Home फीचर्ड भाग 5: समाधान की राह- RTI और कानूनी कार्रवाई की शक्ति

भाग 5: समाधान की राह- RTI और कानूनी कार्रवाई की शक्ति

Part 5: The road to resolution - RTI and the power of legal action
Part 5: The road to resolution - RTI and the power of legal action

राँची दर्पण डेस्क / मुकेश भारतीय। रांची के कांके क्षेत्र में चल रहे एक जटिल और चर्चित भूमि विवाद में आशा कुमारी ने अपने हक की लड़ाई को और मजबूत करने के लिए एक नया कदम उठाया है। इस मामले में जो न केवल व्यक्तिगत स्वामित्व का सवाल है, बल्कि डिजिटल भूमि रिकॉर्ड की विश्वसनीयता और प्रशासनिक पारदर्शिता पर भी सवाल उठाता है।

इसके लिए आशा कुमारी ने सूचना का अधिकार (RTI) और कानूनी कार्रवाई की शक्ति का सहारा लिया है। यह लेख इस मामले की गहराई में जाकर समाधान की राह पर प्रकाश डालता है और यह दर्शाता है कि कैसे सही जानकारी और कानूनी प्रक्रियाएँ अन्याय के खिलाफ एक शक्तिशाली हथियार बन सकती हैं।

आशा कुमारी ने इस भूमि विवाद को सुलझाने के लिए जिला भू-उपसमाहर्ता रांची को एक विस्तृत प्रार्थना पत्र दाखिल किया है। इस प्रार्थना पत्र में कई महत्वपूर्ण माँगें शामिल हैं, जो न केवल उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिए हैं, बल्कि प्रशासनिक प्रक्रियाओं में सुधार की आवश्यकता को भी उजागर करती हैं। प्रार्थना पत्र में निम्नलिखित बिंदु शामिल हैं-

2021 के संदिग्ध दाखिल-खारिज को रद्द करना: राज शेखर द्वारा करवाया गया फर्जी गया दाखिल-खारिज, जो कथित तौर पर संदिग्ध दस्तावेजों पर आधारित है, उसे रद्द करने की माँग।

जमाबंदी का निरस्तीकरण: राज शेखर के नाम पर दर्ज जमाबंदी को निरस्त कर आशा कुमारी, सियाशरण प्रसाद और बालेश्वर प्रसाद के नाम पर मूल जमाबंदी को ही सिर्फ पुनर्स्थापित करना।

रसीद की विसंगति को सुधारना: 25 डिसमिल की भूमि के लिए 37 डिसमिल की रसीद में मौजूद विसंगति को ठीक करने की माँग।

प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने का निर्देश: राज शेखर के दस्तावेजों और कांके अंचल कर्मियों की संभावित अनियमितता की जाँच के लिए प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश।

भौतिक सत्यापन (डिमार्केशन): भूमि का भौतिक सत्यापन करवाकर यह सुनिश्चित करना कि कुल रकबा 25 डिसमिल ही है।

यह प्रार्थना पत्र न केवल आशा कुमारी के दावे को मजबूत करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि प्रशासनिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही की कितनी आवश्यकता है।

RTI- पारदर्शिता का हथियारः आशा कुमारी ने RTI अधिनियम-2005 के तहत कांके अंचल कार्यालय और जिला जन सूचना अधिकारी से कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ माँगी हैं। इनमें राज शेखर के दाखिल-खारिज के आधार दस्तावेज, 37 डिसमिल की रसीद की विसंगति का कारण और इसके लिए जिम्मेदार कर्मचारी, जिला भू-उपसमाहर्ता द्वारा इस मामले में अब तक की गई कार्रवाई की जानकारी शामिल हैं।

हालाँकि, कांके अंचल कार्यालय के जन सूचना अधिकारी ने RTI अधिनियम की धारा 7(1) के तहत निर्धारित 30 दिनों की समयसीमा में जवाब नहीं दिया, जो इस अधिनियम का स्पष्ट उल्लंघन है। इस लापरवाही के खिलाफ प्रथम अपीलीय प्राधिकारी (अनुमंडल पदाधिकारी-सह-अपीलीय पदाधिकारी) के समक्ष अपील दाखिल की है। यह कदम दर्शाता है कि RTI न केवल जानकारी प्राप्त करने का माध्यम है, बल्कि यह प्रशासन को जवाबदेह बनाने का एक शक्तिशाली उपकरण भी है।

RTI के जवाब और उपलब्ध दस्तावेजों से यदि यह सिद्ध होता है कि राज शेखर ने जाली दस्तावेज प्रस्तुत किए, तो उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 316(2): धोखाधड़ी, धारा 336: दस्तावेजों की जालसाजी, धारा 337: जालसाजी द्वारा धोखाधड़ी जैसे धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की जा सकती है।

इसके अतिरिक्त कांके अंचल कर्मियों की लापरवाही या संभावित अनियमितता की जाँच Prevention of Corruption Act, 1988 के तहत की जा सकती है। यह कानूनी कार्रवाई न केवल इस मामले में दोषियों को दंडित करने में मदद करेगी, बल्कि भविष्य में ऐसी अनियमितताओं को रोकने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

रांची दर्पण ने भू-राजस्व विशेषज्ञों से बात की। जिनका मानना है कि प्रार्थना पत्र, RTI और भौतिक सत्यापन जैसे कदम भूमि विवादों को सुलझाने में महत्वपूर्ण हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार डिजिटल भूमि रिकॉर्ड में त्रुटियाँ और अनियमितताएँ आम हैं, लेकिन सही दस्तावेजों और पारदर्शी प्रक्रियाओं के माध्यम से सिर्फ मूल स्वामित्व को पुनर्स्थापित किया जा सकता है। यह मामला न केवल आशा कुमारी के लिए बल्कि झारखंड के उन सभी नागरिकों के लिए प्रासंगिक है, जो डिजिटल भूमि रिकॉर्ड की त्रुटियों से प्रभावित हैं।

क्योंकि यह भूमि विवाद केवल एक व्यक्तिगत मामला नहीं है, बल्कि यह झारखंड में डिजिटल भूमि रिकॉर्ड प्रणाली की कमियों को भी उजागर करता है। JharBhoomi पोर्टल जैसे डिजिटल उपकरणों ने भले ही प्रक्रियाओं को सरल बनाने का दावा किया हो, लेकिन इनमें मौजूद त्रुटियाँ और अनियमितताएँ आम नागरिकों के लिए परेशानी का कारण बन रही हैं।

रांची दर्पण इस मामले की प्रगति पर नजर रखेगा और अगले अपडेट में जाँच और सुनवाई की नवीनतम जानकारी साझा करेगा।

हमारे अगले लेख में हम JharBhoomi पोर्टल की कमियों और इसमें सुधार की आवश्यकता पर विस्तार से चर्चा करेंगे। यह लेख उन सभी नागरिकों के लिए उपयोगी होगा, जो डिजिटल भूमि रिकॉर्ड से जुड़ी समस्याओं का सामना कर रहे हैं।

रांची दर्पण अपने पाठकों को पारदर्शी और निष्पक्ष पत्रकारिता के माध्यम से सच्चाई तक पहुँचाने के लिए प्रतिबद्ध है। इस मामले में अगली कड़ी का इंतजार करें, क्योंकि हम इस कहानी को और गहराई से उजागर करेंगे।

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