
रांची दर्पण डेस्क। रांची विश्वविद्यालय ने एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। विश्वविद्यालय के दो एनएसएस (राष्ट्रीय सेवा योजना) स्वयंसेवक, डोरंडा महाविद्यालय के दिवाकर आनंद और रांची विमेंस कॉलेज की दीक्षा कुमारी को उनके उत्कृष्ट सामाजिक योगदान और नेतृत्व क्षमता के लिए प्रतिष्ठित राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है। यह उपलब्धि न केवल रांची विश्वविद्यालय, बल्कि पूरे झारखंड राज्य के लिए गर्व का विषय है।
दिवाकर आनंद ने सामाजिक कार्यों में अपनी सक्रिय भागीदारी से एक मिसाल कायम की है। उन्होंने ग्रामीण साक्षरता अभियान, नशामुक्ति जागरूकता, रक्तदान शिविरों, स्वास्थ्य जागरूकता रैलियों और पर्यावरण संरक्षण जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दिया है। उनके नेतृत्व में आयोजित कई रक्तदान शिविरों ने सैकड़ों लोगों की जान बचाने में मदद की। इसके अलावा, सामाजिक समरसता और जन-जागरूकता के क्षेत्र में उनका समर्पण उन्हें युवाओं के बीच एक आदर्श बनाता है।
दिवाकर का कहना है कि मेरा उद्देश्य समाज के उन लोगों तक पहुंचना है, जिन्हें हमारी सबसे ज्यादा जरूरत है। एनएसएस ने मुझे यह मंच प्रदान किया और मैं इसे और प्रभावी ढंग से उपयोग करना चाहता हूं।
वहीं रांची विमेंस कॉलेज की दीक्षा कुमारी ने स्वच्छ भारत अभियान, महिला सशक्तिकरण, वृक्षारोपण और वंचित बच्चों की शिक्षा जैसे क्षेत्रों में असाधारण कार्य किया है। उन्होंने शहरी और ग्रामीण स्लम क्षेत्रों में जाकर जागरूकता फैलाई और समुदायों को संगठित कर सामाजिक बदलाव की दिशा में कदम बढ़ाए। उनके प्रयासों ने कई परिवारों को शिक्षा और स्वच्छता के महत्व को समझने में मदद की है।
दीक्षा ने कहा कि महिलाओं और बच्चों को सशक्त बनाना मेरा जुनून है। मैं चाहती हूं कि समाज का हर वर्ग आत्मनिर्भर बने और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो।
रांची विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) डी.के. सिंह ने इस उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि दिवाकर आनंद और दीक्षा कुमारी ने जो कार्य किए हैं, वो न केवल विश्वविद्यालय बल्कि पूरे झारखंड के लिए प्रेरणादायी हैं। राष्ट्रपति पुरस्कार उनके कठिन परिश्रम और सामाजिक उत्तरदायित्व का प्रमाण है। यह हमारे लिए गर्व का क्षण है।
विश्वविद्यालय के डीएसडब्ल्यू डॉ. सुदेश कुमार साहू ने कहा कि यह उपलब्धि दर्शाती है कि अगर युवा शक्ति सही दिशा में प्रयुक्त हो, तो समाज में सकारात्मक परिवर्तन संभव है।
एनएसएस कार्यक्रम समन्वयक डॉ. ब्रजेश कुमार ने इसे समर्पण और निःस्वार्थ सेवा की पहचान बताते हुए कहा कि दिवाकर और दीक्षा का चयन रांची विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय स्तर पर नई ऊंचाइयों तक ले जाता है।
वित्त परामर्शी अजय कुमार ने इस उपलब्धि को युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बताया और कहा कि यह पुरस्कार न केवल इन दोनों स्वयंसेवकों की मेहनत को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि हमारा विश्वविद्यालय सामाजिक बदलाव में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
डोरंडा महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. राजकुमार शर्मा ने दिवाकर को बधाई देते हुए कहा कि शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य समाजसेवा से जुड़ा होना चाहिए। दिवाकर ने इसे साकार किया है।
वहीं रांची विमेंस कॉलेज की प्राचार्या डॉ. विनीता सिंह ने दीक्षा की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनकी सफलता हमारी छात्राओं को नई दिशा और प्रेरणा देगी। यह उनके दृढ़ संकल्प और मेहनत का परिणाम है।
वेशक राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए चयनित होना एक असाधारण उपलब्धि है, जो इन युवाओं के सामाजिक योगदान और नेतृत्व को राष्ट्रीय मंच पर सम्मानित करता है। यह पुरस्कार न केवल दिवाकर और दीक्षा की व्यक्तिगत सफलता है, बल्कि रांची विश्वविद्यालय और झारखंड के लिए भी गौरव का क्षण है।