रांची दर्पण डेस्क। ओरमांझी प्रखंड के पांचा गांव स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) को लेकर झारखंड हाईकोर्ट ने बड़ी कार्रवाई की है। यह अस्पताल को जुआरियों और नशेड़ियों का अड्डा बताया गया है। अदालत ने गंभीरता से लेते हुए स्वतः संज्ञान लिया और इसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया।
चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने राज्य सरकार को शपथ पत्र के माध्यम से जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। साथ ही इस मामले की अगली सुनवाई की तिथि 1 दिसंबर निर्धारित की है। राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता पीयूष चित्रेश ने प्रारंभिक पक्ष रखा।
पांचा गांव में स्थित यह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र वर्ष 200708 में करीब 16 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित हुआ था। लेकिन विडंबना यह है कि इतनी बड़ी राशि से बना यह अस्पताल आज तक उद्घाटन का इंतजार कर रहा है।
अस्पताल भवन की स्थिति बेहद दयनीय है। पूरे परिसर में झाड़ियां और जंगल उग आए हैं। डॉक्टर व स्टाफ क्वार्टर पूरी तरह जर्जर और खंडहर जैसे दिखाई देते हैं। उपयोग न होने के कारण यह भवन अपराधिक गतिविधियों, नशाखोरी और जुए का अड्डा बन चुका है।
हाईकोर्ट की ओर से मामले में लिया गया यह स्वतः संज्ञान सरकार की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल उठाता है। अब देखना होगा कि राज्य सरकार इस पर क्या जवाब देती है और सुप्त पड़े इस अस्पताल का भविष्य क्या होगा।


