
रांची दर्पण डेस्क। झारखंड की राजधानी रांची स्थित राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) अपनी बहुमूल्य जमीन को अतिक्रमणकारियों के चंगुल से बचाने के लिए अब सख्त कदम उठाने जा रहा है। रिम्स प्रबंधन ने जमीन की सुरक्षा के लिए बाउंड्री वॉल बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। शासी परिषद से आवश्यक अनुमति मिलने के बाद निविदा प्रक्रिया पूरी कर ली गई है और जल्द ही एजेंसी का चयन होगा। इसके बाद बाउंड्री निर्माण का काम युद्धस्तर पर शुरू कर दिया जाएगा। यह कवायद न केवल रिम्स की संपत्ति को सुरक्षित रखेगी, बल्कि अस्पताल परिसर में अनधिकृत आवागमन को भी रोकने में मदद करेगी।

बता दें कि रिम्स की जमीन पर अतिक्रमण की समस्या वर्षों से चली आ रही है, लेकिन अब यह चरम पर पहुंच गई है। सबसे ज्यादा अतिक्रमण रिम्स तालाब के पीछे वाली जमीन पर हुआ है। यहां अवैध रूप से अपार्टमेंट, निजी आवास और यहां तक कि धार्मिक स्थलों के लिए भी जमीन चिन्हित कर ली गई है। डीआईजी ग्राउंड, जो पूरी तरह से रिम्स की संपत्ति है, उस पर भी अतिक्रमणकारियों ने कब्जा जमा लिया है। इन अवैध निर्माणों ने न केवल अस्पताल की जमीन को हड़प लिया है, बल्कि परिसर की सुरक्षा और स्वच्छता को भी खतरे में डाल दिया है।
रिम्स प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हमारी जमीन पर हो रहे अतिक्रमण को रोकने के लिए बाउंड्री वॉल बनाना जरूरी हो गया है। डीआईजी ग्राउंड, हॉस्टल क्षेत्र और डॉक्टर्स कॉलोनी की पूरी परिधि को सुरक्षित करने का जिम्मा चुनी गई एजेंसी को सौंपा जाएगा। इससे न केवल अतिक्रमण रुकेगा, बल्कि अस्पताल की मूल संपत्ति भी संरक्षित रहेगी।
बाउंड्री निर्माण से पहले रिम्स प्रशासन अतिक्रमणकारियों को सख्त चेतावनी देने जा रहा है। इसके लिए बड़गाई अंचलाधिकारी से आग्रह किया जाएगा कि वे अवैध कब्जेदारों को नोटिस जारी करें। प्रशासन का स्पष्ट कहना है कि बाउंड्री वॉल बनाने से पहले सभी अतिक्रमणों को हटाया जाएगा। यदि कोई व्यक्ति या संस्था स्वेच्छा से जमीन खाली नहीं करता तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
रिम्स निदेशक ने कहा कि रिम्स झारखंड का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है और इसकी जमीन सार्वजनिक संपत्ति है। हम इसे किसी भी कीमत पर बचाएंगे। जिला प्रशासन से लगातार सहयोग मांगा जा रहा है और बड़गाई अंचल के माध्यम से कार्रवाई की जा रही है।
अतिक्रमण रोकने के साथ-साथ रिम्स प्रशासन ने परिसर में अनधिकृत रास्तों को बंद करने का भी फैसला लिया है। अस्पताल परिसर में प्रवेश के लिए केवल दो आधिकारिक द्वार ही खुले रहेंगे। पहला द्वार दुर्गा मंदिर के पास से और दूसरा बरियातू थाना के सामने से होगा। इसी तरह डॉक्टर्स कॉलोनी जाने के लिए केवल एक रास्ता उपलब्ध रहेगा, जो क्षेत्रीय नेत्र संस्थान की बिल्डिंग के सामने वाला होगा।
हॉस्टल के पीछे से जो अवैध रास्ते तोड़कर बनाए गए हैं, उन्हें पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा। इससे न केवल सुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि अस्पताल में मरीजों और स्टाफ की सुविधा भी सुनिश्चित होगी। प्रशासन ने चेतावनी दी है कि इन नियमों का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी।
रिम्स प्रशासन पिछले कई महीनों से अपनी जमीन बचाने के लिए जिला प्रशासन और बड़गाई अंचल से गुहार लगा रहा था। अब इन प्रयासों का असर दिखने लगा है। अंचलाधिकारी ने आश्वासन दिया है कि अतिक्रमण हटाने में पूरा सहयोग किया जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि बाउंड्री वॉल बनने से रिम्स की करीब 50 एकड़ से अधिक जमीन सुरक्षित हो जाएगी, जो भविष्य में अस्पताल विस्तार के लिए उपयोगी साबित होगी।
रिम्स झारखंड ही नहीं, पड़ोसी राज्यों के मरीजों के लिए भी जीवनरेखा है। यहां रोजाना हजारों मरीज इलाज के लिए आते हैं। अतिक्रमण के कारण अस्पताल की जमीन सिकुड़ती जा रही है, जिससे पार्किंग, ग्रीन एरिया और नए वार्ड बनाने में दिक्कत हो रही है। बाउंड्री वॉल न केवल संपत्ति बचाएगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और सुरक्षा व्यवस्था को भी मजबूत करेगी।
रिम्स प्रबंधन का दावा है कि निविदा प्रक्रिया पूरी होने के बाद एक महीने के अंदर बाउंड्री निर्माण शुरू हो जाएगा। शहरवासी उम्मीद कर रहे हैं कि यह कवायद सफल होगी और रिम्स की जमीन हमेशा के लिए सुरक्षित हो जाएगी।









