Home आस-पास झारखंड में भूमि विवाद की बाढ़: अवैध दाखिल-खारिज का जानें सच

झारखंड में भूमि विवाद की बाढ़: अवैध दाखिल-खारिज का जानें सच

Flood of land dispute in Jharkhand Know the truth of illegal mutation
Flood of land dispute in Jharkhand Know the truth of illegal mutation

रांची दर्पण डेस्क / मुकेश भारतीय)। झारखंड की राजधानी रांची के कांके थाना क्षेत्र में खाता संख्या-17, आरएस प्लॉट नंबर-1335, केंदुआपावा दोन, मौजा-नेवरी की 25 डिसमिल रैयती भूमि को लेकर एक गंभीर और जटिल मामला सामने आया है। यह भूमि वर्ष 2010 से आशा कुमारी, सियाशरण प्रसाद और बालेश्वर प्रसाद के भौतिक कब्जे में है। इन तीनों ने 2010 में विधिवत रजिस्ट्री के माध्यम से इस भूमि को क्रय किया था और उसी वर्ष कांके अंचल कार्यालय में दाखिल-खारिज (म्यूटेशन) की प्रक्रिया पूरी हो गई थी।

रजिस्ट्री दस्तावेजों के अनुसार  प्लॉट नंबर-1335 में आशा कुमारी को 05 डिसमिल, सियाशरण प्रसाद को 08 डिसमिल और बालेश्वर प्रसाद को 12 डिसमिल का हिस्सा आवंटित है। इसके बाद से ये तीनों नियमित रूप से इस भूमि की रसीद कटवाते आ रहे हैं, जो वित्तीय वर्ष 2025-26 तक देय है। यह प्रक्रिया सामान्य लग रही थी। लेकिन हाल के दिनों में एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है, जिसने इस मामले को गंभीर बना दिया है।

राज शेखर नामक व्यक्ति ने उसी प्लॉट के 12 डिसमिल पर दाखिल-खारिज करवाया और अपने नाम पर रसीद कटवाना शुरू किया। परिणामस्वरूप झारभूमि पोर्टल पर कुल 25 डिसमिल की भूमि के लिए 37 डिसमिल की रसीद कट रही है (आशा कुमारी: 05 डिसमिल, सियाशरण प्रसाद: 08 डिसमिल, बालेश्वर प्रसाद: 12 डिसमिल और राज शेखर: 12 डिसमिल)।

यह गणितीय रूप से असंभव है, क्योंकि कुल रकबा 25 डिसमिल से अधिक नहीं हो सकता। यह स्थिति कांके अंचल कार्यालय की गंभीर प्रशासनिक त्रुटि और संभावित अनियमितता को उजागर करती है।

डिजिटल भूमि रिकॉर्ड प्रणाली की खामियाँ

यह मामला झारखंड में डिजिटल भूमि रिकॉर्ड प्रणाली (JharBhoomi) की खामियों को सामने लाता है। झारखंड सरकार ने भूमि रिकॉर्ड को पारदर्शी और सुगम बनाने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म की शुरुआत की थी। लेकिन इस तरह की त्रुटियाँ और अनियमितताएँ लाखों नागरिकों के वैध स्वामित्व को खतरे में डाल रही हैं। कांके का यह मामला केवल एक उदाहरण है। ऐसी समस्याएँ राज्य के विभिन्न हिस्सों में आम हो गई हैं।

रांची दर्पण की जाँच

एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क की रांची दर्पण टीम ने इस मामले की गहन जाँच शुरू की है। हमने सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005 के तहत कांके अंचल कार्यालय और रांची जिला जन सूचना अधिकारी से निम्नलिखित जानकारी माँगी है:

  • राज शेखर के दाखिल-खारिज के आधार दस्तावेज।
  • रसीद की विसंगति (25 डिसमिल के बजाय 37 डिसमिल) के कारण।
  • इस त्रुटि के लिए जिम्मेदार कर्मचारियों और प्रक्रिया की जानकारी।

रांची दर्पण ने कांके अंचल कार्यालय से उनके पक्ष को जानने के लिए संपर्क करने का हरसंभव प्रयास किया, लेकिन बड़ा अटपटा जवाब मिला है।  जिसकी रिकार्डेड क्लीप रांची जिला आयुक्त को भेजी जा चुकी है।

इस श्रृंखला का उद्देश्य

यह 10-भागों की विस्तृत श्रृंखला इस विवाद के हर पहलू को तथ्यों, दस्तावेजों और कानूनी प्रावधानों के आधार पर उजागर करेगी। हमारा उद्देश्य न केवल आशा कुमारी, सियाशरण प्रसाद और बालेश्वर प्रसाद के स्वामित्व की रक्षा करना है, बल्कि झारखंड में हजारों लाखों लोगों के लिए भूमि रिकॉर्ड की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम उठाना है।

आगामी लेख समाचार

हमारे अगले लेख में हम 2010 की रजिस्ट्री और भौतिक कब्जे के कानूनी आधार की विस्तार से जाँच करेंगे। हम यह भी विश्लेषण करेंगे कि कांके अंचल कार्यालय में दाखिल-खारिज की प्रक्रिया में कहाँ चूक हुई, मिलीभगत हुई, अनियमियता बरती गई, जिसके कारण एक नाहक विवाद उत्पन्न हुआ है।

आपकी राय मायने रखती है

क्या आपने भी झारखंड में भूमि रिकॉर्ड से संबंधित समस्याएँ झेली हैं? क्या आपके पास भी दाखिल-खारिज या रसीद से संबंधित मनमानी बरते जाने या समस्या नहीं सुने जाने का कोई अनुभव है? तो हमें अपनी कहानी बताएँ। शायद राँची दर्पण आपके दर्द कम करने का जरिया बन जाए। संपर्क करें:
ईमेल: ranchidarpan.com@gmail.com । व्हाट्सएप नंबर: 08987495562

सच मानिए, रांची दर्पण का यह प्रयास झारखंड के नागरिकों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने और प्रशासनिक सुधार की माँग करने का एक कदम है। हमारे साथ जुड़े रहें, क्योंकि हम इस मामले को और गहराई से उजागर करेंगे। ताकि हरेक नागरिक वह सब कुछ जान सकें, जो जमीन भयानक खेल चल रहा है। इसका शिकार कोई भी कभी भी हो सकता है।

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