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CIP की 147 एकड़ जमीन गायब! बिहारी याचिकाकर्ता ने झारखंडी अफसरों को जगाया, HC ने लगाई फटकार

147 acres of CIP land have gone missing! A petitioner from Bihar alerted Jharkhand officials, and the High Court reprimanded them.

रांची दर्पण डेस्क। झारखंड हाइकोर्ट ने कांके स्थित केंद्रीय मनोरोग संस्थान (CIP) की जमीन पर अतिक्रमण के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान व जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान पक्ष सुनने के बाद राज्य व केंद्र सरकार के अधिकारियों की निष्क्रियता पर सख्त टिप्पणी की।

खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि यह बेहद आश्चर्यजनक है कि सरकारी संपत्तियों के संरक्षक माने जानेवाले अधिकारी गहरी निंद्रा में थे। उन्हें एक ऐसे व्यक्ति की पहल पर जागना पड़ा है, जो बिहार राज्य का निवासी है।

खंडपीठ ने 19 नवंबर 2025 को दिये गये अपने आदेश का हवाला देते हुए कहा कि सीआइपी की जमीन पर अतिक्रमण हटाने के लिए उपायुक्त की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित की गयी थी। समिति को दो सप्ताह के भीतर भूमि का सीमांकन कर अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया गया था।

कोर्ट के समक्ष रांची एलआरडीसी के शपथ पत्र से यह बात सामने आयी है कि सीआइपी के पास वास्तविक कब्जे में केवल 229.29 एकड़ भूमि पायी गयी है, जबकि सीआइपी के अनुसार उसकी कुल भूमि 376.222 एकड़ (1570 बीघा, 37 कट्ठा, 26 छटांक) है। लगभग 147 एकड़ भूमि का कोई स्पष्ट हिसाब नहीं दिया गया है। अर्थात 147 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण है।

खंडपीठ ने सख्त नाराजगी जतायी कि शपथ पत्र में सिर्फ सीआइपी के गेट पर अतिक्रमण हटाने की बात कही गयी है, जबकि अन्य अतिक्रमण के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं एलआरडीसी के शपथ पत्र में नहीं दी गयी है। निरीक्षण के समय सीआइपी का प्रतिनिधि मौजूद था, लेकिन वह अतिक्रमित जमीन को नहीं दिखा सका। बाद में रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करते समय उसने अतिक्रमण होने की बात तो कही, परंतु स्थान का उल्लेख नहीं किया।

खंडपीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा कि यह रवैया कोर्ट के आदेशों के प्रति गंभीर लापरवाही को दर्शाता है। खंडपीठ ने प्रतिवादियों के प्रति शपथ पत्र पर जवाब दाखिल करने के लिए प्रार्थी को चार सप्ताह का समय दिया। खंडपीठ ने यह भी स्पष्ट किया है कि कोई अन्य कोर्ट या प्राधिकरण इस मामले की सुनवाई नहीं करेगा।

मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 27 जनवरी 2026 की तिथि निर्धारित की। उल्लेखनीय है कि प्रार्थी विकास चंद्रा ने जनहित याचिका दायर की है। उन्होंने सीआइपी की जमीन से अतिक्रमण हटाने की मांग की है।

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