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अब रांची के पूर्व डीसी राय महिमापत रे पर भ्रष्टाचार का साया, छवि रंजन की यादें ताजा

रांची दर्पण डेस्क। झारखंड की राजधानी रांची में ऊंची-ऊंची इमारतें और हरी-भरी पहाड़ियां विकास की चमक बिखेरती हैं, वहीं प्रशासनिक गलियारों में भ्रष्टाचार के काले बादल छंटते ही नहीं। हाल के वर्षों में रांची के जिला आयुक्तों के कार्यकाल एक के बाद एक विवादों में घिरते रहे हैं। कभी जमीन घोटालों की काली परतें उजागर हुईं तो कभी अवैध कटाई और फर्जीवाड़े की कहानियां।

अब इस कड़ी में एक नया नाम जुड़ गया है झारखंड कैडर के 2011 बैच के आईएएस अधिकारी और रांची के पूर्व डीसी राय महिमापत रे। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के गंभीर आरोपों में पीई संख्या 2/25 दर्ज कर ली है। मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग से अनुमति मिलते ही एसीबी ने जांच की कमान संभाल ली है, और केस का अनुसंधान डीएसपी संतोष कुमार को सौंपा गया है।

यह मामला रांची के प्रशासनिक इतिहास में एक और काला अध्याय जोड़ता है, जो पूर्व डीसी छवि रंजन की जेल यात्रा की यादें ताजा कर देता है। छवि रंजन 2017 बैच की आईएएस अधिकारी थे, उन्होंने रांची डीसी रहते हुए जमीन घोटालों में कथित रूप से ‘खूब गुल खिलाए’ थे।

मई 2023 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें आर्मी लैंड फ्रॉड केस में गिरफ्तार किया, जिसमें फर्जी दस्तावेजों से सरकारी जमीनों पर कब्जे का आरोप था। इसके बाद लिकर स्कैम और अन्य भ्रष्टाचार के मामलों में वे दो साल से अधिक समय तक जेल की सलाखों के पीछे रहीं।

सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2025 में उन्हें बेल तो दी, लेकिन उनके नाम पर लगे दाग आज भी झारखंड की नौकरशाही को झकझोर रहे हैं। 2016 में ही छवि रंजन पर वन संरक्षण अधिनियम के तहत अवैध पेड़ कटाई के लिए भी सजा का सामना करना पड़ा था, जो उनकी छवि को और धूमिल कर गया। ईडी की रेड्स में उनके परिजनों के ठिकानों से नकदी, जेवरात और जमीन के दस्तावेज बरामद हुए, जो घोटाले की गहराई को बयां करते हैं।

अब राय महिमापत रे का मामला। फरवरी 2018 से जुलाई 2020 तक रांची के डीसी रहे राय महिमापत रे ने उस दौर में शहर के विकास पर कई महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को गति दी। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से लेकर बुनियादी ढांचे के विस्तार तक, उनके कार्यकाल में रांची की सड़कें चमकीं और डिजिटल गवर्नेंस को बढ़ावा मिला।

लेकिन अब एसीबी का दावा है कि इन ‘उपलब्धियों’ के पीछे छिपी है एक ऐसी संपत्ति की कहानी, जो उनकी ज्ञात आय से कहीं अधिक है। जांच एजेंसी के अनुसार राय महिमापत रे पर रांची डीसी रहते हुए अवैध स्रोतों से संपत्ति अर्जित करने का आरोप है। मंत्रालय से मिली मंजूरी के बाद दर्ज इस पीई में उनके बैंक खातों, प्रॉपर्टी रिकॉर्ड्स और निवेशों की बारीकी से छानबीन होगी।

रोचक बात यह है कि राय महिमापत रे आजकल दिल्ली से कोसों दूर नहीं, बल्कि वैश्विक मंच पर चमक रहे हैं। वर्तमान में वे विश्व बैंक में सीनियर डिजिटल डेवलपमेंट स्पेशलिस्ट के पद पर तैनात हैं, जहां डिजिटल इनोवेशन और विकास परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं।

2011 बैच के इस अधिकारी का सफर आईएएस से अंतर्राष्ट्रीय संस्था तक रोमांचक रहा है, लेकिन अब यह पीई उनके करियर पर एक बड़ा सवालिया निशान लगा सकती है। क्या यह मामला छवि रंजन की तरह लंबी कानूनी जंग में बदल जाएगा? या राय महिमापत रे निर्दोष साबित होकर वापसी करेंगे?

एसीबी के जांच अधिकारी डीएसपी संतोष कुमार ने बताया कि प्रारंभिक जांच में कुछ सुराग मिले हैं, लेकिन पूरा मामला अभी गुत्थियों में उलझा हुआ है।

हालांकि झारखंड में भ्रष्टाचार का यह सिलसिला नया नहीं। मई 2025 तक राज्य में सात आईएएस अधिकारियों को भ्रष्टाचार के मामलों में जेल की हवा खिलाई जा चुकी थी, जिसमें लिकर स्कैम से लेकर माइनिंग घोटालों तक की कड़ियां जुड़ीं। रांची, जो झारखंड का प्रशासनिक केंद्र है, यहां के डीसी पद पर रहते हुए अधिकारियों पर दबाव और अवसर दोनों ही ज्यादा होते हैं।

जमीन के बड़े-बड़े सौदे, सरकारी अनुमतियां और विकास परियोजनाएं- ये सब भ्रष्टाचार के लिए उपजाऊ जमीन बन जाते हैं। पूर्व सीएम रघुबर दास के दौर से ही ऐसे मामलों की बाढ़ आई है और अब हेमंत सोरेन सरकार के तहत भी निगरानी बढ़ रही है। लेकिन सवाल यह है कि क्या ये जांचें सिर्फ कागजी शेर बनकर रह जाएंगी, या वास्तव में भ्रष्टाचार की जड़ें उखाड़ेंगी?

राय महिमापत रे के वकील ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन सूत्र बताते हैं कि वे पूरे सहयोग के लिए तैयार हैं। विश्व बैंक ने भी इस मामले पर चुप्पी साध रखी है, लेकिन ऐसे आरोपों का उनके करियर पर असर पड़ना तय है। रांची के निवासी इन अधिकारियों के फैसलों से सीधे प्रभावित होते हैं, अब सांस थामे इंतजार कर रहे हैं। क्या यह पीई एक नई सुबह की शुरुआत होगी या फिर झारखंड की नौकरशाही में भ्रष्टाचार का एक और काला पन्ना?

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