नामकुम (रांची दर्पण)। राजधानी के नामकुम स्थित झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) मुख्यालय के बाहर अभ्यर्थियों का हंगामा जारी है। हजारों की संख्या में पहुंचे ये अभ्यर्थी संयुक्त स्नातक योग्यताधारी प्रतियोगिता परीक्षा (सीजीएल) में कथित गड़बड़ी का विरोध कर रहे हैं। नारों और शोर-शराबे के बीच, उनकी मुख्य मांग सीजीएल परीक्षा को रद्द करना और उसकी सीबीआई जांच कराना है।
सुबह 9 बजे से ही अभ्यर्थियों का समूह छात्र संघ के बैनर तले जेएसएससी कार्यालय के बाहर जमा होने लगा। हाथों में बैनर और तख्तियां लिए प्रदर्शनकारी हजारीबाग से पैदल मार्च करते हुए रांची पहुंचे, जहां उन्होंने जोरदार नारेबाजी की। धीरे-धीरे यह भीड़ बढ़कर हजारों में बदल गई। इसी दौरान जेएसएससी के अधिकारी और कर्मचारी मुख्यालय के अंदर दिनभर बंधक बने रहे।
दिनभर के तनाव के बीच दोपहर करीब 2:30 बजे नामकुम के सीओ कार्यालय से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन आक्रोशित अभ्यर्थियों ने उन्हें अंदर ही रोक दिया। शाम 5 बजे अभ्यर्थियों के प्रतिनिधिमंडल और जेएसएससी के अधिकारियों के बीच वार्ता का दौर शुरू हुआ, लेकिन यह भी बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गई।
जेएसएससी के सचिव सुधीर कुमार गुप्ता ने बताया कि सीजीएल परीक्षा में पेपर लीक के आरोपों की जांच अभी चल रही है और जब तक जांच पूरी नहीं होती, तब तक परीक्षा परिणाम घोषित नहीं किए जाएंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि अभ्यर्थियों द्वारा प्रस्तुत किए गए पेन ड्राइव और सीडी में कोई ठोस सबूत नहीं मिले। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अभ्यर्थियों ने इन सबूतों के मूल स्रोत की जानकारी नहीं दी, जिससे जांच में बाधा आ रही है।
वार्ता विफल होने पर प्रदर्शनकारियों का आक्रोश और बढ़ गया। देर शाम करीब 7 बजे प्रदर्शनकारियों ने हल्की पत्थरबाजी शुरू कर दी और बैरिकेटिंग को गिरा दिया। पुलिस को तुरंत हस्तक्षेप करना पड़ा और उन्होंने प्रदर्शनकारियों को समझा-बुझाकर शांत किया।
प्रदर्शनकारी अभ्यर्थी पूरे दिन सीजीएल परीक्षा को रद्द करने और उसकी सीबीआई जांच कराने की मांग पर अड़े रहे। हजारीबाग से पैदल मार्च करते हुए पहुंचे इन अभ्यर्थियों का कहना था कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, तब तक वे विरोध जारी रखेंगे। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि पेपर लीक के पर्याप्त सबूत उनके पास हैं, लेकिन प्रशासन उनकी सुनवाई नहीं कर रहा है।
दिनभर चले इस हंगामे और प्रदर्शन ने जेएसएससी मुख्यालय के कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए परेशानी बढ़ा दी। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी के बावजूद स्थिति नियंत्रण में लाने में काफी समय लगा।
यह विरोध प्रदर्शन इस बात का संकेत है कि राज्य में भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और निष्पक्षता को लेकर अभ्यर्थियों का विश्वास लगातार कमजोर हो रहा है।
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