नालंदा दर्पण डेस्क। बिहार शरीफ व्यवहार न्यायालय में पदस्थापित अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश तृतीय प्रतिभा चौहान को बीते 25 नवंबर को महिलाओं के विरुद्ध हिंसा उन्मूलन अंतर्राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर नई दिल्ली स्थित गोविंद सदन में इंडो यूरोपियन चैंबर्स ऑफ स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज द्वारा 40 से 60 वर्ष के बीच के महिलाओं के अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाने एवं उनके संवर्द्धन का उत्कृष्ट कार्य करने के लिए सम्मानित किया गया है।
जज प्रतिभा चौहान पहले भी कई बार हो चुके हैं सम्मानितः जज प्रतिभा चौहान को साहित्य एवं महिलाओं के प्रति किए गए कार्यों के लिए पहले भी कई पुरस्कार मिल चुके हैं।
इसके पहले वे आचार्य लक्ष्मी कांत मिश्र मेमोरियल फाउंडेशन नई दिल्ली एवं प्रेस क्लब मुंगेर द्वारा परमाचार्य परमहंस स्वामी निरंजानंद सरस्वती के हाथों आचार्य लक्ष्मीकांत मिश्र राष्ट्रीय सम्मान ,पंडित राम प्रसाद बिस्मिल फाउंडेशन नई दिल्ली द्वारा कहानी कविता संग्रह के लिए, पंडित राम प्रसाद बिस्मिल सम्मान ,जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में स्वयंसिद्ध सृजन सम्मान से सम्मानित किए जा चुके हैं।
इसके अलावा अंग मदद फाउंडेशन द्वारा 22 सितंबर 2020 को तिलक मांझी राष्ट्रीय सम्मान 2020 से सम्मानित किया गया था।
जज प्रतिभा चौहान की अब तक प्रकाशित हो चुकी है कई पुस्तकें: जज प्रतिभा चौहान की कई पुस्तकें व रचनाएं प्रकाशित हो चुकी है। पेड़ों पर मछलियां पुस्तक को अब तक चार पुरस्कार प्राप्त हो चुका हैं। इनकी कुछ किताबें भारत के प्रसिद्ध प्रकाशक द्वारा प्रकाशित होने के लिए तैयार है।
जंगलों में पगडंडियों, आदिवासी एवं जंगलों पर आधारित कविता संग्रह है। यह सरकार के वर्तमान महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन हरियाली पर आधारित है।
चुप्पियों पर हजार कंबल कविता संग्रह, सपने देखने में क्या जाता है लघु कथा संग्रह, बाराखडी के बाहर कविता संग्रह बच्चों एवं महिलाओं पर आधारित है।
उनके द्वारा लिखित कहानी, कविता, लेख, बाल साहित्य, बाल कविता, बाल कहानियां, प्रेरक कथाएं, यात्रा वृतांत, शोध पर लेख आदि भारत के लगभग सभी प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी है।
उनके कई लेखों को प्रकाशक इनकी अनुमति से कई अन्य भाषाओं में भी प्रकाशित कर चुके हैं। अंग्रेजी में इनके द्वारा लिखा गया साहित्य ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात, पेरु, अमेरिका एवं यूरोप तथा कई अन्य देशों में भी प्रकाशित हो चुका है।
न्यायाधीश श्रीमती चौहान साहित्य एवं महिला अधिकारों के प्रति जागरूक करने के साथ-साथ सामाजिक कार्यों में भी रुचि रखती है। उन्होंने कई बच्चे, बच्चियों के शिक्षा की जिम्मेवारी लेकर शिक्षित करते हुए उन्हें स्वावलंबी भी बनाया है।