Ranchi Darpan
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प्रशासन

रांची DC ने दिया बड़ा सुंदर निर्देश! लेकिन ‘ढीठ CO’ मानेंगे तब न?
रांची दर्पण डेस्क। रांची के उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी (DC) मंजूनाथ भजंत्री ने राजस्व मामलों में पारदर्शिता और त्वरित निपटारे के लिए एक बेहद सराहनीय…
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आस-पास

ओरमांझी के चकला में हाथी का आंतक, दो को किया जख्मी, लोगों में भय का माहौल
ओरमांझी (मोहसीन आलम)। राजधानी रांची के ओरमांझी चकला गांव में आज अहले सुबह एक जंगली हाथी आ पहुंचा और शौच कर रहे एक व्यक्ति को…
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गांव-देहात

अंजुमन जमीयतुल मोमिनीन निज़ामबाद कुटे का चुनाव शांतिपूर्ण संपन्न
ओरमांझी (मोहसीन आलम)। अंजुमन जमीयतुल मोमिनीन निज़ामबाद कुटे की चुनाव को लेकर रविवार को कुटे मदरसा परिसर में गांव स्तर की बैठक आयोजित की गई।…
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आस-पास

झारखंड की एकमात्र सीड प्रोसेसिंग यूनिट बना खंडहर, कल-पुर्जे हुए गायब
रांची दर्पण डेस्क। झारखंड में किसानों की उम्मीदों को मजबूत करने के लिए बनाई गई राज्य की एकमात्र सीड प्रोसेसिंग यूनिट (Seed processing unit) आज…
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कारोबार

देवघर श्रावणी मेले में प्रसाद के रूप में बेचे गये मिट्टी मिली पेड़ा
रांची दर्पण डेस्क। प्रसिद्ध देवघर श्रावणी मेले में इस वर्ष प्रसाद के रूप में बेचे गये पेड़ों की जांच में चौंकाने वाली बात सामने आयी…
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आस-पास

बोला कांके CO ऑफिसकर्मीः ‘रोज 50 आवेदन आते हैं… हमें याद नहीं, आकर चक्कर काटो!’
कांके अंचल के राजस्व कर्मचारी ने डीसीएलआर कोर्ट के लिखित आदेश को लात मारकर कहा – ‘फाइल कहाँ है? पता नहीं!’ सुनिए वो बेशर्म ऑडियो…
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आवागमन

अब रांची ट्रैफिक को मिलेगी की सांस फूलने से राहत, जानें डिटेल
रांची दर्पण डेस्क। अब रांची की सांसें लेने लायक होंगी। शहर के सबसे व्यस्त चौराहों में शुमार अरगोड़ा चौक पर लंबे समय से चली आ…
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आस-पास

उद्घाटन के 12 साल बाद भी चालू नहीं हो सका झारखंड का एकलौता बीज प्रसंस्करण इकाई
रांची दर्पण रिपोर्टर। इटकी प्रखंड के तिलकसूती गांव में करोड़ों रुपये की लागत से बनी झारखंड प्रदेश की एक मात्र बीज प्रसंस्करण इकाई उद्घाटन के…
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फीचर्ड

अब राजधानी में फर्जी दस्तावेज बनाकर हाइकोर्ट के जस्टिस की जमीन बेच दी
रांची दर्पण रिपोर्टर। राजधानी रांची के प्रायः सभी अंचलों में जमीनी भ्रष्टाचार चरम शिखर पर है। इसका एक बड़ा कारण जिम्मेवार वरीय अफसर त्वरित कार्रवाई…
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धरोहर

जर्मन मिशनरी ने रांची से निकाला था झारखंड की पहली पत्रिका !
रांची दर्पण डेस्क। जर्मन मिशनरी जब 1845 में छोटानागपुर पहुंची तो उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और सुसमाचार प्रचार का काम यहां की जनजातियों के बीच शुरू…









