Home समस्या कुड़मी आंदोलन को लेकर देवेन्द्र नाथ और सुदेश महतो समेत 6 नेताओं...

कुड़मी आंदोलन को लेकर देवेन्द्र नाथ और सुदेश महतो समेत 6 नेताओं पर FIR

FIR against six leaders, including Devendra Nath and Sudesh Mahato, over the Kudmi agitation

रांची (रांची दर्पण)। झारखंड की राजनीतिक और सामाजिक हलचल में एक बार फिर आंदोलन की लहर दौड़ गई। 20 सितंबर 2025 को आदिवासी कुड़मी समाज द्वारा आहूत ‘रेल टेका डहर छेका’ आंदोलन ने रांची के मूरी-सिल्ली रेल खंड को हिला दिया। हजारों समर्थकों के साथ उतरे प्रमुख नेता देवेंद्र नाथ महतो ने पुलिस की सख्ती को चुनौती दी, लेकिन आंदोलन के बाद कानूनी कार्रवाई का दौर शुरू हो गया।

जेएलकेएम के वरीय उपाध्यक्ष देवेंद्र नाथ महतो समेत छह नेताओं के खिलाफ आरपीएफ ने प्राथमिकी दर्ज कर ली है। यह घटना न केवल कुड़मी समाज की लंबे समय से चली आ रही मांगों को रौशनी डालती है, बल्कि राज्य सरकार और आंदोलनकारियों के बीच तनाव को भी उजागर करती है।

आंदोलन की पृष्ठभूमि में कुड़मी समाज की कुड़मी जाति को अनुसूचित जनजाति (ST) की सूची में शामिल करना, कुड़माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान देना और सरना धर्म कोड को आधिकारिक मान्यता प्रदान करना प्रमुख मांगें हैं। इन मुद्दों पर वर्षों से चली आ रही उपेक्षा ने आंदोलन को जन्म दिया।

20 सितंबर को सिल्ली विधानसभा क्षेत्र से शुरू हुआ यह कारवां लगभग 20 किलोमीटर पैदल मार्च के बाद मूरी-सिल्ली रेलवे स्टेशन पर पहुंचा। प्रमुख नेता देवेंद्र नाथ महतो, जिन्हें पुलिस दो दिनों से डिटेन करने की कोशिश में जुटी थी, उन्होंने समर्थकों का नेतृत्व संभाला। वे बचते-बचाते आंदोलन स्थल पर पहुंचे और रेल पटरी पर धरना दे दिया।

जैसे ही आंदोलनकारियों का जनसैलाब उमड़ा, नारों का दौर शुरू हो गया। कुड़मी को ST बनाओ, कुड़माली को आठवीं अनुसूची में शामिल करो, सरना धर्म कोड लागू करो!। हजारों की भीड़ ने रेलवे ट्रैक को अवरुद्ध कर दिया, जिससे ट्रेन सेवाएं ठप हो गईं।

पुलिस प्रशासन ने आंदोलन को विफल बनाने के लिए पहले से ही कमर कस ली थी। भारी संख्या में फोर्स तैनात की गई, लेकिन आंदोलनकारियों की एकजुटता ने सबको चौंका दिया। रात करीब 10 बजे तक चले हाई-वोल्टेज ड्रामे के बीच देवेंद्र नाथ महतो और सरकारी अधिकारियों के बीच सकारात्मक वार्ता हुई। इसके बाद आंदोलन स्थगित कर दिया गया और रेल सेवा सुचारू रूप से बहाल हो गई।

हालांकि, शांति बहाली के बाद पुलिस की कार्रवाई तेज हो गई। आरपीएफ पोस्ट/मूरी ओपी में 20 सितंबर 2025 को केस संख्या 2158/25 के तहत धारा 145 (अवैध जमावड़ा), 146 (दंगा भड़काना), 147 (दंगा करना) और रेल अधिनियम की धारा 174 (क) के तहत FIR दर्ज की गई।

मुख्य अभियुक्त बनाए गए देवेंद्र नाथ महतो (जेएलकेएम केंद्रीय वरीय उपाध्यक्ष) के अलावा सुदेश कुमार महतो (आजसू पार्टी के पूर्व विधायक और नेता), रामपदो महतो (जेएलकेएम वरिष्ठ नेता), कृष्ण महतो (जेएलकेएम सिल्ली विधानसभा प्रभारी), डोला महतो (आदिवासी कुड़मी समाज) और श्रीकांत महतो (आदिवासी कुड़मी समाज) अन्य को भी आरोपी बनाया गया है। इन नेताओं पर रेलवे संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और यातायात बाधित करने का आरोप लगाया गया है।

आंदोलन स्थल पर प्रशासन की पूरी टीम मौजूद थी। एडीएम रांची, सिल्ली बीडीओ, राहे बीडीओ, सीओ सिल्ली, रांची ग्रामीण एसपी, रांची आरपीएफ डीएसपी और मूरी आरपीएफ एएसआई सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे। उनकी मौजूदगी ने आंदोलन को नियंत्रित रखने में मदद की, लेकिन एफआईआर से साफ है कि सरकार आंदोलन को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है।

यह आंदोलन झारखंड की आदिवासी राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है। देवेंद्र नाथ महतो जैसे नेताओं का दृढ़ संकल्प और कुड़मी समाज की बढ़ती जागरूकता राज्य सरकार के लिए चुनौती बन गई है। क्या वार्ता से मांगें पूरी होंगी या कानूनी जंग लंबी खिंचेगी? आने वाले दिनों में इसका जवाब मिलेगा।

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version