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झारखंड हाईकोर्ट ने रांची डीसीएलआर को नापा, 25 हजार का जुर्माना, 7 को कोर्ट बुलाया

रांची (रांची दर्पण)। झारखंड हाईकोर्ट ने न्यायिक आदेशों के अनुपालन में लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए रांची डिप्टी कलेक्टर लैंड रिफॉर्म (डीसीएलआर) मुकेश कुमार पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। यह आदेश न्यायमूर्ति गौतम कुमार चौधरी की अदालत ने अनिल कुमार सिंह बनाम राज्य सरकार से संबंधित अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि एक वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बावजूद आदेश का पालन न होना प्रशासनिक सुस्ती और उदासीनता को दर्शाता है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

एक साल बाद भी नहीं हुआ आदेश का पालनः हाई कोर्ट ने 11 जनवरी 2024 को रिट याचिका संख्या 2493/2007 में स्पष्ट आदेश पारित करते हुए अजित कुमार बरियार एवं अन्य के नाम पर खोली गई दोहरी जमाबंदी को अमान्य घोषित कर दिया था। इसके बावजूद डीसीएलआर रांची द्वारा आवश्यक कार्रवाई नहीं की गई, जिससे पीड़ित पक्ष को न्याय के लिए फिर से अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा।

1963 से जुड़ा है जमीन का विवादः मामले की जड़ें वर्ष 1963 तक जाती हैं, जब देवकली देवी नामक महिला ने रांची के लालगुटुआ मौजा में 43 डिसमिल जमीन विधिवत रूप से खरीदी थी। खरीद के बाद जमीन का म्यूटेशन भी कराया गया और वर्षों तक नियमित रूप से लगान की रसीद कटती रही।

हालांकि, वर्ष 2000 में पुराने जमीन मालिक के कुछ रिश्तेदारों ने कथित रूप से चालाकी करते हुए उसी जमीन को दोबारा अजित कुमार बरियार के नाम बेच दिया। इसके बाद अवैध रूप से दोहरी जमाबंदी खोल दी गई, जिसे लेकर लंबे समय से कानूनी लड़ाई चल रही थी।

अवमानना याचिका पर कड़ा रुखः देवकली देवी के पुत्र द्वारा दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने डीसीएलआर रांची की भूमिका पर कड़ी नाराजगी जताई। कोर्ट ने आदेश दिया कि डीसीएलआर, रांची एक सप्ताह के भीतर 25 हजार रुपये का डिमांड ड्राफ्ट याचिकाकर्ता के नाम से कोर्ट में जमा करें।

7 जनवरी को कोर्ट में हाजिरी अनिवार्यः कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि निर्धारित समय सीमा में आदेश का अनुपालन नहीं हुआ, तो 7 जनवरी को डीसीएलआर रांची को व्यक्तिगत रूप से हाई कोर्ट में उपस्थित होना होगा। यह आदेश प्रशासनिक अधिकारियों के लिए एक कड़ा संदेश माना जा रहा है कि न्यायालय के आदेशों की अवहेलना किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है।

अधिवक्ता विशाल कुमार राय ने की पैरवीः इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विशाल कुमार राय ने प्रभावी ढंग से पैरवी की। कानूनी जानकारों का कहना है कि यह फैसला न केवल पीड़ित पक्ष को राहत देगा, बल्कि भविष्य में अधिकारियों को अदालत के आदेशों के प्रति अधिक जिम्मेदार बनाने में भी अहम भूमिका निभाएगा।

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