ब्लॉकिंग का ब्लैकमेल और ‘गार्बल’ खेल: DC और CO ने पत्रकार को ‘साइलेंट मोड’ में धकेला, न्याय की राह में नई साजिश?
रांची दर्पण डेस्क। झारखंड की राजधानी में भूमि माफिया के जाल में फंसे आम आदमी की न्याय की पुकार अब ‘ब्लॉक’ और ‘गार्बल’ के जाल में उलझ गई है। वरीय पत्रकार मुकेश भारतीय, जो अपनी पत्नी व दो अन्य की 25 डिसमिल जमीन को फर्जी दस्तावेजों से बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं, उन्हें कांके अंचलाधिकारी (CO) अमित भगत और रांची डिप्टी कमिश्नर (DC) मंजूनाथ भजंत्री ने सरकारी मोबाइल/व्हाट्सएप नंबरों पर ब्लॉक कर दिया। ऊपर से DC का आधिकारिक X हैंडल @DC_Ranchi ने भी उन्हें सिर्फ इसलिए ‘बैन’ कर दिया कि उन्होंने सूचनात्मक टिप्पणी की थी।
दरअसल वर्ष 2010 मेें पत्रकार की पत्नी व दो अन्य ने कांके के मौजा-नेवरी में खाता संख्या-17, आरएस प्लॉट संख्या-1335 की 25 डिसमिल कृषि भूमि विधिवत रजिस्ट्री से खरीदे। तब से शांतिपूर्ण कब्जा और जमाबंदी कायम है। लेकिन 2022 में एक जमीन कारोबारी ने ‘मास्टरस्ट्रोक’ मारा। फर्जी डीड (गलत प्लॉट नंबर 1744/1746, एक ही व्यक्ति के हस्ताक्षर, असत्य भुगतान तिथि 27.11.2020 जबकि रजिस्ट्री 26.11.2020) से 12 डिसमिल पर अवैध म्यूटेशन करा लिया। झारभूमि पोर्टल पर अब 37 डिसमिल की रसीद कट रही है, जोकि भौतिक रूप से असंभव, लेकिन कानूनी रूप से ‘जुगाड़’!
डीसीएलआर कोर्ट ने वाद संख्या 396/2025 में 02 दिसंबर 2025 को ‘फायर अलर्ट’ जारी किया: अवैध जमाबंदी रद्द करें, CO कांके को जांच कर रिपोर्ट दें। पत्रकार ने 08 दिसंबर को CO अमित भगत को व्यक्तिगत रूप से दस्तावेज सौंपे। CO ने फाइल राजस्व कर्मचारी रविंद्र प्रसाद को थमा दी। लेकिन 15 दिन बाद भी सन्नाटा! Jharkhand Mutation Manual Rule-11 का खुला उल्लंघन।
ब्लॉकिंग का ‘ब्लैक आउट’ ड्रामा 2 घंटे का ‘अनब्लॉक’ इंटरवलः मुकेश ने 15 दिसंबर को DC मंजूनाथ भजंत्री, अपर समाहर्ता (राजस्व), DCLR और कमिश्नर को व्यक्तिगत आवेदन सौंपा। लेकिन CO अमित भगत ने उनका मोबाइल और व्हाट्सएप ब्लॉक कर दिया। DC भजंत्री ने भी यही ‘सेवा’ दी। पत्रकार मुकेश भारतीय का कहना है कि ये सरकारी नंबर हैं, और मैं वरीय पत्रकार हूँ। शिकायत पर ब्लॉकिंग लोकतंत्र का गला घोंटना है।
सोशल मीडिया एक्स पर तो हद हो गई। @DC_Ranchi का बायो चिल्ला-चिल्ला कह रहा है- “Grievances can be tagged. Response normally w/in 24 hours”। पत्रकार ने DC के जनता दरबार पोस्ट्स पर सूचनात्मक कमेंट किए- “DCLR आदेश का अनुपालन कब? 12 डिसमिल अवैध जमाबंदी रद्द हो”। जवाब? ब्लॉक! फिर 2 घंटे बाद अनब्लॉक (शायद वायरल होने का डर) और फिर फिर ब्लॉक। आखिर ‘ब्लॉक-अनब्लॉक’ का यह सर्कस क्यों? क्या शिकायत करने वाले को ‘एनिमी’ मान लिया?
अवमानना, भ्रष्टाचार और RTI उल्लंघनः यह घटना Contempt of Courts Act, 1971 की धारा 2(b) का सीधा उल्लंघन है- DCLR आदेश की अवमानना। IPC धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी) और Prevention of Corruption Act धारा 13(1)(d) लागू। RTI Act और IT Act के तहत सरकारी नंबर/हैंडल पर ब्लॉकिंग गैरकानूनी। रांची हाईकोर्ट के वकील अनील कुमार सिंह ने कहा कि यह अनुच्छेद 19(1)(a) – अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन है। हाईकोर्ट में चैलेंज होगा।
सोशल मीडिया पर तूफान #UnblockJusticeForMukesh ट्रेंडिंग: एक यूजर ने ट्वीट किया- DC का X हैंडल शिकायतों के लिए या ब्लॉकिंग के लिए? हेमंत सोरेन, @HemantSorenJMM, जागो! लोग लिख रहे हैं। #JusticeForMukeshBhartiy और #UnblockJusticeForMukesh हैशटैग वायरल। एक यूजर ने ट्वीट किया कि पत्रकार को ब्लॉक तो आम आदमी का क्या हश्र?”
हाईकोर्ट में ‘केस-ब्लॉक’ चैलेंजः अब मुकेश भारतीय पूरे मामले को लेकर हाईकोर्ट में रिट पिटीशन (आर्टिकल 226) दाखिल करने की तैयारी में हैं। उनका कहना है कि मैं पत्रकार हूँ, भारतीय नागरिक हूँ, न्याय मांगना हक है। ब्लॉकिंग से डरूँगा नहीं, व्यवस्था की बेरुखी से सीधा लड़ूँगा! क्या सिस्टम पत्रकार की पुकार सुनेगा या ‘ब्लॉक मोड’ जारी रहेगा? समय बताएगा। लेकिन अब एक पत्रकार की लड़ाई लाखों की हो चुकी है।
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