डांड़ी के पानी पर निर्भर ठुंगरुडीह के ग्रामीण, नल योजना अधूरी

Villagers of Thungrudih depend on water from Dandi, tap scheme incomplete
Villagers of Thungrudih depend on water from Dandi, tap scheme incomplete

सिल्ली (रांची दर्पण संवाददाता)। सिल्ली प्रखंड के गोड़ाडीह पंचायत अंतर्गत ठुंगरुडीह गांव के उपर टोला में बुनियादी सुविधाओं का अभाव ग्रामीणों के लिए अभिशाप बन गया है। करीब 40 परिवारों और 200 लोगों की आबादी वाला यह आदिवासी बहुल गांव बिजली और पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। पहाड़ी क्षेत्र में बसे इस टोले के लोग डांड़ी (डोभा) का दूषित पानी पीने को मजबूर हैं, जबकि सरकारी योजनाएं कागजों तक सीमित रह गई हैं।

ग्रामीणों के अनुसार, वर्ष 2020 में लघु जलापूर्ति योजना के तहत 4 हजार लीटर क्षमता वाला सोलर जलमिनार बनाया गया था, जो पेयजल की समस्या का समाधान करने के लिए था। लेकिन यह जलमिनार पिछले पांच महीनों से खराब पड़ा है। रखरखाव के अभाव में यह संरचना बेकार हो चुकी है। इसके अलावा जल नल योजना के तहत एक अन्य जलमिनार का निर्माण कार्य पिछले एक साल से अधूरा है। अधूरे निर्माण और सरकारी उदासीनता ने ग्रामीणों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।

उपर टोला के लोग बताते हैं कि गांव में एक कुआं मौजूद है, लेकिन गर्मी के मौसम में इसका जलस्तर काफी नीचे चला गया है, जिससे यह उपयोग के लायक नहीं रहा। नतीजतन, ग्रामीणों को दुर्गम पहाड़ी रास्तों से गुजरते हुए नीचे स्थित डांड़ी से पानी लाना पड़ता है। यह डांड़ी का पानी न केवल दूषित है, बल्कि इसे लाने में ग्रामीणों, खासकर महिलाओं और बच्चों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

ग्रामीण रमेश मुंडा कहते हैं, “हमारे पास कोई विकल्प नहीं है। डांड़ी का पानी ही हमारी जिंदगी का सहारा है, चाहे वह कितना भी असुरक्षित क्यों न हो।”

पानी के साथ-साथ बिजली की समस्या भी इस गांव के लिए गंभीर चुनौती बनी हुई है। उपर टोला में बिजली की आपूर्ति न के बराबर है। रात के समय गांव अंधेरे में डूब जाता है, जिससे बच्चों की पढ़ाई और दैनिक कार्य प्रभावित हो रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि बिजली के अभाव में न तो मोबाइल चार्ज हो पाता है और न ही अन्य जरूरी कार्य पूरे हो पाते।

ठुंगरुडीह के ग्रामीणों ने प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। वे चाहते हैं कि खराब सोलर जलमिनार की मरम्मत हो, अधूरे जलमिनार का निर्माण कार्य पूरा हो, और बिजली की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित की जाए।

ग्रामीण महिला सुनीता देवी ने बताया, “हमारे बच्चे और हम बीमार पड़ रहे हैं, क्योंकि डांड़ी का पानी पीने से पेट की समस्याएं हो रही हैं। सरकार को हमारी सुध लेनी चाहिए।”

स्थानीय प्रशासन से इस मामले में कोई ठोस जवाब नहीं मिला है। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार शिकायत करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। यह स्थिति न केवल सरकारी योजनाओं की विफलता को दर्शाती है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की अनदेखी को भी उजागर करती है।

बहरहाल, ठुंगरुडीह गांव का यह हाल विकास के सरकारी दावों की पोल खोलता है। जब तक प्रशासन इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाता, तब तक उपर टोला के लोग डांड़ी के पानी और अंधेरे की जिंदगी जीने को मजबूर रहेंगे। यह समाचार न केवल एक गांव की व्यथा को सामने लाता है, बल्कि यह सवाल भी उठाता है कि क्या वाकई में विकास की किरणें इन दुर्गम क्षेत्रों तक पहुंच पाएंगी?

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