Home झारखंड झारखंड के मिडिल स्कूलों में प्रधानाध्यापक के 3218 पद में 3124 खाली

झारखंड के मिडिल स्कूलों में प्रधानाध्यापक के 3218 पद में 3124 खाली

Out of 3218 posts of headmasters in middle schools of Jharkhand, 3124 are vacant
Out of 3218 posts of headmasters in middle schools of Jharkhand, 3124 are vacant

रांची दर्पण डेस्क। झारखंड के मध्य विद्यालयों में प्रधानाध्यापक के पदों की भारी कमी के कारण शिक्षा व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो रही है। राज्य के 3218 मध्य विद्यालयों के लिए सृजित प्रधानाध्यापक पदों में से 3124 पद वर्तमान में रिक्त हैं। इसके चलते अधिकांश विद्यालय प्रभारी प्रधानाध्यापकों के भरोसे चल रहे हैं, जो प्रभावी प्रबंधन और शैक्षिक गुणवत्ता के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है।

राज्य भर में शिक्षकों की वर्षों से लंबित प्रोन्नति प्रक्रिया के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। नियमानुसार शिक्षकों को प्रत्येक वर्ष प्रोन्नति मिलनी चाहिए, लेकिन लंबे समय से यह प्रक्रिया रुकी हुई है। अगर समय पर शिक्षकों को प्रोन्नति मिलती तो प्रधानाध्यापक के पदों पर स्थायी नियुक्तियाँ हो चुकी होतीं।

चिंताजनक बात यह है कि झारखंड के 15 जिलों में एक भी स्थायी प्रधानाध्यापक नहीं है। धनबाद, सरायकेला-खरसावां, चतरा, खूंटी, हजारीबाग, रामगढ़, सिमडेगा, लोहरदगा, कोडरमा, साहेबगंज, पाकुड़, गुमला, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम और देवघर के मध्य विद्यालयों में प्रधानाध्यापक की स्थायी नियुक्तियाँ अब तक नहीं हो पाई हैं।

वहीं, राज्य के 94 विद्यालयों में ही स्थायी प्रधानाध्यापक मौजूद हैं। राज्य गठन के बाद से जो प्राथमिक विद्यालय मध्य विद्यालय में अपग्रेड किए गए हैं, उनमें अब तक प्रधानाध्यापक के पद का सृजन ही नहीं हुआ है। लगभग 9000 प्राथमिक विद्यालयों को सर्व शिक्षा अभियान के तहत अपग्रेड किया गया, लेकिन इनमें प्रधानाध्यापक पद सृजित न होने के कारण यह विद्यालय स्थायी प्रधानाध्यापक के बिना ही चल रहे हैं।

झारखंड प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ ने शिक्षा विभाग से आग्रह किया है कि शिक्षकों की प्रोन्नति प्रक्रिया को जल्द पूरा किया जाए और वरीयता निर्धारण को ध्यान में रखते हुए इसका समाधान किया जाए। उन्होंने कहा कि लंबे समय से प्रोन्नति का इंतजार कर रहे शिक्षक बिना प्रधानाध्यापक बने ही सेवानिवृत्त हो रहे हैं, जिससे उनका मनोबल गिर रहा है और शिक्षा की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है।

राज्य में शिक्षकों की प्रोन्नति और प्रधानाध्यापक पदों की नियुक्ति जल्द न की गई तो इससे शिक्षा व्यवस्था पर और गहरा असर पड़ सकता है।

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