जल स्रोतों के संरक्षण और अतिक्रमण मुक्ति को लेकर रेस हुए रांची उपायुक्त

Ranchi Deputy Commissioner raced to protect water sources and remove encroachment

रांची दर्पण संवाददाता। झारखंड की राजधानी रांची अपनी प्राकृतिक सुंदरता और जल संसाधनों के लिए जानी जाती है। लेकिन हाल के वर्षों में शहर के नदियों, तालाबों और डैमों के आसपास बढ़ते अतिक्रमण ने इन जल स्रोतों के अस्तित्व पर संकट खड़ा कर दिया है।

इस गंभीर मुद्दे को संबोधित करने के लिए रांची के उपायुक्त मंजूनाथ भजयंत्री ने आज एक महत्वपूर्ण ऑनलाइन बैठक आयोजित की, जिसमें जिला और शहर के जल स्रोतों के संरक्षण और अतिक्रमण मुक्त करने की दिशा में ठोस कदमों पर चर्चा की गई।

बैठक में उपायुक्त ने शहर के प्रमुख जल स्रोतों, जैसे कांके डैम, हटिया डैम, गेतलसूद डैम, हरमू नदी, हिनू नदी, भूसुर नदी और विभिन्न तालाबों के आसपास अतिक्रमण की स्थिति की विस्तृत समीक्षा की।

उन्होंने संबंधित अंचल अधिकारियों से इन क्षेत्रों में अतिक्रमण हटाने की प्रगति रिपोर्ट मांगी और स्पष्ट निर्देश दिए कि चिन्हित अतिक्रमकारियों को जारी किए गए नोटिस के आधार पर त्वरित कार्रवाई की जाए।

उपायुक्त ने जोर देकर कहा कि सभी जल स्रोतों को उनके मूल नक्शे के आधार पर चिन्हित किया जाए और जल क्षेत्र की भूमि के साथ-साथ आसपास की सरकारी जमीन से अतिक्रमण को पूरी तरह हटाया जाए।

इसके लिए उन्होंने अपर समाहर्ता रांची को एक रोस्टर तैयार करने का निर्देश दिया, जिसके आधार पर सभी अंचल अधिकारी अपने-अपने क्षेत्रों में नियमित और सुनियोजित कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे।

बैठक में पंचशील नगर क्षेत्र में अतिक्रमण की स्थिति पर भी विशेष रूप से चर्चा हुई। उपायुक्त ने राजस्व नक्शे के आधार पर इस क्षेत्र के जल स्रोतों के आसपास अतिक्रमण हटाने के लिए तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए। साथ ही सभी अंचल अधिकारियों को अपने क्षेत्रों में सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे के खिलाफ कठोर और त्वरित कार्रवाई करने का आदेश दिया गया।

उपायुक्त मंजूनाथ भजयंत्री ने बैठक में जल स्रोतों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जल स्रोत हमारे जीवन और पर्यावरण की रीढ़ हैं। इनका संरक्षण न केवल प्रशासन की जिम्मेदारी है, बल्कि समाज के प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है।

उन्होंने नागरिकों से अपील की कि वे जल स्रोतों के आसपास अतिक्रमण न करें और प्रशासन के इस प्रयास में सक्रिय सहयोग प्रदान करें।  वे जल संरक्षण के इस महत्वपूर्ण अभियान में भागीदार वे जल स्रोतों के आसपास किसी भी तरह की अवैध गतिविधियों, जैसे कचरा फेंकना, निर्माण कार्य या अतिक्रमण से बचें। साथ ही यदि कोई व्यक्ति ऐसी गतिविधियों को देखता है तो वह इसकी सूचना जिला प्रशासन को दे। ताकि समय रहते कार्रवाई की जा सके।

उपायुक्त ने बताया कि जल स्रोतों के संरक्षण के लिए दीर्घकालिक योजनाएं भी तैयार की जा रही हैं। इनमें जल स्रोतों के आसपास वृक्षारोपण, नदियों और तालाबों की नियमित सफाई और जल संरक्षण के लिए जागरूकता कार्यक्रम शामिल हैं। इसके अतिरिक्त प्रशासन डिजिटल मैपिंग और जीआईएस तकनीक का उपयोग करके जल स्रोतों की स्थिति की निगरानी को और प्रभावी बनाने की योजना बना रहा है।

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