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दुर्गा पूजा पंडाल को चर्च का रूप सद्भाव की मिसाल या धार्मिक भावनाओं का मजाक?

दुर्गा पूजा पंडाल को चर्च का रूप की तस्वीरें पूरे देश में सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो और फोटो शेयर करते हुए लोग सवाल उठा रहे हैं कि पूजा कमेटी ने किस सोच के साथ दुर्गा पूजा पंडाल में चर्च को प्रोमोट किया?

रांची दर्पण डेस्क। झारखंड की राजधानी रांची में दुर्गा पूजा के पवित्र अवसर पर एक अनोखा विवाद खड़ा हो गया है। यहां रातू रोड पर स्थित एक दुर्गा पूजा पंडाल को पूरी तरह से चर्च का आकार दे दिया गया है, जिससे शहरवासियों के बीच बहस छिड़ गई है। क्या यह आपसी सद्भाव और एकता की मिसाल है या फिर हिंदू समुदाय की धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़? इस पंडाल की सजावट ने न केवल स्थानीय लोगों को चौंकाया है, बल्कि सोशल मीडिया पर वायरल होकर पूरे देश में चर्चा का विषय बन गई है।

रांची दर्पण की टीम ने इस मुद्दे की गहराई से पड़ताल की है, जहां एक ओर सद्भाव की बातें हो रही हैं, वहीं दूसरी ओर हिंदू संगठनों ने इसे भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला कृत्य करार दिया है।

रांची के रातू रोड पर आकाशवाणी केंद्र के ठीक बगल में पहाड़ी मंदिर के नीचे स्थित यह दुर्गा पूजा पंडाल ‘आरआर स्पोर्टिंग क्लब रातू रोड’ के नाम से जाना जाता है। हर साल यहां दुर्गा पूजा का आयोजन बड़े धूमधाम से होता है, जहां हजारों श्रद्धालु माता दुर्गा के दर्शन के लिए उमड़ते हैं। लेकिन इस बार पंडाल की थीम ने सबको हैरान कर दिया। 19 सितंबर को जब लोग पंडाल देखने पहुंचे तो उन्होंने पाया कि इसका पूरा डिजाइन ईसाई चर्च की नकल करता हुआ लग रहा है।Durga Puja pandal disguised as a church An example of harmony or a mockery of religious sentiments 3

पंडाल के सबसे ऊपरी हिस्से पर क्रॉस (सलीब) के साथ ईसा मसीह की प्रतिमा लगाई गई है, जिसमें वे हाथों में क्रॉस लिए हुए दिखाई दे रहे हैं। इसके साथ ही यहूदी अनुयायियों की मूर्तियां भी सजाई गई हैं। पंडाल के अंदर प्रवेश करते ही दीवारों पर ईसा मसीह, मरियम (मैरी) और अन्य ईसाई धार्मिक व्यक्तियों की तस्वीरें और फोटो लगे हुए हैं। गुंबद की ओर नजर उठाने पर भी यही नजारा मिलता है। क्रॉस, ईसा मसीह की प्रतिमाएं और जेरूसलम से जुड़े दृश्य। बाहर से लेकर अंदर तक हर कोने में ईसाई प्रतीकों का बोलबाला है, जो किसी गिरजाघर की याद दिलाता है।

एक प्रत्यक्षदर्शी ने रांची दर्पण से बातचीत में कहा कि हम यहां माता दुर्गा के दर्शन करने आए थे, लेकिन ऐसा लगा जैसे हम किसी चर्च में प्रवेश कर गए हों। क्रॉस और ईसा मसीह की तस्वीरें देखकर मन में कन्फ्यूजन हो गया। क्या यह पूजा पंडाल है या चर्च का प्रचार?

यह नजारा सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो और फोटो शेयर करते हुए लोग सवाल उठा रहे हैं कि पूजा कमेटी ने किस सोच के साथ दुर्गा पूजा पंडाल में चर्च को प्रोमोट किया?Durga Puja pandal disguised as a church An example of harmony or a mockery of religious sentiments 1

एक यूजर ने ट्वीट किया कि दुर्गा पूजा के नाम पर ईसाई धर्म का प्रचार? यह सद्भाव है या हिंदू भावनाओं का अपमान? वहीं दूसरे ने लिखा कि झारखंड जैसे राज्य में जहां सांस्कृतिक विविधता है, वहां ऐसी सजावट से एकता मजबूत होगी या टूटेगी?

जानकारी के मुताबिक हर साल इस पंडाल में बड़ी संख्या में लोग आते हैं। हर्षोल्लास के साथ माता का दर्शन करते हैं, लेकिन इस बार की सजावट से लोगों के मन में ठेस पहुंच रही है।

कई लोगों का कहना है कि माता दुर्गा के दर्शन के दौरान दिमाग में चर्च, ईसा मसीह और जेरूसलम का ख्याल आना अनुचित लगता है। क्या यह आयोजकों की ओर से जानबूझकर किसी खास समुदाय को खुश करने का प्रयास है या ईसाई धर्म को बढ़ावा देने की कोशिश?

इस मुद्दे पर हिंदू संगठनों ने कड़ा रुख अपनाया है। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और अन्य संगठनों के प्रतिनिधियों ने इसे धार्मिक सद्भावना को आहत करने वाला कृत्य बताया है। एक संगठन के नेता ने कहा कि झारखंड में एकता और अखंडता को खराब करने की साजिश लगती है। दुर्गा पूजा जैसे पवित्र त्योहार पर चर्च का रूप देना हिंदू भावनाओं का मजाक है। हम प्रशासन से जांच और कार्रवाई की मांग करते हैं।

Durga Puja pandal disguised as a church An example of harmony or a mockery of religious sentiments 2

प्रशासन की ओर से भी इस पर नजर रखी जा रही है। रांची जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि हमें इसकी जानकारी मिली है। हम जांच कर रहे हैं कि क्या यह किसी नियम का उल्लंघन है। धार्मिक सद्भाव बनाए रखना हमारी प्राथमिकता है और अगर कोई गड़बड़ी पाई गई तो उचित कदम उठाए जाएंगे। फिलहाल पंडाल को लेकर कोई आधिकारिक प्रतिबंध नहीं लगाया गया है, लेकिन स्थिति पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है।

वेशक यह घटना रांची जैसे छोटे शहर में धार्मिक संवेदनशीलता पर सवाल उठाती है। एक ओर कुछ लोग इसे सद्भाव की मिसाल बता रहे हैं, जहां हिंदू त्योहार में अन्य धर्मों के प्रतीकों को शामिल कर एकता का संदेश दिया जा रहा है। लेकिन बहुमत का मानना है कि यह हिंदू भावनाओं के साथ खिलवाड़ है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे प्रयोगों से पहले समुदाय की राय लेनी चाहिए, वरना विवाद बढ़ सकता है।

बहरहाल रांची समेत पूरे झारखंड और भारत में यह दुर्गा पूजा पंडाल अब चर्चा का केंद्र बन चुका है। क्या यह एक अनोखी रचनात्मकता है या धार्मिक सद्भाव को चोट पहुंचाने की कोशिश? समय बताएगा, लेकिन फिलहाल शहरवासी इस पर अपनी राय रख रहे हैं।

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