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किसी कोण से राजधानी नहीं लगती है रांची !

राँची दर्पण डेस्क। सरकार राजधानी रांची के मेन रोड के लिए नया प्लान बनाये। कचहरी चौक से राजेन्द्र चौक तक दोनों ओर सड़क का अतिक्रमण हटा कर और जहां जरूरी हो वहां जमीन अधिग्रहण कर इसे भरपूर चौड़ा किया जाये।

सड़क के दोनों ओर की लैंडस्केपिग कर लोगों के बैठने के लिए बेंच, फ़ूड कियोस्क, रिफ्रेशमेंट जोन, ई बाइक रिचार्ज स्टेशन, सेल्फी पॉइंट आदि बनाये जायें और मेन रोड पर ठेला-खोमचा, टपरी, रेहड़ी-पटरी पर दुकान लगाना पूरी तरह प्रतिबंधित किया जाये।

रांची किसी कोण से राजधानी लगती ही नहीं है। रेडियम रॉड चौक से कचहरी-शहीद चौक होते हुए अल्बर्ट एक्का चौक और वहां से हिनू चौक, रातू रोड चौक से लालपुर- डंगराटोली, कांटाटोली-बहुबाजार-सिरमटोली होते हुए सुजाता चौक, बूटी मोड़-कोकर चौक-कांटाटोली होते हुए नामकुम चौक, बूटी मोड़ से बरियातू-करमटोली-पुराना जेल चौक-चडरी होते हुए मेन रोड, बोडिया से फिरायालाल, कांके ब्लॉक चौक से हरमू होते हुए अरगोड़ा चौक आदि जितने भी प्रमुख रास्ते हैं, सबके सब ठेले-खोमचे, अतिक्रमण और कूड़े- कचरे और गंदगी के ढेर से भरे हैं।

गंदगी से बजबजाती हरमू नदी के ठीक किनारे रमणीक रांची का सेल्फी प्वाइंट अपने आप में बहुत बड़ा व्यंग्य लगता है। पूरा मेन रोड गंदगी और बदसूरती का साक्षात नमूना है। स्वच्छ और रमणीक रांची का स्लोगन भर लगा देने से कुछ नहीं होगा। शहर  को सही में स्वच्छ बनाना होगा।

कभी फिरायालाल (अब अल्बर्ट एक्का) चौक पर मिनी बसों का पड़ाव था। अब वहां बाइक लगाने की जगह नहीं मिलती। सरकारों का पूरा ध्यान विधानसभा, सचिवालय, मंत्रियों-विधयकों-अफसरों के बंगले और एचइसी जैसे खुले और हरेभरे इलाकों को कंक्रीट का जंगल बनाने पर रहा है।

कांटाटोली में एक फ़्लाई ओवर पिछले आठ साल से बन रहा है, कितने साल में पूरा होगा, यह ईश्वर को भी नहीं पता होगा। कोई रांची को शंघाई बनाने चला था, कोई मेन रोड पर मोनोरेल चलवा रहा था, तो कोई बीएमडब्ल्यू और मर्सिडीज का बेड़ा बनवा रहा है।

माननीयों! आप तो सायरन-हूटर बजाकर और पुलिस लगाकर रोड- रास्ता अपने लिए खाली करवा लेते हैं, आपको आम आदमी की पीड़ा कहां दिखती है।  *आनंद कुमार की फेसबुक पोस्ट