ओरमांझी (रांची दर्पण)। रांची जिले के अनगड़ा और ओरमांझी प्रखंड के ग्रामीणों ने गेतलसूद डैम में निर्माणाधीन सोलर एनर्जी प्लांट का जोरदार विरोध किया। यह विरोध उस समय हुआ जब एनएनटी और सेकी कंपनी की टीम प्लांट निर्माण के लिए मिट्टी परीक्षण और चहारदीवारी के निर्माण के लिए पहुंची।
जैसे ही यह खबर स्थानीय ग्रामीणों को मिली, अनगड़ा और ओरमांझी क्षेत्र के सैकड़ों ग्रामीण गेतलसूद जलाशय मत्स्यजीवी संघर्ष मोर्चा के बैनरतले गोलबंद होकर निर्माण स्थल पर जा पहुंचे और नारेबाजी करते हुए विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।
जान देंगे, पर प्लांट नहीं बनने देंगेः ग्रामीणों ने कंपनी के अधिकारियों और पुलिस प्रशासन के पहुंचने के बाद भी अपनी आवाज को और बुलंद किया। “जान देंगे, लेकिन पावर प्लांट नहीं बनने देंगे” जैसे नारों से विरोध प्रदर्शन का माहौल गर्म हो गया।
ग्रामीणों का आरोप है कि इस सोलर पावर प्लांट के निर्माण से क्षेत्र में रहने वाले लगभग एक हजार मछुआरों का रोजगार छिन जाएगा। उनका कहना है कि गेतलसूद डैम में सोलर प्लांट लगाना उनके जीवन और रोजगार के लिए बड़ा खतरा है।
भोला महतो, जो इस विरोध का नेतृत्व कर रहे थे, उन्होंने कहा- “यह सोलर पावर प्लांट हमारे जीवन के खिलाफ एक साजिश है। मछुआरे परिवारों की रोजी-रोटी छीनकर हमें बेरोजगार बना दिया जाएगा। हम किसी भी कीमत पर यहां पावर प्लांट नहीं बनने देंगे।”
प्रशासन ने किया हस्तक्षेप, वार्ता में नहीं निकला कोई समाधानः ग्रामीणों के उग्र विरोध के बाद, अनगड़ा के सीओ राजू कमल, बीडीओ जयपाल सोय और बुंडू एसडीपीओ प्रतिभान सिंह मौके पर पहुंचे और स्थिति को शांत करने के प्रयास में ग्रामीणों से वार्ता की।
अधिकारियों ने ग्रामीणों को समझाने की कोशिश की कि यह सोलर पावर प्लांट सरकार की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जो क्षेत्र के विकास और बिजली की कमी को दूर करने में मदद करेगी। साथ ही परियोजना के अंतर्गत स्थानीय ग्रामीणों के लिए स्कूल, कॉलेज और अस्पताल भी बनाए जाने का आश्वासन दिया गया।
सीओ राजू कमल ने बताया कि “800 करोड़ रुपये की लागत से डैम के नौ प्रतिशत हिस्से में फ्लोटिंग सोलर एनर्जी प्लांट का निर्माण होगा। इससे रांची और आसपास के क्षेत्रों में बिजली की कमी दूर होगी और क्षेत्र का विकास भी होगा।”
हालांकि ग्रामीणों ने अपनी मांग पर अड़े रहते हुए कहा कि वे परियोजना को लेकर विधायक राजेश कच्छप और केंद्रीय मंत्री संजय सेठ से बात कर चुके हैं।
उन्होंने अधिकारियों से मांग की कि एक सप्ताह के लिए काम बंद किया जाए, ताकि वे अपनी बात सरकार तक पहुंचा सकें और परियोजना को किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित करने की मांग उठा सकें।
अब आगे क्या होगा? वार्ता में यह निर्णय लिया गया कि फिलहाल चहारदीवारी का निर्माण कार्य स्थगित रहेगा, लेकिन मिट्टी परीक्षण का काम जारी रहेगा। हालांकि ग्रामीणों के असंतोष और विरोध के बावजूद, प्रशासन और कंपनी की टीम ने अपने पक्ष को स्पष्ट किया है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में यह मामला किस दिशा में बढ़ता है, क्योंकि ग्रामीणों और प्रशासन के बीच तनातनी अभी भी बरकरार है।
इस स्थिति में परियोजना के समर्थक और विरोधी दोनों ही पक्षों के लिए समाधान निकालना आवश्यक है, क्योंकि यह सोलर पावर प्लांट क्षेत्र के विकास के साथ-साथ बिजली उत्पादन में बड़ी भूमिका निभा सकता है, लेकिन स्थानीय समुदाय की चिंताओं को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
ग्रामीणों के इस आंदोलन में प्रमुख रूप से मनेश्वर नायक, सचिन नायक, चामू नायक, विजय मुंडा, सावन नायक, छबिया नायक, रामू नायक, सूरज नायक, बाबूराम महतो और वीर सिंह नायक जैसे स्थानीय नेता शामिल थे।
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