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घाटशिला उप चुनावः हेमंत सोरेन ने भाजपा प्रत्याशी को बताया ‘भटका बैल’ और कहा…

रांची दर्पण डेस्क। झारखंड की राजनीति में एक बार फिर तीखी बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है। राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने घाटशिला विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रत्याशी पर अप्रत्यक्ष रूप से तीखा प्रहार किया है।

अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर पोस्ट की गई एक भावुक और व्यंग्यात्मक टिप्पणी में सोरेन ने भाजपा प्रत्याशी को ‘भटका बैल’ करार देते हुए कहा कि यह वही बैल है जो झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) में पला-बढ़ा, लेकिन अब भाजपा के ‘खेत’ में हल जोतने चला गया है। इस बयान ने न केवल चुनावी माहौल को गरमा दिया है, बल्कि झारखंड राज्य आंदोलन की लंबी लड़ाई को भी फिर से सुर्खियों में ला खड़ा किया है।

सोरेन का यह पोस्ट न केवल चुनावी रणनीति का हिस्सा लगता है, बल्कि यह एक गहरी पीड़ा और दृढ़ संकल्प की अभिव्यक्ति भी है। उन्होंने लिखा, “आज जो प्रत्याशी भारतीय जनता पार्टी का आपको दिखता है, वह कौन है? वह ऐसा बैल है जो खाया-पिया-मोटाया झामुमो में और हल जोतने चला गया भाजपा के खेत में। ऐसे ही लोग हैं जो हमारे बीच-बीच में हमारे आंदोलन को कमजोर करते हैं। आज इसी वजह से 30 से 40 वर्ष लग गए इस राज्य को अलग करने में। कई आंदोलनकारी आज भी जीवित हैं और बुजुर्ग हो गए हैं। लेकिन हमारी पीढ़ी जवान हो गई है। अब हम लोगों ने भी कंधा मजबूत कर लिया है और ऐसे लोगों को मुंह तोड़ जवाब देने का ताकत भी हम रखते हैं।”

Ghatsila by election Hemant Soren calls BJP candidate a stray bull and says
Ghatsila by-election Hemant Soren calls BJP candidate a ‘stray bull’ and says…

घाटशिला उपचुनाव का बैकग्राउंड समझना जरूरी है। पूर्वी सिंहभूम जिले के इस विधानसभा क्षेत्र में हाल ही में विधायक के निधन के बाद उपचुनाव की घोषणा हुई है, जो आगामी विधानसभा चुनावों से पहले एक महत्वपूर्ण परीक्षा बन गया है। झामुमो-गठबंधन की ओर से प्रत्याशी की घोषणा अभी बाकी है, लेकिन भाजपा ने अपने मजबूत दावेदार को उतार दिया है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सोरेन का यह बयान भाजपा प्रत्याशी के झामुमो से पुराने नाता को निशाना बना रहा है। प्रत्याशी पर आरोप है कि उन्होंने वर्षों तक झामुमो की विचारधारा पर चलते हुए पार्टी के प्रति निष्ठा दिखाई, लेकिन सत्ता के लालच में भाजपा की शरण ले ली। यह ‘पाला-पोसा बैल’ वाली तुलना न केवल व्यंग्यपूर्ण है, बल्कि ग्रामीण झारखंड की भाषा में इतनी सहज है कि सोशल मीडिया पर यह वायरल हो गया।

सोरेन का यह प्रहार झारखंड राज्य आंदोलन के इतिहास को भी उजागर करता है। 1980 के दशक से शुरू हुई यह लड़ाई 2000 में झारखंड के गठन तक चली, जिसमें 30-40 साल लग गए। आंदोलन के दौरान हजारों कार्यकर्ता जेल गए, कई शहीद हुए।

सोरेन ने पोस्ट में बुजुर्ग आंदोलनकारियों की पीड़ा का जिक्र करते हुए भावुक अपील की। वे आज भी जीवित हैं, लेकिन थक चुके हैं। वहीं नई पीढ़ी, जिसमें सोरेन खुद शामिल हैं, उन्होंने ‘कंधा मजबूत’ कर लिया है। यह बयान न केवल विपक्ष पर हमला है, बल्कि झामुमो समर्थकों में जोश भरने का प्रयास भी लगता है।

राजनीतिक पंडितों का कहना है कि यह रणनीति उपचुनाव में आदिवासी वोट बैंक को एकजुट करने के लिए सोची गई है, जहां घाटशिला जैसे क्षेत्रों में स्थानीय मुद्दे जैसे भूमि अधिकार और विकास हमेशा प्रमुख रहते हैं।

भाजपा की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन पार्टी के स्थानीय नेताओं ने इसे ‘व्यक्तिगत हमला’ करार देते हुए सोरेन पर ही उल्टा आरोप लगाया है कि वे चुनावी हार के डर से बौखला गए हैं।

एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री को आंदोलन की याद दिलाने की बजाय विकास के आंकड़ों पर बोलना चाहिए। घाटशिला में हमारी सरकार ने सड़कें, स्कूल और अस्पताल बनवाए हैं। यह तथ्य हैं, व्यंग्य नहीं। इधर, झामुमो के समर्थक सोशल मीडिया पर #BhatkaBail ट्रेंड चला रहे हैं, जो सोरेन के बयान को और मजबूत कर रहा है।

यह घटना झारखंड की राजनीति को एक बार फिर ध्रुवीकरण की ओर ले जाती दिख रही है। जहां एक ओर सोरेन आंदोलन की विरासत को हथियार बना रहे हैं, वहीं भाजपा विकास और केंद्र की योजनाओं का सहारा ले रही है। उपचुनाव की तारीख नजदीक आते ही यह जंग और तेज हो जाएगी।

क्या ‘भटका बैल’ वाली टिप्पणी भाजपा प्रत्याशी के लिए नुकसानदेह साबित होगी, या सोरेन का भावुक कार्ड उल्टा पड़ेगा? समय ही बताएगा। फिलहाल, सोरेन का यह बयान न केवल चुनावी बहस को रोचक बना रहा है, बल्कि झारखंड की युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का संदेश भी दे रहा है।

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