Home गांव-देहात ओरमांझी की सुषमा ने पहना सुपर मॉडल इंडिया-2023 का ताज

ओरमांझी की सुषमा ने पहना सुपर मॉडल इंडिया-2023 का ताज

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राँची दर्पण डेस्क। प्रतिभा अभावों के मोहताज नहीं होती। वह कठिन परिस्थितियों में भी अपना मार्ग ढूंढ ही लेती है। एक बार फिर से यह साबित कर दिखाया है झारखंड की राजधानी राँची जिले के सुदूरवर्ती गांव की रहने वाली सुषमा कुमारी ने।

Jharkhand Girl from remote village won the title of Super Model India 2023 bसुषमा कुमारी ओरमांझी प्रखंड के रोला गाँव की रहने वाली है। यह गाँव प्रखंड मुख्यालय से 8 किलोमीटर दूर है। उसके पिता निवासी राजेन्द्र महतो ट्रक चालक और माता उर्मिला देवी एक गृहणी हैं। गांव के लोगों में भी अब फैशन का क्रेज देखा जा रहा है। सुषमा उसी दौड़ की एक दीया की तरह सामने आई है।

19 वर्षीया सुषमा कुमारी ने छत्तीसगढ़ में हुए सुपर मॉडल इंडिया-2023 का खिताब जीता है। 3 मार्च से 5 मार्च तक हुए इस प्रतियोगिता में कुल 30 युवतियों ने भाग लिया था। कुल 4 राउंड हुए डिसिप्लिन, टैलेंट, ग्रुमिंग और इंट्रोडक्शन राउंड के बाद सुषमा ने सुपर मॉडल इंडिया-2023 के साथ मिस आइकॉन का खिताब भी जीत लिया।

वर्तमान में सुषमा रांची यूनिवर्सिटी के मास कॉम डिपार्टमेंट में बीए पार्ट-1 की छात्रा है। उसने कस्तूरबा बालिका आवासीय विद्यालय ओरमांझी से 10वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद आरटीसी इंटर कॉलेज से इंटर उतीर्ण की है।

सुषमा बताती है, लोग कहते थे कि सरकारी स्कूल के बच्चे फैशन के क्षेत्र में नहीं जाते हैं, उन्हें जवाब देने के लिए मैंने ग्लैमर की दुनिया को चुना है। जब चौथी क्लास में थी, तभी से मॉडल बनना चाहती थी।

आगे कहती है कि उसके पास भले ही मंहगे कपड़े नहीं थे, लेकिन जो भी कपड़े थे, उसी के साथ प्रयोग करती रहती थी। लोग उसके लुक की तारीफ करने लगे तो वह इवेंट में एंकरिंग करने लगी। एंकरिंग ने उसमें आत्म विश्वास जगाया। आगे वह सुष्मिता सेन और प्रिंस नरुला जैसे मॉडल व एंकर बनना चाहती है।

 सुपर मॉडल इंडिया-2023 का खिताब जीतने की बाबत सुषमा बताती है कि इस प्रतियोगिता के फिनाले में गाउन पहनना था। पापा ने उसे 3500 रुपए दिए थे। अच्छा गाउन 15-20 हजार रुपए में आता है। इसीलिए उसे 2 हजार रुपए में एक गाउन किराए पर लेना पड़ा।

यही नहीं, बीते 3 मार्च को उसे बस से छत्तीसगढ़ जाना था। जब वह स्टैंड पहुंची तो बस सवारियों से भरी थी। नतीजतन उसे 4 घंटे तक बस में खड़े होकर ही सफर करना पड़ा।

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