रांची दर्पण डेस्क। झारखंड पुलिस के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है। राज्य की प्रभारी डीजीपी रहीं 1994 बैच की आईपीएस अधिकारी तदाशा मिश्र को झारखंड की पहली पूर्णकालिक महिला पुलिस महानिदेशक (DGP) नियुक्त किया गया है। इस संबंध में गृह विभाग ने औपचारिक आदेश जारी कर दिया है।
अब तदाशा मिश्र अगले दो वर्षों तक राज्य की सर्वोच्च पुलिस अधिकारी के रूप में कार्य करेंगी। यह नियुक्ति न केवल महिला सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम है, बल्कि पुलिस प्रशासन में स्थायित्व और निरंतरता का भी संकेत देती है।
झारखंड सरकार ने डीजीपी के चयन को लेकर 8 जनवरी 2025 को अधिसूचना जारी की थी। इसके तहत पूर्णकालिक डीजीपी की नियुक्ति के लिए यह शर्त रखी गई थी कि अधिकारी के पास सेवानिवृत्ति से पहले कम से कम छह माह का कार्यकाल शेष होना चाहिए। इसी नियमावली के तहत पहले डीजीपी पद पर अनुराग गुप्ता की नियुक्ति हुई थी।
हालांकि, सरकार ने 29 दिसंबर 2025 को इस नीति में महत्वपूर्ण संशोधन किया। संशोधित नियमों के अनुसार अब पूर्णकालिक डीजीपी की नियुक्ति के लिए 30 वर्षों की सेवावधि को आधार बनाया गया है और छह माह शेष रहने की बाध्यता को शिथिल कर दिया गया है।
तदाशा मिश्र पहले ही 30 वर्षों की सेवावधि पूरी कर चुकी थीं, इसलिए उनकी सेवा की गणना पूर्व वर्षों से की गई। इसी आधार पर उन्हें पूर्णकालिक डीजीपी नियुक्त किया गया और अब वे 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त नहीं होंगी।
ओडिशा में जन्मी तदाशा मिश्र एक साधारण परिवार से आती हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा और पारिवारिक पृष्ठभूमि को लेकर अधिक सार्वजनिक जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन उनकी प्रशासनिक यात्रा अपने आप में प्रेरणादायक है।
उन्होंने आईपीएस परीक्षा पास कर 1994 में बिहार कैडर से सेवा की शुरुआत की। वर्ष 2000 में झारखंड राज्य गठन के बाद वे झारखंड कैडर में स्थानांतरित हो गईं। इसके बाद तीन दशकों से अधिक समय तक उन्होंने राज्य पुलिस को विभिन्न स्तरों पर मजबूती दी।
अपने 30 वर्षों से अधिक के कैरियर में तदाशा मिश्र ने कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया किया है।
एसपी के रूप में योगदान: गिरिडीह, बोकारो और रांची सिटी की पुलिस अधीक्षक रहीं। इन जिलों में अपराध नियंत्रण, कानून-व्यवस्था और नागरिक सुरक्षा के क्षेत्र में उनके काम की व्यापक सराहना हुई।
आईजी और एडीजीपी: पुलिस प्रशिक्षण, जांच प्रणाली और आपदा प्रबंधन जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में उन्होंने नेतृत्व दिया।
स्पेशल सेक्रेटरी, होम, प्रिजन एंड डिजास्टर मैनेजमेंट: मई 2025 तक वे गृह विभाग में इस पद पर तैनात रहीं, जहां उन्होंने जेल सुधार, आंतरिक सुरक्षा और आपदा प्रबंधन नीतियों को मजबूती देने का कार्य किया।
वे एक कठोर लेकिन न्यायप्रिय प्रशासक के रूप में जानी जाती हैं, जो जांच प्रक्रिया को मजबूत करने और अपराधियों को त्वरित सजा दिलाने पर जोर देती हैं।
7 नवंबर 2025 को तदाशा मिश्र को झारखंड पुलिस का कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किया गया था। यह नियुक्ति राज्य के 25 वर्षीय इतिहास में पहली बार किसी महिला को यह जिम्मेदारी सौंपे जाने के कारण ऐतिहासिक थी।
पूर्व डीजीपी अनुराग गुप्ता के स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने रांची स्थित पुलिस मुख्यालय में कार्यभार संभाला और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सौजन्य भेंट की। अब पूर्णकालिक नियुक्ति के साथ उनकी भूमिका और भी निर्णायक हो गई है।
डीजीपी के रूप में तदाशा मिश्र ने स्पष्ट किया है कि उनकी प्राथमिकताओं में जांच प्रक्रिया को मजबूत बनाना, पुलिस व्यवस्था में जवाबदेही सुनिश्चित करना, नागरिक-मित्रवत पुलिसिंग को बढ़ावा देना और राज्य सरकार की आंतरिक सुरक्षा नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करना शामिल है।
उन्होंने पूर्णकालिक डीजीपी का पद संभालते ही अधिकारियों से अपील की है कि वे नागरिकों के साथ गरिमा और संवेदनशीलता से पेश आएं और अपराधियों के खिलाफ बिना देरी कार्रवाई सुनिश्चित करें।
तदाशा मिश्र दो बेटों की मां हैं। वर्ष 2018 में अपने एक बेटे को खोना उनके जीवन का सबसे कठिन दौर रहा। इस व्यक्तिगत त्रासदी के बावजूद उन्होंने अपने कर्तव्यों को कभी प्रभावित नहीं होने दिया।
वे निजी जीवन को लेकर कम बोलती हैं, लेकिन उनकी कहानी रेजिलिएंस और आत्मबल की मिसाल है। एक ऐसी महिला अधिकारी, जिसने निजी दुख को ताकत में बदला।
झारखंड की पहली पूर्णकालिक महिला डीजीपी के रूप में तदाशा मिश्र की नियुक्ति को समाज के हर वर्ग में सकारात्मक संदेश के रूप में देखा जा रहा है। यह नियुक्ति उन महिलाओं के लिए प्रेरणा है, जो अब भी पुरुष-प्रधान क्षेत्रों में आगे बढ़ने का सपना देखती हैं।









