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CBI ने डकरा CCL मैनेजर को 50 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथ दबोचा, जानें डिटेल

रांची दर्पण डेस्क/मुकेश भारतीय। केंद्रीय कोयला कंपनी सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (CCL) के एनके एरिया स्थित डकरा परियोजना में एक बड़ा भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। यहां कार्यरत मैनेजर (कार्मिक) दीपक कुमार गिरि को सीबीआई की टीम ने 50 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।

दीपक ने शिकायतकर्ता रोशन राम से अनुकंपा आधार पर नौकरी की प्रक्रिया पूरी करने के एवज में कुल डेढ़ लाख रुपये की घूस मांगी थी। इसकी शिकायत मिलने पर सीबीआई ने सत्यापन किया और जाल बिछाकर कार्रवाई की।

गिरफ्तारी के बाद दीपक को रांची लाया गया, जबकि उनके मैक्लुस्कीगंज स्थित आवास पर देर शाम छापेमारी की गई। यह घटना सीसीएल जैसे सरकारी उपक्रम में व्याप्त भ्रष्टाचार की पोल खोलती है और आम कर्मचारियों के लिए अनुकंपा प्रक्रिया की मुश्किलों को उजागर करती है।

सीबीआई सूत्रों के अनुसार शिकायतकर्ता रोशन राम सीसीएल के एक दिवंगत कर्मचारी के परिजन हैं। उनके परिवार को अनुकंपा नियमों के तहत नौकरी मिलनी थी, लेकिन प्रक्रिया को पूरा करने में अड़चनें आ रही थीं।

रोशन राम ने आरोप लगाया कि डकरा परियोजना के मैनेजर (कार्मिक) दीपक कुमार गिरि ने नौकरी की फाइल आगे बढ़ाने के लिए उनसे डेढ़ लाख रुपये की रिश्वत की मांग की। यह रकम तीन किस्तों में ली जानी थी पहली किस्त 50 हजार रुपये।

रोशन राम ने हार नहीं मानी और सीधे सीबीआई रांची ब्रांच से संपर्क किया। शिकायत की प्रारंभिक जांच में सीबीआई को दीपक की मांग की पुष्टि हुई। इसके बाद एजेंसी ने सत्यापन ऑपरेशन चलाया, जिसमें रोशन राम को निर्देश दिए गए कि वे दीपक से संपर्क बनाए रखें।

उसके बाद तय समय पर रोशन राम डकरा परियोजना के कार्यालय पहुंचे और दीपक कुमार गिरि को पहली किस्त के रूप में 50 हजार रुपये सौंपे। ठीक उसी क्षण सीबीआई की टीम ने छापा मारकर दीपक को रंगे हाथों पकड़ लिया।

गिरफ्तारी के समय दीपक अपने कार्यालय कक्ष में थे। सीबीआई टीम ने उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की। घटना की गंभीरता को देखते हुए टीम ने तुरंत एनके एरिया के प्रबंधन को सूचित किया।

डकरा परियोजना के प्रोजेक्ट ऑफिसर (पीओ) संजीव कुमार की मौजूदगी में औपचारिकताएं पूरी की गईं, जिसमें गिरफ्तारी का पंचनामा और साक्ष्य संग्रह शामिल था। इसके बाद दीपक को रांची ले जाया गया, जहां आगे की जांच और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

गिरफ्तारी के कुछ घंटों बाद सीबीआई की टीम ने दीपक कुमार गिरि के मैक्लुस्कीगंज स्थित आवास पर देर शाम छापेमारी की। यह ऑपरेशन रात तक चला। सूत्रों का कहना है कि टीम ने दस्तावेज, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और संदिग्ध नकदी की तलाशी ली।

हालांकि, अभी तक छापेमारी में मिले सामान की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन माना जा रहा है कि यह कार्रवाई दीपक के अन्य संभावित भ्रष्टाचार के मामलों या रिश्वत की रकम के स्रोत की जांच से जुड़ी हो सकती है।

सीसीएल जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में अनुकंपा नौकरी एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो दिवंगत कर्मचारियों के आश्रितों को आर्थिक सहारा प्रदान करता है। नियमों के अनुसार सेवा के दौरान मृत्यु होने पर परिजन को नौकरी दी जाती है। लेकिन इस प्रक्रिया में अक्सर देरी और भ्रष्टाचार की शिकायतें सामने आती हैं। रोशन राम का मामला भी इसी का उदाहरण है। उन्होंने बताया कि बिना रिश्वत के फाइल महीनों से अटकी हुई थी।

भ्रष्टाचार विरोधी विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामले न केवल सरकारी तंत्र की विश्वसनीयता को ठेस पहुंचाते हैं, बल्कि जरूरतमंद परिवारों को न्याय से वंचित करते हैं। सीसीएल में पहले भी कई अधिकारी घूसखोरी के आरोपों में फंसे हैं, लेकिन सख्त कार्रवाई की कमी से यह समस्या जड़ें जमाए हुए है।

सीबीआई रांची ब्रांच के प्रवक्ता ने पुष्टि की कि यह कार्रवाई भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत की गई है। दीपक कुमार गिरि पर आईपीसी की संबंधित धाराओं के साथ-साथ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के प्रावधान लगाए जाएंगे। जांच टीम अब यह पता लगाएगी कि क्या दीपक अकेले थे या इसमें अन्य अधिकारी भी शामिल हैं। एनके एरिया के अन्य कर्मचारियों से भी पूछताछ हो सकती है।

सीबीआई की यह त्वरित कार्रवाई सराहनीय है, क्योंकि इससे सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने का संदेश जाता है। पिछले कुछ महीनों में रांची में सीबीआई ने कोयला क्षेत्र से जुड़े कई मामलों में छापे मारे हैं, जो झारखंड के खनन क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करते हैं।

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