भाग 3: कांके अंचल से राज शेखर का फर्जी दाखिल-खारिज एक रहस्य
झारखंड में भूमि घोटाला और जानिए राजस्व निबंधन कर्मियों की काली करतूत, जो जिम्मेवार प्रशासन को शर्म आए या न आए, आपको हिलाकर रख देगी...

रांची दर्पण / मुकेश भारतीय। झारखंड की राजधानी रांची के कांके अंचल में दाखिल-खारिज को लेकर प्रशासनिक प्रक्रिया की अनियमितता और लापरवाही बरते जाने का एक बड़ा मामला उजागर हुआ है। वर्ष 2021 में राज शेखर पिता अभय साव ने खाता संख्या-17, आरएस प्लॉट नंबर-1335 की 25 डिसमिल भूमि के 12 डिसमिल पर दाखिल-खारिज करवाया और उनके नाम पर रसीद कटवाना शुरू किया। यह दाखिल-खारिज कई कारणों से संदिग्ध प्रतीत होता है और कई गंभीर सवाल खड़े करता है।
सबसे पहले इस प्लॉट का कुल रकबा केवल 25 डिसमिल है, जो पहले से ही तीन व्यक्तियों- आशा कुमारी (05 डिसमिल), सियाशरण प्रसाद (08 डिसमिल) और बालेश्वर प्रसाद (12 डिसमिल) के नाम पर रजिस्टर्ड और म्यूटेटेड है।
झारखंड भू-राजस्व नियमावली के अनुसार बिना वैध रजिस्ट्री, बिक्री पत्र या सक्षम प्राधिकारी (जैसे अंचल अधिकारी) की अनुमति के दाखिल-खारिज संभव नहीं है। फिर भी राज शेखर के पक्ष में दाखिल-खारिज कैसे स्वीकार किया गया?
दूसरा राज शेखर ने इस भूमि पर कभी भौतिक कब्जे का दावा नहीं किया। आशा कुमारी और उनके सह-स्वामियों ने 2010 से इस भूमि पर निर्विवाद कब्जा बनाए रखा है। उनकी रजिस्ट्री, दाखिल-खारिज रिकॉर्ड और रसीदों से स्पष्ट रूप से साफ सिद्ध होता है। इसके बावजूद कांके अंचल कार्यालय ने राज शेखर के दाखिल-खारिज को मंजूरी दी और उनके नाम पर रसीद जारी की। यह प्रशासनिक प्रक्रिया में गंभीर त्रुटि या संभावित अनियमितता का संकेत देता है।
रांची दर्पण ने इस मामले की गहराई तक जाने के लिए सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम-2005 के तहत कांके अंचल कार्यालय से राज शेखर के दाखिल-खारिज के आधार दस्तावेज (जैसे रजिस्ट्री, बिक्री पत्र या अन्य सबूत), दाखिल-खारिज की स्वीकृति का आदेश, इस प्रक्रिया को मंजूरी देने वाले अधिकारी का नाम आदि जैसे अहम जानकारी मांगी थी।
लेकिन, RTI अधिनियम की धारा 7(1) के तहत निर्धारित 30 दिनों की समयसीमा के बावजूद कांके अंचल कार्यालय ने कोई जवाब नहीं दिया। यह RTI अधिनियम का स्पष्ट उल्लंघन है। इस गतिरोध के खिलाफ प्रथम अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष अपील दाखिल की गई है। साथ ही इस मामले की गहन जाँच के लिए रांची दर्पण ने जिला जन सूचना अधिकारी रांची को एक नया RTI आवेदन दाखिल किया है।
आखिर इस रहस्य के पीछे असल सच क्या है? क्या राज शेखर ने जाली दस्तावेज प्रस्तुत किए या कांके अंचल कार्यालय ने रिकॉर्ड सत्यापन में लापरवाही बरती? यह सवाल इस मामले को और भी रहस्यमय बनाता है।
भू-राजस्व विशेषज्ञों का कहना है कि बिना वैध दस्तावेजों के किया गया दाखिल-खारिज अवैध है और इसे रद्द किया जा सकता है। यदि राज शेखर के दस्तावेज जाली पाए जाते हैं, तो यह भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धारा 316(2) (धोखाधड़ी), धारा 336 (दस्तावेजों की जालसाजी) और धारा 337 (जालसाजी द्वारा धोखाधड़ी) के तहत आपराधिक मामला दर्ज हो सकता है।
आगे रांची दर्पण इस मामले की तह तक जाने के लिए प्रतिबद्ध है। अगले लेख में हम इस प्लॉट से जुड़े एक और चौंकाने वाले पहलू पर चर्चा करेंगे- 25 डिसमिल की भूमि पर 37 डिसमिल की रसीदः प्रशासनिक लापरवाही मिलिभगत का सबूत और इसके पीछे छुपे जमीन दलालों का षड्यंत्र।
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क्या आपने भी झारखंड में भूमि रिकॉर्ड से संबंधित समस्याएँ झेली हैं? क्या आपके पास भी दाखिल-खारिज या रसीद से संबंधित मनमानी बरते जाने या समस्या नहीं सुने जाने का कोई अनुभव है? तो हमें अपनी कहानी बताएँ। शायद राँची दर्पण आपके दर्द कम करने का जरिया बन जाए। संपर्क करें:
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सच मानिए, रांची दर्पण का यह प्रयास झारखंड के नागरिकों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने और प्रशासनिक सुधार की माँग करने का एक कदम है। हमारे साथ जुड़े रहें, क्योंकि हम इस मामले को और गहराई से उजागर करेंगे। ताकि हरेक नागरिक वह सब कुछ जान सकें, जैसा कि जमीनी स्तर पर भयानक खेल चल रहा है। इसका शिकार कोई भी कहीं भी कभी भी हो सकता है।
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