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राँची का अमूल्य धरोहर टैगोर हिल, जहाँ से रांची शहर का दिखता है अद्भुत नजारा

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राँची दर्पण डेस्क। झारखंड की राजधानी रांची के मोरहाबादी में दर्शनीय टैगोर हिल पर ब्रह्म मंदिर एवं शांति धाम रवींद्रनाथ टैगोर के अग्रज ज्योतिरिंद्रनाथ टैगोर ने बनवाया था।

यहीं पर उन्होंने 1924 में बाल गंगाधर तिलक द्वारा मराठी में लिखित मराठी गीता रहस्य नामक पुस्तक का बांग्ला में अनुवाद भी किया था और चार मार्च 1925 को उन्होंने यहीं पर अंतिम सांस ली थी। यहां उनकी पुण्यतिथि पर कार्यक्रम का आयोजन होगा।

ब्रह्म मंदिर टैगोर हिल परिसर की देखरेख में लगी सोसाइटी एसपीटीएन के अध्यक्ष अजय कुमार जैन के अनुसार ज्योतिरिंद्रनाथ टैगोर 1884 में अपनी पत्नी द्वारा आत्महत्या करने के बाद वैरागी हो गए थे और मोरहाबादी आकर उन्होंने मंदिर का निर्माण कराया और यहीं रहने लगे।

टैगोर हिल रांची के अलबर्ट एक्का चौक से तीन किलोमीटर की दूरी पर है। यह पहाड़ी समुद्र तल से 300 फीट की ऊंचाई पर है। ज्योतिंद्रनाथ ने इस पहाड़ी को स्थानीय जमींदार हरिहर सिंह से 1908 में खरीदा था।

गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर के भाई ज्योतिरींद्र नाथ टैगोर की यादगार विरासत टैगोर हिल रांची की एक धरोहर बन गया है। पहाड़ी के शीर्ष पर मुख्य मंडप यानि ब्रह्मा स्थल है। पहाड़ी के चोटी पर रांची शहर का अद्भुत नजारा दिखता है।

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