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बोला कांके CO ऑफिसकर्मीः ‘रोज 50 आवेदन आते हैं… हमें याद नहीं, आकर चक्कर काटो!’

कांके अंचल में 25 डिसमिल जमीन पर फर्जीवाड़ा! DCLR के आदेश के बाद भी कार्रवाई ठप!! राजस्व कर्मी का शर्मनाक ऑडियो वायरल !!!

कांके अंचल के राजस्व कर्मचारी ने डीसीएलआर कोर्ट के लिखित आदेश को लात मारकर कहा – ‘फाइल कहाँ है? पता नहीं!’ सुनिए वो बेशर्म ऑडियो जो रांची की नौकरशाही को नंगा कर रहा है….!

jamin kabja
A staff member at the Kanke CO office said: “We receive 50 applications every day… we don’t remember them all, just keep coming back and checking!”

रांची दर्पण डेस्क। जज साहब ने काले अक्षरों में लिखकर दे दिया- ‘12 डिसमिल अवैध जमाबंदी तुरंत रद्द करो, रिपोर्ट दो!’

लेकिन कांके अंचल कार्यालय में बैठा एक राजस्व कर्मचारी रविन्द्र प्रसाद उस कागज को देखकर भी ऐसे हँसा, जैसे कोई मजाक चल रहा हो।

आज जब पीड़ित ने फोन किया- ‘सर, आप ही को सीओ साहब ने 8 दिसंबर को हमारा आवेदन और कोर्ट का आदेश दिया था… क्या हुआ?’

जवाब सुनकर रोंगटे खड़े हो जाएंगे- ‘अरे भाई… हमें क्या याद रहेगा? रोज पचास-पचास आवेदन आते हैं… हमें याद नहीं… आकर मिलो… फिर देखते हैं!’ और फोन काट दिया।

मतलब कोर्ट का लिखित आदेश भी इनके लिए सिर्फ रद्दी है!

क्या है पूरा ड्रामा?

  • जगह: मौजा नेवरी, प्लॉट 1335, कुल 25 डिसमिल
  • 2010 में पत्रकार की पत्नी व अन्य ने कानूनी रजिस्ट्री से खरीदा
  • 2022 में एक शख्स राज शेखर ने फर्जी डीड बनवाई→ हस्ताक्षर एक ही आदमी के → गवाहों का पता फर्जी → प्लॉट नंबर तक गलत (1744-1746 लिख दिया जबकि असल है 1335) → भुगतान 27 नवंबर का, रजिस्ट्री 26 नवंबर की – मतलब पहले पैसा दिया, फिर रजिस्ट्री हुई!
  • डीसीएलआर कोर्ट ने सारी पोल खोल दी और 2 दिसंबर 2025 को आदेश दिया- ‘अवैध जमाबंदी रद्द करो!’
  • लेकिन कांके अंचल में वो फाइल ‘गायब’ हो गई।
  • सीओ साहब ने खुद राजस्व कर्मचारी रविन्द्र प्रसाद को फाइल थमाई थी।
  • और आज वही रविन्द्र बाबू बोल रहे हैं- ‘हमें याद नहीं… चक्कर काटो!’
A staff member at the Kanke CO office said We receive 50 applications every day
A staff member at the Kanke CO office said We receive 50 applications every day… we don’t remember them all, just keep coming back and checking!

सोशल मीडिया पर लोग लिख रहे हैं- ‘ये नहीं सुधरेंगे तो जनता सुधारेगी!’ ‘कोर्ट का आदेश भी रद्दी और जनता के चक्कर रोज का टाइमपास?’ ‘हेमंत है तो हिम्मत है! राज’ चल रहा है?

फिलहाल जज साहब का लिखा हुआ कागज भी इनके लिए कचरा है तो आम आदमी की तो औकात ही क्या है? पीड़ित का दो टूक कहना है कि कोई जीता नहीं, हमने मात खाई नहीं तो हर मुकम्मल अंजाम पाने तक हार क्यों स्वीकार करुं।

नीचे सुनिए बातचीत का वीडिओ….

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