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द रांची प्रेस क्लब के दल ने कल्पना सोरेन से भेंट कर ‘बार लाइंसेस’ तक मांगा !

The team of Ranchi Press Club met Kalpana Soren and even asked for 'bar lines'!
The team of Ranchi Press Club met Kalpana Soren and even asked for 'bar lines'!

रांची दर्पण डेस्क। आज राजधानी द रांची प्रेस क्लब के अध्यक्ष सुरेंद्र लाल सोरेन के नेतृत्व में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी एवं गांडेय से निर्वाचित झामुमो विधायक कल्पना सोरेन से एक शिष्टमण्डल ने शिष्टाचार मुलाकात की।

इस शिष्टमंडल में क्लब के संयुक्त सचिव रतन लाल, कोषाध्यक्ष कुबेर सिंह कार्यकारणी सदस्य राणा गौतम, मोनू कुमार, सौरभ शुक्ला तथा प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष राजेश सिंह, पूर्व सचिव जावेद अख्तर, शकील अख्तर व विवेक पांडेय शामिल थे।

कहते हैं कि इस मुलाकात में द रांची प्रेस क्लब के प्रतिनिधिमंडल ने पत्रकारों के हित से जुड़ा एक ज्ञापन भी सौंपा। जिस पर कल्पना सौरेन का सकारात्मक सुझाव भी मिला।

इन बिन्दुओं के लेकर पत्रकार प्रतिनिधिमंडल ने सौंपा ज्ञापनः

द रांची प्रेस क्लब की परिसंपत्ति सरकार से अहस्तांरित है। कृप्या इसकी कागजी कार्रवाई पूरी करने का निर्देश संबंधित पदाधिकारी को दिया जाये।

देश के अन्य राज्यों के तर्ज पर रांची प्रेस क्लब को भी बार का लाइसेंस 1 रुपये की टोकन मनी पर देने की कृपा करें।

विगत कई वर्षों से पत्रकारों के जीवन बीमा व स्वास्थ्य बीमा की प्रक्रिया चल रही है। जो अब तक अधूरी है। लगभग डेढ़ सौ पत्रकारों ने इसके लिए सरकार के पास राशि भी जमा कर दी है, लेकिन अब तक इस योजना का लाभ पत्रकारों को नहीं मिला है।

पूर्व की सरकार ने राज्य में पत्रकारों के लिए अन्य राज्यों की भांति पेंशन योजना आरंभ की थी। आपकी सरकार ने इसे बंद कर दिया है।

पत्रकारों के लिए आवासीय कॉलोनी बनाने की प्रक्रिया आरंभ की जाये। ऐसी सुविधा अन्य राज्यों में भी उपलब्ध है।

एक माह पूर्व से पत्रकारों के झारखंड मंत्रालय (प्रोजेक्ट बिल्डिंग व नेपाल हाउस) में प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गयी है, जो अलोकतांत्रिक निर्णय प्रतीत होता है। स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी पत्रकारिता में यह बाधा है। मंत्रालय में ईडी की छापेमारी के बाद यह कदम उठाया गया है।

कई वरिष्ठ पत्रकारों ने इसका विरोध भी किया, लेकिन आचार संहिता और आप सबों के चुनाव में व्यस्त रहने के कारण इस दिशा में कोई पहल नहीं की जा सकी। कृपया इस प्रतिबंध को हटाया जाए और पत्रकारों को मंत्रालय में पूर्व की भांति आने जाने दिया जाये।

आपकी लोकप्रिय सरकार को अपनी योजनाएं मीडिया से साथ साझा करने के लिए एक प्रवक्ता (वरिष्ठ अधिकारी) प्रतिनियुक्त करनी चाहिए, जो हफ्ते में एक दिन प्रेसवार्ता के जरिये मीडिया से बात करे। प्रत्येक माह प्रत्येक विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मीडिया को अपने विभाग की उपलब्धियां साझा करें।

निदेशक व सचिव स्तर के अधिकारी के पॉवर के बाहर जनता से मुलाकात का वक्त लिखा होता है (हालांकि यह प्रचलन घटता जा रहा है। उसी प्रकार प्रेस मीडिया से मुलाकात का समय भी निश्चित होनी चाहिए।

राज्य में पत्रकारों के सुरक्षा के लिए पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग दशकों पुरानी है। समय समय पर विधानसभा में माननीय विधायकों ने इसकी मांग उठायी है। कृप्या इस और भी मौजूदा सरकार को सकारात्मक पहल करनी चाहिए।

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