Home खेल-कूद जरा देखिए मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा स्टेडियम की दुर्दशा

जरा देखिए मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा स्टेडियम की दुर्दशा

Just look at the plight of Marang Gomke Jaipal Singh Munda Stadium

रांची दर्पण डेस्क। राजधानी रांची के कचहरी रोड पर स्थित मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा स्टेडियम कभी शहरवासियों के लिए खेल और मनोरंजन का प्रमुख केंद्र था और अब रखरखाव के अभाव में बदहाल हो चुका है। लगभग दो वर्ष पूर्व इस स्टेडियम का 4.53 करोड़ रुपये की लागत से भव्य नवीनीकरण किया गया था। उस समय बच्चों के लिए प्ले जोन, युवाओं के लिए ओपन जिम, टेनिस और बास्केटबॉल कोर्ट जैसी आधुनिक सुविधाएं विकसित की गई थीं।

स्टेडियम के चारों ओर मोर्निंग वॉक के लिए पाथवे बनाया गया था, आकर्षक लाइटें लगाई गई थीं और दर्शकों के लिए दो दर्जन से अधिक कुर्सियां भी स्थापित की गई थीं। शुरुआती दिनों में रांचीवासियों में इस स्टेडियम को लेकर खासा उत्साह देखा गया और अब आज इसकी स्थिति दयनीय हो चुकी है।

नवीनीकरण के बाद स्टेडियम में उपलब्ध सुविधाएं अब धीरे-धीरे खराब हो रही हैं। ओपन जिम के अधिकांश उपकरण बारिश के पानी में डूबे रहते हैं, जिसके कारण कई उपकरण जंग खा रहे हैं या पूरी तरह खराब हो चुके हैं।

व्यायाम करने के लिए लोगों को पानी में उतरना पड़ता है, जो असुविधाजनक और असुरक्षित है। दर्शकों के लिए लगाई गई कुर्सियों में से आधी से ज्यादा टूट चुकी हैं, और जो बची हैं, वे भी घास और पानी से घिरी हुई हैं।

मैदान की स्थिति और भी खराब है। जगह-जगह जलजमाव और ऊंची घास के कारण चलना-फिरना मुश्किल हो गया है। बच्चों के लिए बनाए गए झूले अब गायब हैं और स्टैच्यू के नीचे लगी टाइल्स भी टूटने लगी हैं। स्टेडियम में नियमित सफाई का अभाव साफ दिखता है, जिसके कारण दुर्गंध की समस्या आम हो गई है।

स्टेडियम में खेलने आने वाले खिलाड़ियों का कहना है कि रखरखाव की कमी के कारण उनकी परेशानियां बढ़ गई हैं। बास्केटबॉल कोर्ट में रोशनी की व्यवस्था नहीं है और कई लाइटें या तो खराब हो चुकी हैं या लटक रही हैं। कुछ लाइटें तो पूरी तरह गायब हैं।

खेल आयोजनों के लिए खिलाड़ियों को अपने खर्चे से लाइट की व्यवस्था करनी पड़ती है। मैदान में जलजमाव और घास के कारण सांप-बिच्छू जैसे जहरीले जीवों का खतरा बना रहता है, जिससे खिलाड़ी और आगंतुक डर महसूस करते हैं।

करीब 4.53 करोड़ रुपये की लागत से किए गए नवीनीकरण का लाभ अब धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है। कहना है कि अगर समय रहते रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह स्टेडियम पूरी तरह बेकार हो जाएगा।

एक स्थानीय खिलाड़ी ने बताया कि पहले यह स्टेडियम हमारा गर्व था, लेकिन अब यहां आना खतरे से खाली नहीं। सरकार और प्रशासन को तुरंत इसकी सुध लेनी चाहिए।

क्योंकि मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा स्टेडियम न केवल रांची के खिलाड़ियों के लिए, बल्कि बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्थान है। इसकी बदहाल स्थिति को सुधारने के लिए प्रशासन को तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। नियमित सफाई, जल निकासी की व्यवस्था, खराब उपकरणों की मरम्मत और लाइटिंग सिस्टम को दुरुस्त करने जैसे कदम इस स्टेडियम को फिर से जीवंत कर सकते हैं।

स्थानीय निवासियों ने मांग की है कि प्रशासन इस स्टेडियम के रखरखाव के लिए एक समर्पित टीम नियुक्त करे और इसके लिए बजट आवंटित करे। साथ ही स्टेडियम की स्थिति पर नजर रखने के लिए एक निगरानी समिति का गठन भी जरूरी है।

बहरहाल, मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा स्टेडियम रांची की धरोहर है और इसे बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है। यदि समय रहते इसकी स्थिति को सुधारा नहीं गया तो न केवल करोड़ों रुपये का निवेश बेकार जाएगा, बल्कि शहरवासियों का एक महत्वपूर्ण खेल और मनोरंजन केंद्र भी खत्म हो जाएगा। प्रशासन और जनता को मिलकर इस स्टेडियम को फिर से उसका पुराना गौरव लौटाने की जरूरत है।

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