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होटवार जेल का ‘डांस फ्लोर’ से ‘डर का साया’, 5 दिन में ही नए जेलर का ट्रांसफर

रांची दर्पण डेस्क। कल्पना कीजिए, जहां कठोर दीवारों और लोहे की सलाखों के बीच कैदी नाच रहे हों, संगीत की धुन पर थिरकते हुए मानो कोई नाइट क्लब हो न कि देश का एक केंद्रीय कारागार। लेकिन यह कोई फिल्मी सीन नहीं, बल्कि झारखंड की राजधानी रांची के होटवार स्थित बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल की कड़वी हकीकत है।

शराब और जीएसटी घोटाले के कुख्यात आरोपियों का एक वायरल डांस वीडियो ने न सिर्फ जेल प्रशासन को हिलाकर रख दिया, बल्कि अब इसकी आंच एक नए असिस्टेंट जेलर तक पहुंच चुकी है। मात्र पांच दिनों की सेवा के बाद दिनेश प्रसाद वर्मा को होटवार जेल से हटाकर धनबाद जेल भेज दिया गया है। क्या यह महज संयोग है या जेल के ‘अदृश्य राजा’, जो पैसे के बल पर ऐशो-आराम का साम्राज्य चला रहे हैं, उन्होंने फिर से अपनी तूती बोल ली?

जारी हुए ताजा आदेश में जेल महानिरीक्षक (आईजी) सुदर्शन प्रसाद मंडल ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि वर्मा की ‘समर्पित स्थानांतरण संबंधी अभ्यावेदन’ पर विचार के बाद यह फैसला लिया गया। लेकिन सवाल तो उठ ही रहा हैकि क्या वर्मा ने स्वेच्छा से यह कदम उठाया या उन पर कोई ‘अनकहा दबाव’ था?

The shadow of fear from the dance floor of Hotwar Jail second jailer transferred in 5 days then the power of money won 2
The shadow of fear from the dance floor of Hotwar Jail, second jailer transferred in 5 days, then the power of money won

आखिर, पांच दिन पहले ही वे होटवार जेल में असिस्टेंट जेलर के पद पर तैनात हुए थे और उसी दौरान उन्होंने जेल के ‘वीआईपी कल्चर’ पर पहली बार सख्ती दिखाई थी। गुमला मंडल कारा से लवकुश कुमार को अब होटवार में नई जिम्मेदारी सौंपी गई है। लेकिन क्या यह ट्रांसफर जेल सुधार की दिशा में एक कदम है या सिर्फ सतह पर उठे धूल को झाड़ने का तरीका?

मामला तब शुरू होता है, जब 5 नवंबर को एक चौंकाने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वीडियो में शराब और जीएसटी घोटाले के आरोपी कैदी, जिनमें कुछ एनआईए के हिरासत में हैं, डांस फ्लोर पर थिरकते नजर आ रहे थे। जेल के अंदर संगीत, लाइट्स और नाच-गानायह सब कुछ ऐसा था जो किसी कारागार की कल्पना से परे था।

वीडियो के वायरल होते ही हड़कंप मच गया। तत्कालीन असिस्टेंट जेलर देवनाथ राम और जमादार विनोद कुमार यादव को सस्पेंड कर दिया गया। इसी फेरबदल में दिनेश प्रसाद वर्मा को होटवार जेल में असिस्टेंट जेलर बनाया गया। वर्मा ने जैसे ही चार्ज संभाला तो उन्होंने तुरंत सुधार के कदम उठाए।

वीडियो में दिखे कैदी को सख्ती से सेल में बंद कर दिया। वीआईपी सुविधाओं का फायदा उठा रहे अन्य कैदियों को सामान्य वार्ड में शिफ्ट किया। यहां तक कि जेल कैंटीन पर भी नकेल कस दी, जहां कैदी मनमाने दामों पर सामान खरीदते थे।

ये कदम जेल परिसर में भूचाल ला दिए। पैसे के दम पर जेल को अपना ‘पर्सनल रिजॉर्ट’ बनाने वाले कैदियों में खलबली मच गई। एक जेलकर्मी ने नाम न छापने की शर्त पर ‘रांची दर्पण’ को बताया कि वर्मा सर ने ईमानदारी से काम शुरू किया था। लेकिन अचानक ट्रांसफर का आदेश आया। लगता है, ऊपर से दबाव आया होगा। यहां तो साफ-सुथरा काम करो तो ट्रांसफर, थोड़ी ढील दो तो सस्पेंशन। बीच में फंसकर क्या करें?

जेलकर्मियों की यह व्यथा अब आम हो चुकी है। मात्र पांच दिनों में ही दो असिस्टेंट जेलर और एक जमादार के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है। इससे पहले भी दो क्लर्क, दो कक्षपाल समेत सात जेलकर्मियों को दंडित किया गया था। लगातार हो रही इन कार्रवाइयों ने जेल स्टाफ को दोहरी मार दी है। एक तरफ भ्रष्टाचार पर सख्ती का डर, दूसरी तरफ ईमानदारी का खामियाजा।

लेकिन असली सवाल तो जेल के ‘किंगमेकर’ कैदियों पर है। अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन के झारखंड प्रभारी राजेश सिंह ने जेल आईजी को एक तीखा पत्र लिखा है, जिसमें गंभीर आरोप लगाए गए हैं। सिंह के मुताबिक एनआईए की हिरासत में बंद प्रभु साहू जेल कैंटीन का ‘अघोषित मालिक’ बन चुका है।

कैंटीन से कैदियों को प्याज 150 रुपये किलो और टमाटर 100 रुपये किलो के फर्जी दामों पर बेचा जा रहा है। एक महीने का खाना उपलब्ध कराने के नाम पर 7,000 रुपये वसूले जाते हैं। लेकिन यह तो बस सतह है।

सिंह ने खुलासा किया कि प्रभु साहू टेंपो के जरिए न सिर्फ सामान, बल्कि मोबाइल फोन तक मंगवा रहा है। इन मोबाइल्स को कैदियों को उपलब्ध कराने के एवज में मोटी रकम वसूली जाती है। कैदियों का मानसिक और आर्थिक शोषण चरम पर है। खाना लेने के लिए प्रभु साहू की ‘रजामंदी’ जरूरी। यह जेल नहीं, अपराधियों का अड्डा बन गया है।

ये आरोप जेल प्रशासन के लिए एक और चुनौती हैं। क्या वर्मा का ट्रांसफर इन्हीं ‘अदृश्य ताकतों’ का नतीजा है? या प्रशासन अब गंभीरता से सुधार लाने को तैयार है? बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल, जो आदिवासी नायक बिरसा मुंडा के नाम पर है, आज भ्रष्टाचार के चक्रव्यूह में फंसी नजर आ रही है।

जेल आईजी सुदर्शन प्रसाद मंडल ने आदेश जारी तो कर दिया, लेकिन क्या यह सिर्फ कागजी कार्रवाई है या वास्तविक बदलाव का संकेत? कैदियों की ‘डांस पार्टी’ से शुरू हुई यह कहानी अब जेलकर्मियों की बेचैनी तक पहुंच चुकी है। क्या होटवार जेल का ‘डांस फ्लोर’ अब ‘डर का साया’ बन जाएगा या न्याय की रोशनी चमकेगी? समय ही बताएगा।

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