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DSPMU भवन बना खतरे का घर, 35 करोड़ से 3 साल पहले हुआ निर्माण

DSPMU building becomes a dangerous house, constructed 3 years ago at a cost of Rs 35 crore

रांची दर्पण डेस्क। राजधानी रांची अवस्थित डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय (DSPMU) में करीब 35 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित नया भवन महज तीन साल में ही जर्जर हालत में पहुंच चुका है। नवंबर 2022 में तत्कालीन राज्यपाल रमेश बैस द्वारा उद्घाटन के बाद इस भवन में एमबीए, मास कम्युनिकेशन और कॉमर्स जैसे महत्वपूर्ण विभाग संचालित हो रहे हैं।

लेकिन, इस भवन की स्थिति अब इतनी खराब हो चुकी है कि यह न केवल छात्रों और शिक्षकों के लिए असुविधाजनक, बल्कि सुरक्षा के लिहाज से भी खतरे का सबब बन गया है। दीवारों में दरारें, रिसाव के दाग, टूटी सीढ़ियां और गंदगी से भरी लिफ्ट इस भवन की बदहाली की कहानी बयां कर रही हैं।

चार मंजिला इस भवन में 70 क्लासरूम, हर फ्लोर पर कंप्यूटर लैब, 250 लोगों की क्षमता वाला सेमिनार हॉल, फैकल्टी रूम और कॉमन रूम जैसी सुविधाएं मौजूद हैं। इसके बावजूद, भवन की गुणवत्ता और रखरखाव की कमी ने इसे बदहाल कर दिया है।

अधिकांश क्लासरूम की दीवारें बदरंग हो चुकी हैं और जगह-जगह पानी के रिसाव के दाग साफ दिखाई देते हैं। कई हिस्सों में दीवारों का प्लास्टर झड़ रहा है और लोहे की सरिया बाहर निकल आई है, जो भवन की संरचनात्मक कमजोरी को दर्शाता है।

सीढ़ियों और रेलिंग की हालत भी जर्जर है, जिससे छात्रों और शिक्षकों को आवागमन में परेशानी हो रही है। बालकनी के दरवाजों से शीशे गायब हैं, जिसके कारण दुर्घटना का खतरा बना रहता है। बाथरूम की स्थिति तो और भी चिंताजनक है। सभी दरवाजे टूट चुके हैं, नल उखड़े पड़े हैं, और यूरिनल तक क्षतिग्रस्त हैं। स्वच्छता के बुनियादी संसाधनों का अभाव छात्र-छात्राओं के लिए गंभीर समस्या बन गया है।

भवन में लगी लिफ्ट गंदगी से भरी पड़ी है और कई दिनों से इसकी सफाई नहीं हुई है। यह लिफ्ट अब उपयोग के लिए असुरक्षित हो चुकी है। इसके अलावा भवन में गर्ल्स और ब्वॉयज के लिए अलग-अलग जिम की सुविधा की योजना थी, लेकिन तीन साल बाद भी यह सुविधा शुरू नहीं हो पाई है। विश्वविद्यालय प्रशासन की उदासीनता और रखरखाव में लापरवाही ने इन सुविधाओं को बेकार कर दिया है।

35 करोड़ रुपये की लागत से बने इस भवन की यह स्थिति निर्माण की गुणवत्ता और रखरखाव की कमी पर गंभीर सवाल उठाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि निर्माण के दौरान उपयोग की गई सामग्री और कार्य की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया गया। इसके साथ ही, नियमित रखरखाव के अभाव ने स्थिति को और बदतर कर दिया है। छात्रों और शिक्षकों का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन इस मामले में पूरी तरह उदासीन रहा है।

छात्रों का कहना है कि भवन की बदहाल स्थिति न केवल उनकी पढ़ाई को प्रभावित कर रही है, बल्कि उनकी सुरक्षा को भी खतरे में डाल रही है। क्लासरूम में बैठते समय डर लगता है कि कहीं दीवार का कोई हिस्सा गिर न जाए। बाथरूम की स्थिति इतनी खराब है कि उपयोग करना मुश्किल है। शिक्षकों ने भी इस मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की है।

विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से इस मामले में अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। भवन की मरम्मत और रखरखाव के लिए कोई योजना सामने नहीं आई है। अगर स्थिति यही रही तो यह भवन जल्द ही पूरी तरह असुरक्षित हो सकता है। स्थानीय लोगों और अभिभावकों ने भी इस मामले में चिंता जताई है और सरकार से इसकी जांच की मांग की है।

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