे’। यानि उपदेश देने वाले हजारों, लेकिन करने वाले विरले। यहां तो उपायुक्त खुद उस विरले की सूची से गायब लगते हैं!

      जबकि यह मामला सिर्फ एक प्लॉट का नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की सड़ांध को उजागर करता है। भूमि माफिया फल-फूल रहे हैं, फर्जी दस्तावेजों से सरकारी रिकॉर्ड बदल रहे हैं और प्रशासन मीटिंगों में व्यस्त है।

      विशेषज्ञ कहते हैं कि झारखंड भूमि सुधार अधिनियम के तहत ऐसे मामलों में तुरंत जांच और जमाबंदी रद्दीकरण तत्काल जरूरी है, वरना माफिया और मजबूत होंगे। लेकिन यहां तो शिकायतकर्ताओं को चक्कर लगवाने का रिकॉर्ड बन रहा है।

      क्या उपायुक्त महोदय अब अपनी बैठक की चेतावनी खुद पर लागू करेंगे? या यह सिर्फ ‘शो पीस’ है? याद रखिए, उपदेश से नहीं, अपितु आचरण से बदलाव आता है। लेकिन यहां तो खुद पर ही उपदेश गायब हैं!

      - Advertisment -

      1 COMMENT

      LEAVE A REPLY

      Please enter your comment!
      Please enter your name here

      This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

      RELATED ARTICLES
      - Advertisment -

      Most Popular

      - Advertisment -