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राँची डीसी से मिलने निकली मांडर कस्तूरबा स्कूल की सौ छात्राओं ने रो-रोकर बताया अपना बुरा हाल

“शिक्षकों के अभाव में पढ़ाई लिखाई ठीक से नहीं होता है। सुबह का नाश्ता समय पर नहीं मिलता है। साथ ही खाना पीना भी मीनू के अनुसार नहीं होता है। अधिकांश छात्राओं को छात्रवृत्ति नहीं मिली है। खेल सामग्री, किताब कॉपी, बैंड ड्रेस, सांस्कृतिक कार्यक्रम का कपड़ा, मच्छरदानी व दैनिक उपयोग की चीजें नहीं मिलती है….

मांडर (राँची दर्पण)। राँची जिले के मांडर प्रखंड स्थित कस्तूरबा स्कूल की सौ छात्राएं विद्यालय की अव्यवस्था से नाराज होकर पैदल ही डीसी से मिलने रांची के लिए निकल पड़ीं। पुलिस ने रोका तो सबने रो-रोकर विद्यालय का हाल बताया।

छात्राओं का कहना था कि कई विषयों के शिक्षक नहीं रहने के कारण उनकी पढ़ाई बाधित हो रही है। उन्हें छात्रवृत्ति भी नहीं मिल रही है। छात्राएं शाम सात बजे हॉस्टल से निकल गईं।

छात्राओं को रात करीब 10 बजे उन्हें बस से हॉस्टल पहुंचाया गया। जब छात्राएं रोते हुए बाहर निकली तो लोगों को कुछ समझ में नहीं आया। छात्राएं हाथ में तख्ती लेकर निकली थीं। इसी बीच, पुलिस की नजर पड़ गई और सभी को थाने लाया गया।

छात्राओं ने थाने में बताया कि शिक्षकों के अभाव में पढ़ाई नहीं हो पा रही है। केवल दो विषय की पढ़ाई होती है। सुबह का नाश्ता कब मिलेगा। यह निश्चित नहीं रहता। मेन्यू का पालन नहीं होता।

अधिकांश छात्राओं को छात्रवृत्ति नहीं मिली है। खेल सामग्री, किताब कॉपी, बैंड ड्रेस, सांस्कृतिक कार्यक्रम का कपड़ा, मच्छरदानी व दैनिक उपयोग की चीजें नहीं मिलती है।

किसी भी मामले में शिकायत करने पर उन्हें दंडित किया जाता है। शिकायत करने पर 27 जुलाई को 10वीं कक्षा की छात्राओं को चार घंटे तक धूप में खड़ा रखा गया था।

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