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रांची DC की याचिका पर SC में होगी 6 को सुनवाई, जानें भाजपा MP से जुड़ा पूरा मामला

SC will hear Ranchi DC's petition on 6th, know the whole matter related to BJP MP
SC will hear Ranchi DC's petition on 6th, know the whole matter related to BJP MP

रांची (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। झारखंड के चर्चित प्रशासनिक अधिकारी और रांची के वर्तमान उपायुक्त (DC) मंजूनाथ भजंत्री की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 6 दिसंबर को सुनवाई करेगा। यह याचिका झारखंड हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ दायर की गई है, जिसमें भजंत्री को चुनावी प्रक्रिया से दूर रखने का निर्देश दिया गया था।

क्या है पूरा मामला? यह विवाद 2021 के मधुपुर विधानसभा उपचुनाव से जुड़ा है। उस समय मंजूनाथ भजंत्री देवघर के उपायुक्त थे। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने भजंत्री पर झामुमो कार्यकर्ता की तरह काम करने का आरोप लगाया था। इस दौरान सांसद द्वारा की गई सोशल मीडिया पोस्ट्स और सार्वजनिक बयानों के आधार पर भजंत्री ने पांच अलग-अलग थानों में शिकायतें दर्ज करवाई थीं।

इसके बाद भारत निर्वाचन आयोग ने 6 दिसंबर 2021 को झारखंड के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर भजंत्री को उपायुक्त पद से हटाने और चुनाव कार्यों से दूर रखने का आदेश दिया। साथ ही उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू करने के निर्देश भी दिए।

हाईकोर्ट का फैसला और सुप्रीम कोर्ट की चुनौतीः भजंत्री ने इस आदेश को झारखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज करते हुए निर्वाचन आयोग के आदेश को सही ठहराया। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पीटिशन (एसएलपी) दायर की। जिसमें हाईकोर्ट के फैसले को निरस्त करने की मांग की गई।

मधुपुर उपचुनाव से उपजा विवादः मधुपुर उपचुनाव के दौरान निशिकांत दुबे ने भजंत्री पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कई शिकायतें दर्ज करवाई थीं। सांसद ने भजंत्री को ‘बाल सुलभ हरकतें करने वाला’ कहकर तंज कसा था और सोशल मीडिया पर उनका मजाक उड़ाया था।

इस विवाद ने तूल तब पकड़ा जब मधुपुर उपचुनाव के मतगणना से ठीक पहले भजंत्री को उनके पद से हटा दिया गया और उनकी जगह नैंसी सहाय को देवघर का उपायुक्त बनाया गया। भाजपा नेताओं ने उस समय भी भजंत्री पर झामुमो सरकार के पक्ष में काम करने का आरोप लगाया था।

एम्स विवाद ने भी डाली आग में घीः देवघर में एम्स के ओपीडी के उद्घाटन के समय भजंत्री और दुबे के बीच एक और विवाद हुआ। दुबे ने उद्घाटन कार्यक्रम में व्यक्तिगत रूप से शामिल होने की इच्छा जताई थी, लेकिन भजंत्री केवल वर्चुअल माध्यम से शामिल होने पर अड़े रहे। इस विवाद के चलते उद्घाटन कार्यक्रम को टालना पड़ा।

अब आगे क्या? 6 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से तय होगा कि भजंत्री के खिलाफ हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा जाएगा या इसे निरस्त कर दिया जाएगा। इस मामले का न केवल प्रशासनिक बल्कि राजनीतिक महत्व भी है। क्योंकि यह झारखंड में शासन और विपक्ष के बीच खींचतान का प्रतीक बन चुका है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ? राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस विवाद से झारखंड में प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यशैली और राजनीतिक दबाव के बीच संतुलन पर सवाल खड़े होते हैं। सुप्रीम कोर्ट का फैसला न केवल भजंत्री के करियर बल्कि राज्य की प्रशासनिक प्रक्रियाओं पर भी गहरा प्रभाव डाल सकता है।

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