
ओरमांझी (रांची दर्पण)। ओरमांझी प्रखंड के ग्राम रूक्का मुंडा टोली निवासी 15 वर्षीय फुटबॉल खिलाड़ी अनुष्का मुंडा ने संघर्ष, मेहनत और खेल प्रतिभा के बल पर राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनायी है।
राष्ट्रपति द्वारा बाल पुरस्कार से सम्मानित होने के बाद अनुष्का न केवल अपने परिवार, बल्कि पूरे झारखंड के लिए गर्व का प्रतीक बन गयी है। उनके सम्मान की खबर मिलते ही गांव में खुशी और उत्साह का माहौल है।
अनुष्का अत्यंत साधनहीन परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनके पिता दिलेश मुंडा रूक्का स्थित पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में दैनिक मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करते थे। पैर में गंभीर चोट लगने के बाद वे मजदूरी करने में असमर्थ हो गये हैं और वर्तमान में घर पर ही रहते हैं।
आर्थिक तंगी के बीच परिवार की जिम्मेदारी उनकी मां रीता देवी ने संभाली, जो आज भी दिहाड़ी मजदूरी कर घर चला रही हैं। सीमित आमदनी और कठिन परिस्थितियों के बावजूद माता-पिता ने कभी अनुष्का के सपनों को टूटने नहीं दिया। तीन भाई-बहनों में अनुष्का दूसरे स्थान पर हैं।
उनके बड़े भाई आशीष मुंडा (18 वर्ष) और छोटे भाई निखिल मुंडा (13 वर्ष) हैं। वर्तमान में अनुष्का, उनकी मां और दोनों भाई दिल्ली में हैं, जहां राष्ट्रपति द्वारा उन्हें सम्मानित किया गया। वहीं पिता स्वास्थ्य कारणों से वहां नहीं जा पाये।
अनुष्का ने बचपन से ही गांव के मैदानों में खेलते हुए फुटबॉल से दोस्ती कर ली थी। उनकी प्रतिभा को देखते हुए परिजनों और गांव के लोगों ने उन्हें लगातार प्रोत्साहित किया।
उन्होंने ओरमांझी के एक सरकारी विद्यालय से सातवीं कक्षा तक पढ़ाई की। इसके बाद बेहतर प्रशिक्षण और शिक्षा के लिए वे हजारीबाग चली गयी। वहां एक संस्थान के माध्यम से उन्हें फुटबॉल का व्यवस्थित प्रशिक्षण मिल रहा है और साथ ही आगे की पढ़ाई भी जारी है।
अनुष्का शुरू से ही एक बेहतरीन खिलाड़ी रही है। वह पहले ओरमांझी गांव के एक मैदान में फुटबॉल खेलती थी। यह कहना है उनकी पहली प्रशिक्षक सोनी कुमारी का। सोनी ने बताया कि वर्ष 2021 में अनुष्का हजारीबाग सेंटर गयी। बेहतर परफॉर्मेंस के दम पर वर्ष 2022 में उसने सुब्रतो कप में खेला।
हालांकि झारखंड सुब्रतो कप में राज्य की टीम क्वालीफाई नहीं कर सकी, लेकिन अनुष्का का प्रदर्शन सराहनीय रहा। इसके बाद फेडरेशन की ओर से वर्ष 2022 में सब जूनियर चैंपियनशिप के लिए वह अमृतसर गयी, जहां पूरे टूर्नामेंट में उसने 21 गोल दागे। सोनी ने बताया कि अनुष्का शुरू से ही मेन फॉरवर्ड के रूप में खेलती रही है।
अनुष्का की उपलब्धि सिर्फ एक पुरस्कार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उन तमाम बच्चों के लिए प्रेरणा है जो गरीबी और अभाव के बीच बड़े सपने देखते हैं। गांव के लोगों का कहना है कि अनुष्का ने यह साबित कर दिया है कि लगन, अनुशासन और मेहनत के बल पर किसी भी परिस्थिति में सफलता हासिल की जा सकती है।







