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भगवान बिरसा मुंडा के पड़पोता को रिम्स में नहीं मिला सुसमय इलाज, CM के आदेश के बाबजूद बाहर से खरीदनी पड़ी दवाई

Great-grandson of Bhagwan Birsa Munda did not get timely treatment in RIMS, despite CM's order, medicine had to be bought from outside
Great-grandson of Bhagwan Birsa Munda did not get timely treatment in RIMS, despite CM's order, medicine had to be bought from outside

रांची दर्पण डेस्क। झारखंड की माटी के महान स्वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा मुंडा के पड़पोता मंगल मुंडा सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद रांची के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स (राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) में समय पर इलाज नहीं पा सके।

हादसे के बाद उन्हें रिम्स लाया गया था। पर अस्पताल प्रबंधन ने बेड की कमी का हवाला देते हुए उन्हें भर्ती नहीं किया। यह घटना 25 नवंबर की रात की है।  मंगल मुंडा के भाई जंगल सिंह मुंडा के अनुसार वे रात 10 बजे रिम्स पहुंचे थे और ऑक्सीजन वाले बेड की मांग की थी। लेकिन उन्हें बताया गया कि कोई बेड खाली नहीं है। अस्पताल के डॉक्टरों ने भी उन्हें इमरजेंसी में भर्ती नहीं किया।

बता दें कि मंगल मुंडा और उनके परिजन एक सड़क हादसे का शिकार हुए थे, जब उनका टाटा मैजिक वाहन खूंटी के तमाड़ रोड पर रूताडीह के पास एक मोड़ पर पलट गया। इस हादसे में मंगल मुंडा के सिर पर गंभीर चोट आई। जिससे उनके ब्रेन के दोनों तरफ खून के थक्के जम गए थे। स्थिति इतनी गंभीर थी कि उन्हें तत्काल ऑपरेशन की आवश्यकता थी। लेकिन रिम्स में बेड न मिलने के कारण वे पूरी रात एंबुलेंस में ही रहे।

अंततः 26 नवंबर की सुबह पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के हस्तक्षेप के बाद अस्पताल के डॉक्टरों ने मंगल मुंडा की जांच शुरू की। लेकिन तब तक काफी समय बीत चुका था। रिम्स के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) ने स्थिति की गंभीरता को स्वीकारते हुए कहा कि बेड न होने की समस्या थी।

इसी दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी हस्तक्षेप करते हुए मंगल मुंडा के इलाज के निर्देश दिए। लेकिन इसके बाद भी परिजनों को बाहर से करीब 15,000 रुपये की दवाइयाँ खरीदनी पड़ीं।

बता दें कि 26 नवंबर को इस घटना की खबरें मीडिया में आने के बाद प्रशासन सक्रिय हुआ। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन 27 नवंबर को स्वयं रिम्स पहुंचे और मंगल मुंडा के स्वास्थ्य का जायजा लिया। इसके बाद डॉक्टरों को उनके इलाज के लिए विशेष निर्देश दिए गए।

उसके बाद डॉक्टर आनंद प्रकाश की अगुवाई में मंगल मुंडा के ब्रेन का जटिल ऑपरेशन सफलतापूर्वक पूरा किया गया। जिसमें उनके मस्तिष्क से खून के थक्के हटाए गए। यह ऑपरेशन चार घंटे तक चला। जो काफी जटिल था। हालांकि उनकी स्थिति अभी भी नाजुक बनी हुई है और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया है।

इस घटना ने राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। खासकर उस समय जब राज्य के महान स्वतंत्रता सेनानी के परिवार को भी समय पर इलाज उपलब्ध नहीं हो सका।

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