
रांची दर्पण डेस्क। झारखंड की राजधानी रांची के ओरमांझी थाना में पुलिस की कड़ी निगरानी में रखे गए करीब 200 किलो गांजा चूहों ने फूंक डाले। यह पुलिस ने कोर्ट को बताया है।
यह मामला एनडीपीएस एक्ट के तहत दर्ज केस से जुड़ा है, जिसमें अदालत ने सबूतों की गंभीर खामियों और पुलिस की लापरवाही को देखते हुए आरोपी को बरी कर दिया।
आरोपी इंद्रजीत राय ( 26 वर्ष) बिहार के वैशाली जिला के वीरपुर गांव का रहनेवाला है। पुलिस और अदालत में उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार यह मामला 17 जनवरी 2022 का है।
ओरमांझी थाना पुलिस को सूचना मिली थी कि एक सफेद रंग की बोलेरो रांची से रामगढ़ की ओर जा रही है, जिसमें भारी मात्रा में मादक पदार्थ लदा है। पुलिस टीम ने एनएच-20 पर बैरिकेडिंग की। गाड़ी रुकते ही उसमें सवार तीन लोग भागने लगे।
पुलिस ने एक आरोपी को पकड़ लिया, जबकि दो फरार हो गये। पकड़े गये व्यक्ति की पहचान इंद्रजीत राय उर्फ अनुरजीत राय के रूप में हुई। गाड़ी की तलाशी में करीब 200 किलो गांजा बरामद हुआ। इसके बाद एनडीपीएस एक्ट की गंभीर धाराओं में मामला दर्ज कर आरोपी को जेल भेजा गया।
जांच के बाद पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की, लेकिन मुकदमे की सुनवाई के दौरान पुलिस की कहानी सवालों के घेरे में आ गयी। गवाहों के बयानों में समय, स्थान और घटनाक्रम को लेकर भारी विरोधाभास सामने आया। कोई यह स्पष्ट नहीं कर सका कि आरोपी को किसने पकड़ा, गाड़ी कहां रोकी गयी या तलाशी कितनी देर चली।
सबसे चौंकाने वाला मोड़ तब आया, जब अदालत को बताया गया कि ओरमांझी थाना के मालखाना में सुरक्षित रखा गया जब्त गांजा चूहे फूंक डाले गये। इस संबंध में वर्ष 2024 में पुलिस ने सनहा दर्ज किया।
अदालत ने इस दावे को गंभीर लापरवाही मानते हुए पुलिस की कार्यप्रणाली पर कड़ा सवाल उठाया। फैसले में अदालत ने कहा कि न तो आरोपी को वाहन से जोड़ने के ठोस सबूत पेश किये गये, न ही जब्ती और नमूनाकरण की प्रक्रिया पर भरोसा किया जा सकता है। वाहन के इंजन और चेसिस नंबर तक स्पष्ट नहीं थे, जिससे जांच की विश्वसनीयता कमजोर हो गयी। इसलिए अदालत ने आरोपी को बरी कर दिया।
आरपीएफ गांजा बरामदगी के बाद प्रति किलोग्राम 50 हजार रुपये की दर से मूल्यांकन करती है। इस तरह बरामद 200 किलो गांजा का मूल्य एक करोड़ रुपये हुआ। पुलिस के अनुसार मालखाने में 200 किलो गांजा चूहों द्वारा फूंक डाले गये।
बहरहाल, यह मामला न सिर्फ पुलिस की लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि यह भी सवाल खड़ा करता है कि इतने बड़े पैमाने पर जब्त मादक पदार्थों की सुरक्षा और निगरानी आखिर कैसे की जाती है? अब यह जांच का विषय है कि क्या मालखाना सचमुच चूहों का आतंक है या इसके पीछे कोई दूसरी कहानी है ?







