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कांके अंचल कार्यालय का गजब कारनामा, 25 डिसमिल भूमि और 37 डिसमिल की रसीद !

25 decimel land and receipt of 37 decimel, amazing feat of Kanke Zonal Office!
25 decimel land and receipt of 37 decimel, amazing feat of Kanke Zonal Office!

राँची दर्पण डेस्क / मुकेश भारतीय। झारखंड की राजधानी राँची जिला अंतर्गत कांके अंचल कार्यालय में एक बार फिर भू-राजस्व प्रणाली की गंभीर खामियों ने आम नागरिकों के सामने नई चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं। खाता संख्या-17, आरएस प्लॉट नंबर-1335 के तहत कुल 25 डिसमिल भूमि का मामला सुर्खियों में है, जहाँ झारभूमि पोर्टल पर 37 डिसमिल की रसीद काटी जा रही है। यह गणितीय और प्रशासनिक त्रुटि न केवल कांके अंचल कार्यालय की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि झारखंड के डिजिटल भू-रिकॉर्ड सिस्टम की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाती है।

इस मामले का सबसे हैरान करने वाला पहलू यह है कि खाता संख्या-17, आरएस प्लॉट नंबर-1335 की कुल 25 डिसमिल भूमि के लिए आशा कुमारी (05 डिसमिल), सियाशरण प्रसाद (08 डिसमिल) और बालेश्वर प्रसाद (12 डिसमिल) के नाम पर वैध रसीदें मौजूद हैं। लेकिन इसके अतिरिक्त राज शेखर के नाम पर 2021 से 12 डिसमिल की एक और रसीद काटी जा रही है।

यह गणितीय रूप से असंभव है, क्योंकि कुल रकबा किसी भी स्थिति में 25 डिसमिल से अधिक नहीं हो सकता। फिर भी झारभूमि पोर्टल पर 37 डिसमिल की रसीद दर्ज है, जो कि 12 डिसमिल की अतिरिक्त और अवैध रसीद को दर्शाता है।

यह विसंगति न केवल कांके अंचल कार्यालय की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती है, बल्कि यह भी संकेत देती है कि बिना उचित सत्यापन के दाखिल-खारिज और रसीद जारी करने की प्रक्रिया में गंभीर खामियाँ हैं।

झारखंड भू-राजस्व नियमावली के अनुसार अंचल कार्यालय को दाखिल-खारिज स्वीकार करने और रसीद जारी करने से पहले रिकॉर्ड का पूर्ण सत्यापन करना अनिवार्य है। लेकिन कांके अंचल कार्यालय ने न केवल राज शेखर के संदिग्ध दाखिल-खारिज को मंजूरी दी, बल्कि उनके नाम पर अतिरिक्त 12 डिसमिल की रसीद भी जारी कर दी।

इस त्रुटि ने आशा कुमारी और उनके सह-स्वामियों के वैध स्वामित्व को खतरे में डाल दिया है। उनकी जमीन का रिकॉर्ड अब गलत तरीके से अतिरिक्त रसीद के कारण विवादित होने की आशंका चपेट में है।

यह स्थिति न केवल उनके लिए आर्थिक और कानूनी परेशानी का कारण बन रही है, बल्कि यह भी सवाल उठता है कि क्या झारभूमि पोर्टल पर दर्ज डेटा पर भरोसा किया जा सकता है? यह मामला झारखंड में डिजिटल भू-रिकॉर्ड प्रणाली की विश्वसनीयता और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

राँची दर्पण ने इस मामले की जाँच के लिए सूचना के अधिकार (RTI) के तहत कांके अंचल कार्यालय से सवाल पूछे हैं। लेकि कांके अंचल कार्यालय के जन सूचना अधिकारी ने RTI नियमों के तहत निर्धारित 30 दिनों की समयसीमा में कोई जवाब नहीं दिया।

इसके बाद राँची दर्पण ने प्रथम अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष अपील दाखिल की है। क्योंकि यह लापरवाही न केवल प्रशासनिक जवाबदेही की कमी को दर्शाती है, बल्कि आम नागरिकों के लिए सूचना प्राप्त करने के अधिकार को भी कमजोर करती है।

भू-राजस्व विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की त्रुटियाँ अक्सर अपर्याप्त सत्यापन, कर्मचारियों के प्रशिक्षण की कमी या फिर उनकी मिलीभगत के कारण होती हैं।

कुछ विशेषज्ञों ने यह भी संकेत दिया कि ऐसी गलतियाँ जानबूझकर की जा सकती हैं, जिससे अवैध दाखिल-खारिज और जमीन हड़पने की घटनाएँ बढ़ रही हैं। यह मामला झारखंड में भू-माफियाओं की सक्रियता और प्रशासनिक कमजोरियों के बीच संभावित गठजोड़ की ओर भी इशारा करता है।

वहीं झारखंड में डिजिटल भू-रिकॉर्ड की समस्याएँ कोई नई बात नहीं हैं। JharBhoomi पोर्टल पर गलत जमाबंदी, गलत रसीद और अवैध दाखिल-खारिज की शिकायतें लगातार सामने आ रही हैं।

यह मामला इस बात का जीता-जागता उदाहरण है कि कैसे प्रशासनिक लापरवाही और तकनीकी खामियाँ सामान्य नागरिकों के लिए परेशानी का सबब बन सकती हैं। कई नागरिकों ने अपनी जमीन के स्वामित्व को लेकर ऐसी ही समस्याओं की शिकायत की है, लेकिन प्रशासन की ओर से ठोस कार्रवाई का अभाव देखा गया है।

राँची दर्पण ने इस मामले में झारखंड के भू-राजस्व विभाग से आधिकारिक जवाब माँगा है, लेकिन अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। यह मौन प्रशासन की गंभीरता और जवाबदेही की कमी को दर्शाता है। आम नागरिकों के लिए यह स्थिति और भी निराशाजनक है, क्योंकि उनकी समस्याओं का समाधान समय पर नहीं हो पा रहा।

आगे यह मामला केवल एक त्रुटि नहीं, बल्कि झारखंड की भू-राजस्व प्रणाली में गहरे बैठे संरचनात्मक दोषों का प्रतीक है। राँची दर्पण इस मामले को लेकर अपनी जाँच जारी रखेगा और RTI तथा कानूनी कार्रवाइयों के माध्यम से जवाबदेही सुनिश्चित करने की कोशिश करेगा।

आगामी लेख में हम इस मामले के समाधान के लिए RTI और कानूनी कार्रवाइयों की शक्ति पर चर्चा करेंगे। साथ ही यह भी जानेंगे कि कैसे आम नागरिक ऐसी समस्याओं से निपट सकते हैं।

राँची दर्पण इस मामले को जनता के सामने लाने और प्रशासन से जवाबदेही की माँग करने के लिए प्रतिबद्ध है। अगर आपके पास भी ऐसी ही कोई शिकायत या जानकारी है, तो हमसे संपर्क करें- ईमेल: ranchidarpan.com@gmail.com । व्हाट्सएप नंबर: 08987495562  मोबाईलः 07004868273.

सच मानिए, रांची दर्पण का यह प्रयास झारखंड के नागरिकों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने और प्रशासनिक सुधार की माँग करने का एक कदम है। हमारे साथ जुड़े रहें, क्योंकि हम इस मामले को और गहराई से उजागर करेंगे।

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