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कांके अंचल कार्यालय के भ्रष्ट प्रशासनिक आचरण में सुधार जरूरी

भाग-9: झारखंड में भूमि विवाद: कांके अंचल कार्यालय का भ्रष्ट कारनामा एक प्रमाण

राँची दर्पण डेस्क / मुकेश भारतीय। झारखंड की राजधानी रांची के कांके अंचल कार्यालय एक बार फिर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार यह प्रशंसा के लिए नहीं, बल्कि एक गंभीर प्रशासनिक लापरवाही और संभावित भ्रष्टाचार के कारण है। यहां 25 डिसमिल जमीन से जुड़े एक मामले ने न केवल स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि यह भी उजागर किया है कि किस तरह अंचल कार्यालयों में बढ़ती अनियमितताएँ आम नागरिकों के अधिकारों को प्रभावित कर रही हैं।

राँची दर्पण ने इस मामले की गहन पड़ताल की है, जिसमें सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005 का उपयोग कर कांके अंचल कार्यालय की जवाबदेही और सुधार की जरूरत को सामने लाया गया है।

कांके अंचल कार्यालय ऐसे भूमि मामलों के सर्वाधिक केंद्र बिंदु बन गया है, जहाँ एक जमीन कारोबारी राज शेखर के संदिग्ध दाखिल-खारिज को स्वीकार करने और 25 डिसमिल की जमीन के लिए 37 डिसमिल की रसीद जारी करने की गंभीर त्रुटि सामने आई है।

आशा कुमारी इस 25 डिसमिल जमीन के वैध मालिक हिस्सेदार हैं। 16 साल पहले इस जमीन की रजिस्ट्री, दाखिल-खारिज और नियमित ऑनलाइन रसीद के साथ खरीदी थी। उनके पास इस जमीन पर निर्विवाद दखल-कब्जा है और सभी दस्तावेज उनके नाम पर दर्ज हैं।

फिर भी कांके अंचल कार्यालय ने उसी जमीन में से 12 डिसमिल की जमाबंदी और दाखिल-खारिज राज शेखर के नाम पर कर दी, जिसके परिणामस्वरूप राजस्व रिकॉर्ड में कुल रकबा 37 डिसमिल दिखाया जा रहा है, जोकि एक स्पष्ट गणितीय और प्रशासनिक असंभवता है।

आशा कुमारी ने इस मामले को रांची जिले के भूमि सुधार उप समाहर्ता (डीसीएलआर) कोर्ट में उठाया है, जहाँ उन्होंने राज शेखर की अवैध जमाबंदी को रद्द करने और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की माँग की है।

कोर्ट ने विपक्षी पक्ष को नोटिस जारी किया है, और सुनवाई जारी है। लेकिन इस मामले में RTI अधिनियम की भूमिका निर्णायक रही है, जिसने इस संभावित घोटाले को उजागर करने में मदद की है।

राँची दर्पण ने इस विसंगति की गहराई तक जाने के लिए RTI अधिनियम, 2005 का उपयोग किया है। कांके अंचल कार्यालय से राज शेखर के 2021 में किए गए दाखिल-खारिज के आधार दस्तावेज, जैसे- खतियान, उत्तराधिकार प्रमाणपत्र, या रजिस्ट्री। 25 डिसमिल की जमीन के लिए 37 डिसमिल की रसीद काटने की विसंगति का कारण और इसका आधार।

इस विसंगति के लिए जिम्मेदार अंचल कार्यालय के कर्मचारियों का पूरा विवरण, जिसमें नाम, पद और कार्रवाई का ब्योरा शामिल हो। जिला भू-उपसमाहर्ता कार्यालय द्वारा इस मामले में अब तक की गई कार्रवाई की रिपोर्ट जैसी जानकारी मांगी गई थी।

लेकिन कांके अंचल कार्यालय के जन सूचना अधिकारी ने RTI अधिनियम की धारा 7(1) के तहत निर्धारित 30 दिनों की समय सीमा में कोई जवाब नहीं दिया, जो अधिनियम का स्पष्ट उल्लंघन है। इसके बाद राँची दर्पण ने प्रथम अपीलीय प्राधिकारी (रांची सदर अनुमंडल पदाधिकारी) के समक्ष अपील दाखिल की है, जो अभी लंबित है।

ये RTI जवाब इस मामले में महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये न केवल राज शेखर के दस्तावेजों की वैधता को उजागर करेंगे, बल्कि अंचल कार्यालय की लापरवाही या संभावित मिलीभगत को भी सामने ला सकते हैं।

झारखंड में अंचल कार्यालयों की स्थितिः झारखंड में अंचल कार्यालय भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन, दाखिल-खारिज और जमाबंदी के लिए महत्वपूर्ण संस्थाएँ हैं। लेकिन इन कार्यालयों में बढ़ती अनियमितताएँ चिंता का विषय बन गई हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार अपर्याप्त प्रशिक्षण, सत्यापन की कमी, नियमित ऑडिट का अभाव और भ्रष्ट आचरण वाले अफसर-कर्मियों पर कार्रवाई न होना इस तरह की त्रुटियों और घोटालों का मूल कारण है।

कांके अंचल कार्यालय में पिछले कुछ वर्षों में कई भूमि विवाद सामने आए हैं, जिसमें फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जमीन हड़पने के मामले शामिल हैं। उदाहरण के लिए 2023 में कांके में 200 एकड़ जमीन से संबंधित एक घोटाले में एनआईसी कर्मचारियों और जमीन कारोबारियों की मिलीभगत पाई गई थी, जिसके बाद सीआईडी जाँच के आदेश हुए थे।

राँची दर्पण ने कांके अंचल कार्यालय और जिला प्रशासन से इस मुद्दे पर टिप्पणी के लिए संपर्क किया, लेकिन अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। यह मौन प्रशासनिक जवाबदेही की कमी और सुधार की तत्काल जरूरत में लापरवाही को रेखांकित करता है।

भू-राजस्व विशेषज्ञों के सुझावः राँची दर्पण ने इस मामले में भू-राजस्व विशेषज्ञों से बात की, जिन्होंने कांके अंचल कार्यालय और अन्य समान संस्थानों में सुधार के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए हैं-

स्वचालित सत्यापन प्रणाली: दाखिल-खारिज और रसीद जारी करने से पहले पुराने रिकॉर्ड का स्वचालित मिलान, जो झारभूमि पोर्टल पर एकीकृत हो। इससे मानवीय त्रुटि और धोखाधड़ी की संभावना कम होगी।

नियमित ऑडिट: झारभूमि पोर्टल पर रिकॉर्ड की त्रैमासिक जाँच, जिसमें स्वतंत्र ऑडिटरों की टीम शामिल हो। यह सुनिश्चित करेगा कि कोई विसंगति समय रहते पकड़ी जाए।

कर्मचारी प्रशिक्षण: अंचल कार्यालय के अफसर-कर्मियों को डिजिटल सिस्टम, सत्यापन प्रक्रिया और RTI अधिनियम के प्रावधानों पर व्यापक प्रशिक्षण देना। इससे उनकी क्षमता और जवाबदेही बढ़ेगी।

शिकायत निवारण तंत्र: एक समर्पित हेल्पलाइन और ऑनलाइन पोर्टल स्थापित करना, जहाँ नागरिक अपनी शिकायतें दर्ज कर सकें और त्वरित कार्रवाई की माँग कर सकें।

सख्त कार्रवाई: भ्रष्टाचार या लापरवाही में लिप्त पाए गए कर्मचारियों के खिलाफ त्वरित अनुशासनात्मक और कानूनी कार्रवाई, जिसमें निलंबन और आपराधिक मामले शामिल हों।

भू-राजस्व विशेषज्ञ डॉ. रमेश पाठक कहते हैं कि कांके जैसे क्षेत्रों में भूमि रिकॉर्ड की पुरानी प्रणाली और डिजिटलीकरण की कमी ने धोखाधड़ी को बढ़ावा दिया है। स्वचालित सत्यापन और नियमित ऑडिट से इन समस्याओं को कम किया जा सकता है।

प्रशासनिक सुधार की माँगः कांके अंचल कार्यालय की इस लापरवाही ने न केवल आशा कुमारी जैसे नागरिकों के अधिकारों को प्रभावित किया है, बल्कि यह झारखंड भर के अंचल कार्यालयों में सुधार की जरूरत को रेखांकित करता है।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि इस तरह की त्रुटियाँ आम हैं, और कई लोग अपने भूमि विवादों को सुलझाने के लिए कोर्ट का सहारा लेने को मजबूर हैं। राँची दर्पण का मानना है कि यदि जिला प्रशासन और राज्य सरकार ने तत्काल कदम नहीं उठाए तो ऐसे मामले भविष्य में और बढ़ सकते हैं, जिससे आम जनता को नुकसान होगा, अराजकता बढ़ेगी, अपराध को उकसाएगी।

पाठकों से अपनी आवाज उठाने का आह्वान: राँची दर्पण अपने पाठकों से आग्रह करता है कि वे कांके अंचल कार्यालय की इस लापरवाही और भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज उठाएँ। RTI अधिनियम का उपयोग करके आप अपने अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं और प्रशासन को जवाबदेह बना सकते हैं।

क्या आप इस मामले में जिला प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की माँग करेंगे? क्या आपने कभी अंचल कार्यालय में ऐसी अनियमितता का सामना किया है? अपनी राय और अनुभव हमें साझा करें। हमें ईमेल करें: ranchidarpan.com@gmail.com या व्हाट्सएप पर लिखें: 08987495562। आपकी आवाज इस बदलाव का हिस्सा बन सकती है।

हमारे अगले लेख में हम कांके जैसे भूमि विवादों से निपटने के लिए कानूनी और प्रशासनिक समाधानों पर विस्तार से चर्चा करेंगे। क्या डीसीएलआर कोर्ट और RTI एक साथ मिलकर इन समस्याओं को हल कर सकते हैं? क्या राज्य सरकार को भूमि सर्वेक्षण और डिजिटलीकरण पर ध्यान देना चाहिए? इन सवालों के जवाब और अधिक जानकारी के लिए बने रहें राँची दर्पण के साथ।

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